ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन : सेमीफाइनल में हारी त्रीसा-गायत्री को जोड़ी, भारतीय चुनौती समाप्त

त्रीसा-गायत्री की जोड़ी लगातार दूसरे साल ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के सेमिफाइनल में हारी है।
त्रीसा-गायत्री की जोड़ी लगातार दूसरे साल ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में हारी है।

दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में शामिल ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारतीय चुनौती समाप्त हो गई है। महिला डबल्स के सेमीफाइनल में भारत की त्रीसा जॉली और गायत्री गोपीचंद की जोड़ी को हार का सामना करना पड़ा। लगातार दूसरे साल सेमीफाइनल खेल रही त्रीसा-गायत्री की जोड़ी को दक्षिण कोरिया की बाएक हा ना-ली यू लिम की जोड़ी ने 21-10, 21-10 से मात दी।

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त्रीसा और गायत्री की जोड़ी पिछले साल भी यहां सेमीफाइनल में हारकर बाहर हुई थी। विश्व रैंकिंग में 17वें नंबर की भारतीय जोड़ी को विश्व नंबर 15 कोरियाई जोड़ी ने सेमीफाइनल में ज्यादा मौके नहीं दिए। टूर्नामेंट में इससे पहले त्रीसा और गायत्री ने पूर्व विश्व नंबर 1 जोड़ी को हराकर अंतिम-4 में जगह बनाई थी। यही नहीं पहले दौर में उन्होंने सातवीं वरीयता प्राप्त जोड़ी को मात दी थी। लेकिन सेमीफाइनल में कोरियाई जोड़ी ने त्रीसा-गायत्री को 46 मिनट में ही हरा दिया।

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इसके साथ ही भारत के सभी खिलाड़ी टूर्नामेंट से बाहर हो गए हैं। महिला सिंगल्स में पीवी सिंधू पहले ही दौर में हारकर बाहर हो गई थीं जबकि लक्ष्य सेन, किदाम्बी श्रीकांत, एच एस प्रणॉय को पुरुष सिंगल्स के दूसरे दौर में हार मिली थी। सात्विक साईंराज और चिराग शेट्टी की जोड़ी भी पुरुष डबल्स के दूसरे दौर में हारकर बाहर हो गई। लक्ष्य सेन पिछले साल यहां उपविजेता बने थे।

भारत के लिए पहली बार ऑल इंग्लैंड का खिताब पुरुष डबल्स में साल 1980 में प्रकाश पादुकोण ने जीता था। पादुकोण अगले ही साल 1981 में उपविजेता बने थे। साल 2001 में पुलेला गोपीचंद ने यहां खिताब जीता था। महिलाओं में भारत की साइना नेहवाल साल 2015 में यहां उपविजेता बनी थीं। उनके अलावा कोई भी भारतीय महिला फाइनल तक नहीं पहुंची है। वहीं डबल्स की किसी भी स्पर्धा में कोई भी भारतीय जोड़ी इस टूर्नामेंट के फाइनल तक नहीं पहुंची है।

Edited by Prashant Kumar
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