क्रिकेट हमेशा से अनिश्चिताओं का खेल रहा है। क्रिकेट के मैदान पर हर एक दिन कोई ना कोई नया रिकॉर्ड बनता या फिर टूटता है। क्रिकेट के मैदान पर गेंदबाजी करने वाली टीम के सभी खिलाड़ियों का महत्वपूर्ण योगदान होता है हालांकि विकेटकीपर का विशेष ही योगदान देखने को मिलता है।
बल्लेबाज के बाद विकेटकीपर ही एक ऐसे खिलाड़ी होते हैं जो पिच के सबसे करीब होते हैं और पिच किस तरीके का बर्ताव कर रही है इसका सबसे बेहतरीन अनुमान विकेटकीपर ही लगा सकता हैं और ऐसे में वह गेंदबाज को भी सही दिशा में गेंदबाज़ी करने में काफी मदद करते हैं।
हालांकि ज्यादातर विकेटकीपर की भूमिका विकेटकीपिंग के अलावा बल्लेबाजी करने की ही होती है लेकिन क्रिकेट के मैदान में कुछ ऐसे मौके भी आए हैं जब कीपरों ने दस्ताने छोड़कर गेंद को अपना साथी बनाया है और टीम को महत्वपूर्ण विकेट दिलाने में भी सफल रहे हैं।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज हम आपको दो ऐसे भारतीय विकेटकीपर के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने क्रिकेट के दो प्रारूपों में गेंदबाज़ी कर एकमात्र सफलता अपने नाम की है।
#1 टेस्ट क्रिकेट - सैयद किरमानी
1976 से लेकर 1986 तक भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट खेलने वाले सैयद किरमानी दाहिने हाथ के विकेटकीपर बल्लेबाज थे। 1983 के विश्व कप में बेस्ट विकेट कीपर का खिताब जीतने वाले सैयद किरमानी ने भारत के लिए कुल 88 टेस्ट और 49 वनडे मुकाबले खेले और कैच और स्टंपिंग मिलाकर 234 शिकार अपने नाम किए।
हालांकि इसके अलावा किरमानी ने 1983 में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मुकाबले की दूसरी पारी में पाकिस्तान के सलामी बल्लेबाज अजीम हफीज को आउट कर अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की पहली और एकमात्र सफलता हासिल की थी और उस पारी में उन्होंने 2 ओवर में 9 रन देकर एक सफलता हासिल की थी।
#2 वनडे क्रिकेट - एमएस धोनी
2007 से लेकर 2016 तक भारत के कप्तान रहे एमएस धोनी अगर विकेट के पीछे रहते हैं तो हर एक गेंदबाज का हौसला बना रहता है। धोनी के नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकेटकीपिंग के दौरान तीनों प्रारूपों में कैच और स्टंपिंग मिलाकर कुल 829 शिकार हैं जो कि किसी भी विकेटकीपर द्वारा सबसे ज्यादा शिकार के मामले में नम्बर तीन है।
विकेटकीपिंग के अलावा धोनी ने अपनी बल्लेबाजी से भी भारतीय टीम को कई बार अहम मुकाबले जिताए हैं। इसके अलावा विकेट के पीछे से धोनी ने गेंदबाजों को सही दिशा में गेंदबाजी कर विकेट लेने के भी बहुत तरीके बताए हैं।
इसके अलावा धोनी ने कभी कभी खुद भी गेंदबाजी का जिम्मा अपने सर लिया है और उन्होंने टेस्ट में 96 गेंदें और वनडे मे 36 गेंदें भी फ़ेंकी हैं।
2009 की चैंपियंस ट्रॉफी में वेस्टइंडीज के खिलाफ धोनी ने अपने पहले ही ओवर में ट्रेविस डाउलिन का विकेट लेकर अपने क्रिकेट करियर की पहली और एकमात्र सफलता हासिल की थी। उस मुकाबले में धोनी ने कुल 2 ओवर गेंदबाजी की थी और 14 रन देकर ट्रेविस की सफलता अपने नाम की थी।