भारतीय टीम या अन्य किसी भी टीम का खिलाड़ी हो, उसका वर्ल्ड कप में खेलना और जीतने का सपना जरुर होता है। भारतीय टीम के कई खिलाड़ियों ने दो बार से भी ज्यादा बार वर्ल्ड कप खेलकर यह सपना पूरा किया है। इसके अलावा कई भारतीय खिलाड़ी ऐसे भी रहे हैं जिन्हें वर्ल्ड कप में खिताब जीतने वाली टीम के ग्यारह खिलाड़ियों में मौका मिला है। एक क्रिकेटर के लिए इससे बड़ा पल कोई नहीं हो सकता, जब वह वर्ल्ड कप की ट्रॉफी अपने हाथ में लेता है। सचिन तेंदुलकर का यह सपना उनके आखिरी वर्ल्ड कप यानि 2011 में पूरा हुआ था।
भारतीय टीम ने विश्वकप का खिताब दो बार जीता है और एक बार फाइनल तक का सफर तय किया है। एक बार टी20 वर्ल्ड कप में भी भारतीय टीम को जीत दर्ज करने का मौका मिला है। इन सबके पीछे किसी न किसी खिलाड़ी का हाथ जरुर होता है। वैसे तो टीम के प्रयासों से ही बड़ी सफलताएँ मिलती है लेकिन एक या दो नाम ऐसे होते हैं जिनका खेल पूरे टूर्नामेंट के दौरान अलग होता है। ऐसे ही कुछ खिलाड़ियों का जिक्र इस आर्टिकल में किया गया है। इन खिलाड़ियों ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर भारतीय टीम को न केवल फाइनल तक पहुँचाया बल्कि खुद भी मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट बनकर निकले। अब तक भारतीय टीम की तरफ से दो खिलाड़ियों ने ऐसा किया है जिनकी चर्चा इस लेख में आपको मिलेगी।
भारतीय टीम के 2 वर्ल्डकप के मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट
सचिन तेंदुलकर
सचिन तेंदुलकर का नाम आते ही उनके रिकॉर्ड और पारियां दिमाग में घूमने लगती हैं। उन्होंने छह विश्वकप खेले हैं लेकिन 2003 में दक्षिण अफ्रीका में हुआ वर्ल्ड कप ज्यादा खास रहा। इस टूर्नामेंट में उन्होंने भारतीय टीम को फाइनल में पहुँचाया और खुद मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट बने। सचिन तेंदुलकर ने ग्यारह मैचों में 673 रन बनाए थे। भारतीय टीम को फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था लेकिन सचिन तेंदुलकर का प्रदर्शन यादगार रहा। उस वर्ल्डकप को याद करते ही सचिन का नाम ही सबसे पहले आता है।
युवराज सिंह
युवराज सिंह ने 2011 वर्ल्ड कप में टीम को जीत दिलाने के लिए अपनी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने ऑलराउंड प्रदर्शन कर मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट का अवॉर्ड जीता। युवराज सिंह ने इस वर्ल्ड कप में 362 रन बनाने के अलावा 15 विकेट भी चटकाए। भारतीय टीम को फाइनल तक का सफर तय कराने में इस हरफनमोला खिलाड़ी का योगदान काफी ज्यादा रहा था।