रेसलिंग (पहलवानी) भारत के पारंपरिक रूप से सबसे मजबूत खेलों में से एक है और पिछले एक दशक में भारतीय पहलवानों ने विश्व में अपनी ख्याति बनाई है। 2008 और 2012 में भारतीय पहलवानों ने देश के लिए पदक भी जीते। 2016 रियो ओलंपिक्स में पुरुष वर्ग में भारतीय टीम के पांच पहलवान शिरकत कर रहे हैं। दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार टीम का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन जो पहलवान ब्राजील गए हैं उनके पूर्व के प्रदर्शन शानदार रहे हैं। पहलवानों में पदक जीतने की काबिलियत है। देश में अखाड़े से लेकर पेशेवर रेसलिंग लीग समेत प्रमुख टूर्नामेंटो तक यह खेल लंबा रास्ता तय कर चुका है। चलिए रियो 2016 में पुरुष वर्ग में भाग लेने वाले 5 भारतीय पहलवानों के बारे में जानते हैं - नरसिंह यादव (74 किग्रा) मुंबई में जन्मे ग्रेप्लर को रियो 2016 में जाने से पहले जोरदार झटका लगा। वह डोपिंग टेस्ट में फ़ैल हो गए। हालांकि नाडा के प्रतिबंध हटाने के बाद नरसिंह को बड़ी मुश्किल से रियो के लिए गए भारतीय डाल में जगह मिली। रियो ओलंपिक 2016 में 74 किग्रा वर्ग के लिए क्वालीफाई करने वाले नरसिंह की जगह को खतरा हो गया था क्योंकि दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार भी 74 किग्रा वर्ग में हिस्सा लेना चाहते थे। रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्लूएफआई) ने यादव के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उन्हें रियो में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना। 2015 वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप्स में कांस्य पदक और 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले जेएसडब्लू स्पोर्ट्स एक्सीलेंस प्रोग्राम के रेसलर से रियो 2016 में पदक की पूरी उम्मीदें हैं। उन्होंने भारत का सबसे बड़े मंच पर प्रतिनिधित्व करने के लिए बहुत बाधाएं पार की हैं। 2015 प्रो रेसलिंग लीग में एक भी मैच नहीं हारने वाले एकमात्र पहलवान नरसिंह यादव जरुर भारत को एक पदक दिलाएंगे। हरदीप सिंह (98 किग्रा) ग्रीको रोमन स्पर्धा में भाग लेने वाले दो भारतीय रेस्लर्स में से एक हरदीप सिंह ने अपनी निरंतरता और कौशल से सभी को काफी प्रभावित किया। जेएसडब्लू स्पोर्ट्स एक्सीलेंस प्रोग्राम का हिस्सा रहे हरदीप एक मजबूत ग्रेप्लर हैं जो विश्व के सर्वश्रेष्ठ पहलवानों से लोहा ले सकते हैं। उन्होंने एशियाई रेसलिंग ओलंपिक क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट में दूसरे स्थान पर रहकर क्वालीफाई किया। सिंह ने इससे पहले 2016 एशियाई रेसलिंग चैंपियनशिप में 98 किग्रा वजन वर्ग में रजत पदक जीता था। हरदीप के करियर के बारे में एक रोचक बात जानने की यह है कि उन्होंने 2009 में फ्रीस्टाइल छोड़कर ग्रीको-रोमन की ओर रुख कर लिया था। तब उनकी उम्र 19 वर्ष थी। 2004 के बाद से हरदीप सिंह भारत की तरफ से ग्रीको-रोमन स्पर्धा के लिए क्वालीफाई करने वाले पहले पहलवान हैं। रियो में उनसे बहुत उम्मीदें हैं और वह अपनी निरंतरता और चतुरता से विरोधी पहलवान को चौंकाने के लिए जरुर बेकरार होंगे। रविंदर खत्री (85 किग्रा) 2016 रियो ओलंपिक में ग्रीको-रोमन स्पर्धा के लिए क्वालीफाई करने वाले भारत के दूसरे रेसलर हैं रविंदर खत्री जो 85 किग्रा वजन वर्ग में हिस्सा ले रहे हैं। कई वित्तीय मुश्किलों से उबरकर इस स्तर तक पहुंचने वाले ग्रेप्लर ने एशियाई ओलंपिक क्वालीफ़ायर्स में तीसरे स्थान पर रहकर ओलंपिक का टिकट कटाया था। ब्राजील में क्वालीफाई करने के लिए शीर्ष दो पहलवान ही जा सकते थे, तब उनकी जगह खतरे में पड़ गई थी। हालांकि रविंदर ने क्वालीफाई करने में कामयाबी हासिल कर ली क्योंकि रजत पदक विजेता को प्रतिबंधित पदार्थ लेने का दोषी पाया गया और तुरंत प्रभाव से उसे डिसक्वालीफाई कर दिया गया। खत्री रियो में विरोधियों के खिलाफ भी अपना भाग्य का लाभ लेने की पूरी कोशिश करेंगे। 2012 लंदन ओलंपिक में क्वालीफाई करने के लिए सिर्फ दो अंक से चूके रविंदर अब रियो के लिए मिले मौके को दोनों हाथों से आजमाना चाहेंगे और भारत को पदक दिलाने के लिए पूरा जोर लगाएंगे। संदीप तोमर (57 किग्रा) अप्रैल 2016 में वर्ल्ड ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीतकर संदीप तोमर ने शाही अंदाज में रियो ओलंपिक्स के लिए क्वालीफाई किया। 1992 में जन्मे रेसलर ने दर्शाया कि वह सर्वोच्च स्तर पर प्रदर्शन कर सकते हैं। इससे पहले उन्होंने 2012 में नेशनल चैंपियनशिप्स के 55 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था। यहां से संदीप के खेल में गजब का सुधार हुआ और उन्होंने एक के बाद एक शानदार प्रदर्शन किए। उन्होंने 2013 में कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप्स में स्वर्ण पदक जीता। संदीप भारतीय नौसेना के लिए कार्यरत हैं और 2014 मिलिट्री वर्ल्ड गेम्स में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। जेएसडब्लू स्पोर्ट्स एक्सीलेंस प्रोग्राम द्वारा प्रायोजित तोमन ने 2016 एशियाई रेसलिंग चैंपियनशिप्स में स्वर्ण पदक जीता और रियो ओलंपिक का टिकट हासिल किया। एक दिमागी रेसलर संदीप तोमर अपने फुर्ती तुरंत-सोचने की प्रक्रिया से विरोधी को अचंभित करके भारत के लिए पदक जीत सकते हैं। योगेश्वर दत्त (65 किग्रा) 2012 लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता योगेश्वर दत्त से भारत को रियो ओलंपिक में पदक जीतने की पूरी उम्मीद हैं। 2003 कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने के बाद वह खुद को भारत के सर्वश्रेष्ठ रेसलिंग प्रतिभा घोषित कर चुके हैं। योगेश्वर खेल के लिए हमेशा समर्पित रहे। खेल के प्रति उनकी ईमानदारी इससे झलकती है कि 2006 एशियन गेम्स में उन्होंने 60 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता था जबकि गेम्स के 9 दिन पहले उनके पिता का देहांत हो गया था। रेपचेज राउंड का इस्तेमाल करके दत्त ने 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता और विश्व में खुद को शीर्ष रेसलरों की श्रेणी में शामिल किया। 33 वर्षीय योगेश्वर भारत के सबसे अनुभवी रेसलर हैं और वह मजबूत विरोधी खिलाड़ियों के खिलाफ अपने शानदार मूव्स और फुर्ती का इस्तेमाल करेंगे।