Washington Sunder Team India Playing 11: पर्थ टेस्ट जीतने के बाद टीम इंडिया ने एडिलेड टेस्ट में अपनी प्लेइंग 11 में तीन बदलाव किए थे। रोहित शर्मा और शुभमन गिल की वापसी होना तय था। वहीं, वाशिंगटन सुंदर को रविचंद्रन अश्विन ने रिप्लेस किया था। पिंक बॉल टेस्ट में भारतीय टीम का प्रदर्शन शर्मनाक रहा और मेहमानों को 10 विकेट से करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। इस जीत की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने सीरीज में 1-1 बराबरी कर ली।
अब बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का तीसरा मैच 14 दिसंबर से खेला जाएगा। बुरी तरीके से हारने के बाद टीम इंडिया के खिलाड़ी जरूर दबाव में रहेंगे। वहीं, प्लेइंग 11 में फिर से कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं। आइए जानते हैं उन 3 कारणों के बारे में कि क्यों तीसरे टेस्ट में वाशिंगटन सुंदर को प्लेइंग 11 में मौका मिलना चाहिए।
3. रविचंद्रन अश्विन का पिछले कुछ मैचों से लय में ना होना
बांग्लादेश के खिलाफ हुई घरेलू टेस्ट सीरीज के बाद से रविचंद्रन अश्विन अपनी लय में नजर नही आ रहे। न्यूजीलैंड के खिलाफ हुई सीरीज में अश्विन सिर्फ 9 विकेट झटक पाए थे। वहीं, एडिलेड टेस्ट में उनके खाते में एक विकेट आया था। दूसरी तरफ, वाशिंगटन सुंदर ने न्यूजीलैंड के विरुद्ध शानदार प्रदर्शन करते हुए 16 विकेट अपने नाम किए थे। पर्थ टेस्ट में उन्होंने दो विकेट हासिल किए थे। तेज गेंदबाजों के बेहतरीन प्रदर्शन के चलते उन्हें ज्यादा गेंदबाजी करने का मौका नहीं मिला था।
2. वाशिंगटन सुंदर गाबा टेस्ट में बल्ले से दिखा सकते हैं दमखम
एडिलेड टेस्ट में भारत की हार की सबसे बड़ी वजह टीम की खराब बल्लेबाजी रही थी। यशस्वी जायसवाल, शुभमन गिल, रोहित शर्मा, केएल राहुल, विराट कोहली, ऋषभ पंत जैसे सभी प्रमुख खिलाड़ियों का बल्ला खामोश रहा। नितीश रेड्डी ने जरूर अपने बेहतरीन प्रदर्शन से फैंस का दिल जीता। सुंदर के प्लेइंग 11 में शामिल होने से टीम बल्लेबाजी क्रम संभवत: मजबूत होगा। वह रविचंद्रन अश्विन से कहीं बेहतर बल्लेबाज हैं।
1. रोहित शर्मा को एडिलेड में रविचंद्रन अश्विन की गेंदबाजी पर ज्यादा भरोसा नहीं था
भारत ने एडिलेड टेस्ट में वाशिंगटन सुंदर की जगह अश्विन को प्लेइंग 11 में शामिल करने का फैसला किया था, लेकिन कप्तान रोहित उन पर ज्यादा भरोसा नहीं दिखा रहे थे। पहले दिन के खेल में ऑस्ट्रेलिया ने 33 ओवर खेले थे और अश्विन को सिर्फ एक ओवर फेंकने को मिला था। टीम मैनेजमेंट का मानना था कि अश्विन पिंक बॉल टेस्ट में प्रभावी होंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं था। वह, बल्लेबाजी से भी योगदान देने में विफल रहे थे।