ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन : गत विजेता को धमाकेदार मुकाबले में हराकर फाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन

लक्ष्य ने दूसरे सेट में हारने के बाद गत चैंपियन ली जिया के खिलाफ शानदार वापसी की।
लक्ष्य ने दूसरे सेट में हारने के बाद गत चैंपियन ली जिया के खिलाफ शानदार वापसी की।

भारत के बैडमिंटन स्टार लक्ष्य सेन ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के पुरुष एकल फाइनल में पहुंच गए हैं। 11वीं विश्व रैंकिंग वाले सेन ने सेमीफाइनल में पिछली बार के विजेता और सातवीं रैंकिंग वाले मलेशिया के ली जी जिया को बेहद रोमांचक मुकाबले में 21-13, 12-21, 21-19 से हराते हुए खिताबी मुकाबले में प्रवेश किया। फाइनल में सेन का सामना विश्व नंबर 1 विक्टर एक्सलसन और ताइपे के चौथी वरीयता प्राप्त चोउ तिएन चेन के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा।

अगर लक्ष्य फाइनल जीत जाते हैं तो 21 साल बाद भारत को टूर्नामेंट का खिताब दिलाने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी होंगे। आखिरी बार साल 2001 में पुलेला गोपीचंद ने पुरुष एकल का खिताब जीता था जबकि उनके अलावा सिर्फ प्रकाश पादुकोण ऑल इंग्लैंड का टाइटल जीत पाए हैं।

बेहद रोमाचंक मैच ने जीता दिल

लक्ष्य और जिया के बीच हुआ मुकाबला इस टूर्नामेंट के सबसे रोमाचंक मुकाबलों में एक था। लक्ष्य ने पहले सेट में जिया की एक नहीं चलने दी और बेहतरीन अंदाज में 21-13 से ये सेट अपने नाम किया। दूसरे सेट में जिया ने नेट गेम और अपने तेज-तर्रार स्मैश के आगे लक्ष्य को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया और लक्ष्य 12-21 से दूसरा सेट हार गए। तीसरे और निर्णायक सेट में लक्ष्य शुरुआत से जिया के पीछे ही चल रहे थे लेकिन दोनों के बीच अंकों का फासला हमेशा कम ही था। एक समय लक्ष्य 12-16 से पीछे थे। धीरे-धीरे लक्ष्य ने अपनी गति पकड़ी, जिया को थकाया, कुछ बेहतरीन स्मैश लगाए।

18-18 पर स्कोर बराबर लाने के बाद लक्ष्य ने लगातार दो अंक जीतकर तीन मैच प्वाइंट कमा लिए। अगले प्वाइंट पर गेम खत्म करने के चक्कर में लक्ष्य ने अंक गंवाया और स्कोर 20-19 हो गया। इसके बाद लक्ष्य ने कोई देर नहीं की और अगला अंक कमाकर जिया को 21-19 से मात दी और मैच अपने नाम कर लिया। पूरे मैच में गजब रोमांच बना रहा और कोर्ट में मौजूद दर्शकों का दोनों खिलाड़ियों ने अपने खेल से गजब मनोरंजन किया।

पाचंवी बार फाइनल में भारतीय

बैडमिंटन का सबसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट कहलाने वाली इस प्रतियोगिता के 100 साल से भी पुराने इतिहास में पांचवी बार कोई भारतीय खिलाड़ी फाइनल में आया है। 1980 में प्रकाश पादुकोण फाइनल में पहुंचकर जीते थे। अगले ही साल यानी 1981 में वो खिताबी मुकाबले में हार गए थे। इसके बाद साल 2001 में पुलेला गोपीचंद ने फाइनल में जाकर खिताब जीता था। चौथी बार साल 2015 में भारत की ओर से साइना नेहवाल महिला सिंगल्स के फाइनल में पहुंची थीं। और अब 7 साल बाद कोई भारतीय टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने में कामयाब हुआ है। लक्ष्य ने पिछले साल दिसंबर में विश्व चैंपियनशिप का ब्रॉन्ज जीता, उसके बाद जनवरी में इंडिया ओपन अपने नाम किया। हाल ही में लक्ष्य जर्मन ओपन के उपविजेता भी बने। ऐसे में इस युवा भारतीय खिलाड़ी के हौसले काफी बुलंद हैं।