अपने ओलंपियन को जानें: ज्वाला गुट्टा के बारे में 10 बातें

पिछले कुछ सालों से बैडमिंटन डबल्स में ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा ने राज किया है। दोनों ने मिलकर विश्व स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया और अभी उनका दबदबा बरकरार है। पोनप्पा ने डबल्स में ज्यादा कामयाबी हासिल की तो वहीँ गुट्टा के नाम मिक्स्ड डबल में ज्यादा कामयाबी आई। उन्होंने मिक्स्ड डबल में डी. विज्जु के साथ अपनी टीम बनाई। इंडियन बैडमिंटन लीग (आईबीएल) के पहले सीजन में वे दिल्ली की ओर से खेली थी, तो दूसरे सीजन में उन्होंने हैदराबाद का प्रतिनिधित्व किया। ये रही ज्वाला गुट्टा के ज़िन्दगी और करियर से जुडी 10 बातें: #1 ज्वाला गुट्टा का जन्म महाराष्ट्र के वर्धा में 7 सितंबर 1983 को क्रांति गुट्टा और एलेन गुट्टा के घर में हुआ। उनके पिता हिंदू और मां आधी-चीन मूल की है। #2 ज्वाला पहले टेनिस खेलती थी और फिर 6 साल की उम्र में उन्होंने बैडमिंटन चुना। मिस्टर एसएम आरिफ उनके पहले कोच थे। उन्होंने पहला ख़िताब थिससुर में अंडर 13 मिनी राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियनशिप में जीता और उसके बाद साल 2000 में जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप अपने नाम की। #3 उसी साल उन्होंने श्रुति कुरियन के साथ मिलकर डबल्स में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप और सीनियर नेशनल चैंपियनशिप जीती। साल 2000 से 2008 तक उन्होंने श्रुति कुरियन के साथ मिलकर लगातार सात ख़िताब जीते। #4 दोनों की जोड़ी अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी कामयाब रही। इन्होंने मिलकर 2006 में श्रीलंका के अंतरराष्ट्रीय सैटेलाइट चैलेंज, साइप्रस बैडमिंटन इंटरनेशनल टूर्नामेंट, पाकिस्तान इंटरनेशनल चैलेंज और 2007 में भारतीय इंटरनेशनल चैलेंज, नेपाल इंटरनेशनल सीरीज और 2008 में डच ओपन ग्रां प्री खिताब में हिस्सा लिया। #5 सात साल बाद उन्होंने पार्टनर बदलने का विचार किया और अश्विनी पोनप्पा के साथ 2010 के कामनवेल्थ खेलों में दिखी। ये जोड़ी कामयाब रही और घरेलू दर्शकों के सामने महिलाओं का डबल इवेंट जीता। ये भावुक क्षण था और इससे उनके आलोचकों की बोलती बंद हुई। "ये पदक मेरे आलोचकों की बोलती बंद करेगा। ये सही समय पर आया है और मुझे ख़ुशी है कि कई लोग मुझसे और मेरे प्रदर्शन से नाराज़ थे। मैं उन्हें अब चुप रहने के लिए कहूंगी।" #6 इन दोनों की जोड़ी आगे भी चलते रही और कोपेनहेगन में हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने दो कांस्य पदक जीते। ऐसा करने वाले वें भारत के पहले डबल्स खिलाड़ी बने। एकमात्र खिलाड़ी जिन्होंने सिंगल्स मुकाबले में ये उपलब्धि हासिल की थी, वें थे प्रकाश पादुकोण। #7 ज्वाला और अश्विनी ने लंदन ओलंपिक्स 2012 में भी हिस्सा लिया लेकिन क्वार्टरफाइनल में उन्हें एकअंक से हार मिली और वें टूर्नामेंट से बाहर हो गए। उनके आखरी मैच के पहले जापान के पांचवीं वरीयता प्राप्त मिज़ूकी फुजी और रैक ककीवा को चीनी ताइपे की 10 वीं वरीयता प्राप्त चेंग वेन सिंग और चिएन यू चिन ने हराया था। भारतीय खिलाड़ी को ये मैच सही नहीं लगा और उन्होंने खेल भावना पर सवाल खड़े किए। शिकायत करने के बावजूद इसपर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। "मैं दोनों टीम के खिलाड़ियों को जानती हूँ। मुझे लगता है कि जापानी खिलाड़ी जान-भुझकर मैच हारें। ये गलत बात है और इससे ओलंपिक्स पर धब्बा लगा है। मुझे अपने खेल पर गर्व है। अगर क्वार्टरफाइनल में उनका सामना हुआ तो मैं उनके खिलाफ खेलना पसंद करूँगी।" लंदन ओलंपिक्स में ज्वाला गुट्टा दो इवेंट्स के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनी। उसी इवेंट में ज्वाला ने वी दिज्जु के साथ मिक्स्ड डबल्स खेला। #8 साल 2013 में वें वापस दिल्ली की ओर से खेलने लौटी। साल 2014 उनके और अश्विनी के लिए अच्छा रहा क्योंकि कॉमनवेल्थ खेलों में उनके नाम स्वर्ण पदक और एशियाई खेलों में कांस्य आया। #9 साल 2015 उनके लिए कुछ खास नहीं रहा, लेकिन जुलाई में दोनों ने मिलकर कनाडा ग्रां पी जीता और अपने करियर में पहली बार टॉप 10 में पहुंची। #10 महिला डबल्स में कामयाबी के साथ ही वी दिज्जु के साथ उनकी मिक्स्ड डबल की जोड़ी भी कामयाब रही। दोनों ने मिलकर कुल 8 ख़िताब जीते और 2009 में कनाडा ग्रां पी और चीनी ताइपे ग्रां पी जीता। दोनों BWF सुपर सीरीज मास्टर्स के फाइनल तक भी पहुंचे थे। खास-खास 1. साल 2011 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया था। 2.साल 2013 में उन्होंने तेलगु मूवी गुंडे जारी गल्लान्थेयिन्दे के लिए आइटम नंबर किया था। 3.उन्हें रॉजर फेडरर और स्टेफी ग्राफ पसंद है और म्यूजिक सुनना पसंद करती है। लेखक: शंकर नारायण, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी