अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में हर टीम के कप्तान का एक सपना होता है कि वह अपने देश ही नही बल्कि विदेशी जमीन पर भी अपने नाम टेस्ट मैचों में जीत दर्ज करें। लेकिन हर किसी का सपना पूरा हो ऐसा मुमकिन नही। हर टीम का कप्तान यही चाहता है की उसके नाम हर महाद्वीप में टेस्ट जीत दर्ज हो और जब बात भारत की आये तो ये जीत ओर अधिक मायने रखती है।
भारत मे क्रिकेट को लेकर दीवानगी जगजाहिर है, ऐसे में हर टीम भारतीय टीम को भारत मे हराने को लेकर काफी उत्सुक नज़र आती है। भारतीय टीम को लेकर कहा जाता है कि उन्हें उनके घरेलू मैदान पर हराना काफी मुश्किल होता है, भारतीय गेंदबाज़ों की फिरकी से पार पाना काफी कठिन माना जाता है। यहां की स्पिन गेंदबाज़ों को मदद देने वाली पिचों पर भारतीय स्पिनरों ने विपक्षी टीम के कई बार छक्के छुड़ाए है।
हालाँकि ऐसी स्थिति में भी कई ऐसे कप्तान रहे है जिन्होंने अपने 11 खिलाड़ियों से भारतीय सरजमीं पर उनका शत प्रतिशत खेल मैदान पर बाहर निकाला और जीत हासिल की है। लेकिन कुछ ऐसे बड़े नाम भी है जो भारतीय सरजमीं पर बतौर कप्तान एक भी टेस्ट मैच जीतने मे नाकामयाब रहे।
आइये नज़र डालते है ऐसे तीन महानतम कप्तानों जो भारत में एक भी टेस्ट जीतने में सफल नहीं रहे:
#1. माइकल क्लार्क
इस ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी की कप्तानी में टीम ने जहाँ वर्ल्ड कप अपने नाम किया बल्कि कई बड़ी-बड़ी जीत हासिल की वही भारत मे माइकल क्लार्क की कप्तानी का रिकॉर्ड काफी बुरा रहा। 2012-13 में भारत के दौरे पर आयी ऑस्ट्रेलिया की टीम की अगुआई करने वाले क्लार्क बतौर कप्तान भारत मे बुरी तरह असफल रहे और 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में भारत ने 3-0 से ऑस्ट्रेलिया को मात दी।
पहले ही टेस्ट मैच में महेंद्र सिंह धोनी के शानदार दोहरे शतक की बदौलत भारत ने ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बना लिया था, जिसके बाद इस पूरी सीरीज में ऑस्ट्रेलिया की टीम खुद को समेटने में कामयाब नही हो पायी।
इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के चार खिलाड़ियों (मिचेल जॉनसन, शेन वाटसन, जेम्स पैटिंसन और उस्मान ख्वाजा) को अपने प्रदर्शन से संबंधी विचार नही रखने के कारण मोहाली में खेले जाने वाले टेस्ट मैच के लिए बैन लगा दिया गया। इस के बाद ऑस्ट्रेलिया टीम पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गयी और सीरीज बचाने में नाकाम रही। चौथे टेस्ट में माइकल क्लार्क के चोट के कारणों से नही खेल पाये और शेन वाटसन ने इस मैच में कप्तानी की। इसके बाद माइकल क्लार्क को बतौर टीम के कप्तान भारत मे टेस्ट सीरीज खेलने का मौका नही मिला और वह भारतीय सरजमीं पर बिना एक टेस्ट मैच जीते ही क्रिकेट से अलविदा कह गए।