चोटों की वजह से परेशान रहे बॉक्सर रोहित के ब्रॉन्ज के मायने परिवार के लिए गोल्ड के बराबर

29 साल के बॉक्सर रोहित का ये पहला कॉमनवेल्थ गेम्स मेडल है।
29 साल के बॉक्सर रोहित का ये पहला कॉमनवेल्थ गेम्स मेडल है।

भारतीय बॉक्सर रोहित टोकस ने कॉमनवेल्थ खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीता लेकिन उनके परिवार के लिए ये गोल्ड से कम नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि रोहित चोटों से उबरकर इस मुकाम तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं। रोहित ने बर्मिंघम में पुरुषों की 67 किलोग्राम बॉक्सिंग स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। अपनी सेमिफाइनल बाउट में रोहित को जाम्बिया के स्टीफन ज़िम्बा के खिलाफ 2-3 से स्प्लिट फैसले का शिकार होना पड़ा। लेकिन देशवासियों ने रोहित के जज्बे को सलाम किया।

1 अगस्त 1993 को दिल्ली के मुनिरका गांव में जन्में रोहित ने 14 साल की उम्र में मुनिरका बॉक्सिंग अकादमी में ही बॉक्सिंग ट्रेनिंग की शुरुआत की। रोहित के पिता प्रीत सिंह दिल्ली पुलिस से रिटायर हुए हैं। रोहित को प्यार से सभी 'जेरी' नाम से बुलाते हैं। रोहित ने दिल्ली से ही ग्रेजुएशन किया और कॉलेज के दौरान बॉक्सिंग को और तवज्जो दी।

साल 2010 में रोहित ने यूथ नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। 2011 में क्यूबन यूथ ओलंपिक में उन्हे सिल्वर मिला।साल 2013 में रोहित ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी गेम्स में गोल्ड जीतने में कामयाब रहे। रोहित ने 2015 में थाईलैंड में हुए किंग्स कप में ब्रॉन्ज जीता। 2017 में भी रोहित ने किंग्स कप में ब्रॉन्ज ही जीता।

रोहित ने साल 2018 में नई दिल्ली में हुए इंडिया ओपन में ब्रान्ज हासिल किया, इसी साल तीसरी एलीट मेन्स नेशनल चैंपियनशिप में रोहित ने गोल्ड मेडल हासिल किया। 2019 में ईरान में हुए मशहूर मकरन कप में रोहित ने ब्रॉन्ज अपने नाम किया।

रोहित का करियर चोटों से काफी प्रभावित रहा है। 2020 और 2021 में उन्हें कुछ समय इंजरी के कारण रिंग से भी दूर रहना पड़ा। 2022 कॉमनवेल्थ खेलों से पहले रोहित को गोल्ड का प्रबल दावेदार माना जा रहा था और रोहित ने शुरुआती दो दौर में विरोधी मुक्केबाजों को 5-0 के अंतर से हराकर मुकाबले जीते। लेकिन सेमिफाइनल बाउट में बराबरी की टक्कर में जजों के फैसले में रोहित मात खा गए। लेकिन रोहित का ब्रॉन्ज भी काफी अहम है। रोहित की जीत के बाद उनकी मां बेटे के घर आने का इंतजार कर रही है। छोले-चावल के शौकीन रोहित की मां यही खाना उन्हें खिलाने को बेताब है।

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Edited by निशांत द्रविड़