बास्केटबॅाल के बारे में जब भी बात होती है, तब एक देश का नाम सभी के जेहन में आता है। "अमेरिका" अमेरिका से बास्केटबॅाल खेल की शुरूआत हुई और फिर यहां से ये खेल धीरे-धीरे पूरे विश्व में फैल गया। आज के समय में 200 से भी ज्यादा देश इस स्पोर्टस के साथ जुड़े हुए हैं। इसी देश में एनबीए जैसी विश्व प्रसिद्ध लीग खेली जाती है। जिसका टर्नओवर 100 करोड़ से भी ज्यादा है। विश्व में जहां भी बास्केटबॅाल इवेंट का आयोजन होता है। वहां सभी का पता रहता है। इस प्रतियोगिता का चैंपियन कौन होने वाला है?
टोक्यो ओलंपिक में जब अमेरिका ने स्वर्ण पदक जीता तो कुछ ज्यादा लोगों को इस बात का अचंभा नहीं हुआ। जब भी अमेरिका जैसी विकसित देश को हम पदक जीतते हैं, सभी के मन में ख्याल आता है कि क्या भारत भी कभी ओलंपिक में बास्केटबॅाल पदक जीतेगा? सवाल जरा अटपटा है। लेकिन आता सभी के जेहन में है। आइए एक नजर डालते हैं। भारत के बास्केटबॅाल इतिहास पर और अनुमान लगाते हैं। अगर सब व्यवस्थित तरीके से चलता है तो कितने साल में भारत में ओलंपिक पदक जीतेगा?
ओलंपिक चैंपियन बनने से पहले एशियन चैंपियन बनने के बारे में सोचना होगा
भारत को अगर ओलंपिक में पदक जीतने से पहले एशिया में चैंपियन बनने के बारे में सोचना होगा । भारत ने आज तक एशियन बास्केटबॅाल चैंपियनशिप नहीं जीती। 1975 में भारत शीर्ष-4 टीम में जगह बना पाया था। बावजूद इसके टीम कभी मेडल नहीं जीत पायी। इसके बाद कई सालों तक टीम का लक्ष्य शीर्ष-8 टीमों में समाप्त करने का रहा है। 2015 के बाद भारत किसी भी प्रतियोगिता में शीर्ष-8 तक भी टीम नहीं पहुंच पायी।
मॅास्को ओलंपिक में मिला था खेलना का मौका
1980 मॅास्को में कुछ देशों के आपसी मतभेद के वजह से भारतीय टीम को बतौर अतिथि के रूप में यहां पर खेलने के लिए बुलाया गया था। हालांकि यहां पर टीम किसी भी मुकाबले में जीत नहीं पायी लेकिन हमारे खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन का लठ गाड़ दिया। उसकी चर्चा आज भी होती है। अजमेर सिंह जैसे खिलाड़ियों का उदाहरण भारत के हर खिलाड़ी को दिया जाता है।
जमीनी स्तर पर करना होगा काम
भारत में बास्केटबॅाल का अगर विकास करने के लिए जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है। अंडर-8, अंडर-10 स्तर की प्रतियोगिता का आयोजन करना होगा। तब जाकर भारतीय बास्केटबॅाल को विकास की गति मिलेगी।
3/3 फॅार्मेट में भारतीय टीम को ओलंपिक में अच्छा करने का मौका
3/3 फॅार्मेट में भारतीय पुरूष और महिला बास्केटबॅाल टीम का प्रदर्शन काफी सराहनीय और संतोषजनक रहा है। अगर भारतीय बास्केटबॅाल संघ इसी फॅार्मेट पर काम करें तो आने वाले सालों में क्वालीफीकेशन के साथ मेडल जीतने की उम्मीदें पक्की हो जाएगी? अगर 10 साल तक एक धैर्यपूर्वक रोडमैप बनाकर काम किया जाए तभी ये संभव हैं।
वही फुल कोर्ट फॅार्मेट में भारतीय टीम को 20 साल का रोडमैप तैयार करके काम करना होगा।