पोलियो भी नहीं रोक पाया सुधीर के जज्बे को, पैरा पावरलिफ्टिंग में देश को दिलाया पहला गोल्ड

पैरा पावरलिफ्टर सुधीर बर्मिंघम खेलों में अपना गोल्ड मेडल जीतने के बाद।
पैरा पावरलिफ्टर सुधीर बर्मिंघम खेलों में अपना गोल्ड मेडल जीतने के बाद।

पोलियो एक ऐसी स्थिति है जो इंसान को बचपन में ही दिव्यांग बना देती है, लेकिन देश के पैरा पावरलिफ्टर सुधीर ने पोलियो को मात देकर न सिर्फ पावरलिफ्टर बनने में सफलता हासिल की बल्कि देश को कॉमनवेल्थ खेलों में उसका पहला पावरलिफ्टिंग गोल्ड दिलाया।

27 अक्टूबर 1994 को हरियाणा के सोनीपत के एक गांव में जन्में सुधीर का परिवार खेती करता है। चार साल की उम्र में सुधीर को पोलियो हो गया और उनकी जिंदगी बदल गई। बचपन में खेल-कूद का शौक था लेकिन पोलियो के कारण कई चीजें बाधा बन रहीं थी। ऐसे में सुधीर ने पावरलिफ्टिंग के बारे में जाना और साल 2013 में पावरलिफ्टिंग में करियर बनाने की ठानी।

सुधीर ने साल 2016 में राष्ट्रीय स्तर पर पावरलिफ्टिंग का गोल्ड जीता। साल 2018 में एशियन पैरा गेम्स में सुधीर ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। लेकिन उनकी यह खुशी दुख में बदल गई क्योंकि इसी दिन उनके पिता का निधन हो गया। पिता ने ही बचपन से सुधीर के सपनों को हकीकत बनाने में मदद की थी। इसके बाद सुधीर ने खुद को संभालते हुए अपने करियर को और आगे बढ़ाया। साल 2018 में हुई सीनियर पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में सुधीर को 'Strong Man of India' का टाइटल भी दिया गया।

सुधीर ने 2018 में ही दुबई में हुए पैरा पावरलिफ्टिंग विश्व कप में भाग लिया और सिल्वर मेडल हासिल किया। साल 2016 से लेकर 2022 तक सुधीर लगातार 6 बार पैरा पावरलिफ्टिंग में अपनी वेट कैटेगरी के गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं। इस साल सुधीर ने वर्ल्ड पैरा पावरलिफ्टिंग में एशिया ओशियाना ओपन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया है। सुधीर ने रोहतक की एमडी यूनिवर्सिटी से संस्कृत में बीए किया है और मौजूदा समय में हरियाणा सरकार के लिए वेटलिफ्टिंग कोच के रूप में भूमिका निभा रहे हैं।

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