अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शुरुआत से लेकर अब तक कई बार बदलाव हुए हैं। इन बदलावों के कारण क्रिकेट की सफलता और इसके चाहने वालों में भी इजाफा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में हर दशक में कुछ न कुछ बदलाव देखने को मिलता ही है। फिर चाहे वह प्रारूप हो नियम हो या अन्य कोई बड़े बदलाव हो। कोरोना वायरस के समय गेंद पर लार बैन होना या घरेलू अम्पायरों को मैच में अम्पायरिंग की अनुमति देना आदि बदलाव भी हुए।
पुराने जमाने में क्रिकेट की गति धीमी थी और ज्यादा सीरीज भी उस जमाने में देखने को नहीं मिलती थी। ख़ास बात यह भी है कि उस दौर में सिर्फ टेस्ट क्रिकेट ही हुआ करता था। इससे दर्शकों के पास अन्य कोई विकल्प भी नहीं था। मैदान पर मैच नहीं देख पाने वाले लोग दर्शक नहीं होकर श्रोता होते थे क्योंकि मैच की कमेंट्री रेडियो पर लाइव आती थी। इसके बाद धीरे-धीरे बहुत चीजें और नियम इस खेल में बदल गए जिनके बारे में सोचने या पीछे मुड़कर देखने पर आपको अजीब लग सकता है। इस आर्टिकल में क्रिकेट की दो उन अहम चीजों का जिक्र किया गया है जो अब नहीं होती और पूरी तरह से बंद ही हो गई है।
क्रिकेट में दो चीजें जो पूरी तरह बंद हो गई
टेस्ट क्रिकेट के बीच में रेस्ट डे
आपको यह जानकार आश्चर्य जरुर हुआ होगा लेकिन यह सच है। पहले के जमाने में टेस्ट मैच के दौरान बीच में एक दिन रेस्ट के लिए होता था जिसमें खिलाड़ी बाजार जाने, फिशिंग या घूमने का आनन्द लेते थे। भारतीय टीम ने अंतिम बार कानपुर में श्रीलंका के खिलाफ 1994 में टेस्ट मैच में रेस्ट लिया था। 1996 में इंग्लैंड और भारत के बीच नॉटिंघम टेस्ट मैच के दौरान बीच में रेस्ट था। धीरे-धीरे यह प्रथा समाप्त हो गई और अब ऐसा बिलकुल देखने को नहीं मिलता है।
मैदान पर दर्शकों का आना
पहले मैच खत्म होने के बाद जश्न मनाने के लिए दर्शक मैदान पर आ जाते थे। खिलाड़ियों से हाथ मिलना और गले लगाना आदि चीजें दर्शक करते थे। एक बार स्टीव वॉ ने मैच में जीत का तीसरा रन पूरा ही नहीं किया था तभी दर्शक भागकर पिच पर चले गए। इस दौरान स्टीव वॉ को धक्का भी लग गया था। धीरे-धीरे खिलाड़ियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दर्शकों के मैदान पर आने की पाबंदी लगा दी गई।