क्रिकेट के शुरूआती दौर में हर खिलाड़ी का सपना यही होता है कि वह अपने देश की राष्ट्रीय टीम से खेले। इसके बाद अच्छे खेल के कारण कई खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम का नेतृत्व करने का मौका भी मिल जाता है। कई खिलाड़ी इस टास्क में सफल रहते हैं, तो कुछ खिलाड़ी असफल भी रहते हैं। सचिन तेंदुलकर महानतम खिलाड़ी रहे हैं लेकिन उनकी कप्तानी में टीम का प्रदर्शन ख़ास नहीं रहा था। सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी, राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले सहित कई भारतीय कप्तान खासे सफल भी रहे हैं। इसमें सफलता मिलने वाले कप्तान को याद रखा जाता है।
भारतीय टीम में समय-समय पर कई क्रिकेटरों को कप्तान बनने का मौका मिला है। कुछ पूर्ण रूप से इस पद को लम्बे समय तक सँभालते रहे और कई खिलाड़ी एक निश्चित समयकाल के लिए कप्तान रहे। जीत और हार तथा कप्तान का मैचों में प्रदर्शन काफी अहम रहता है। इसमें सबसे ख़ास बात जीत प्रतिशत भी है। भारतीय क्रिकेट में कुछ वनडे कप्तान ऐसे हुए हैं जिनकी कप्तानी में टीम ने शत प्रतिशत जीत का रिकॉर्ड रखा। ऐसे ही कुछ कप्तानों की बात इस आर्टिकल में की गई है। तीन खिलाड़ियों के बारे में यहाँ बताया गया है जिन्होंने कोई वनडे नहीं हारा।
अनिल कुंबले
जम्बो के नाम से मशहूर अनिल कुंबले ने अपनी कप्तानी में टेस्ट मैचों में काफी मैच टीम को जिताए लेकिन वनडे में उन्हें ज्यादा मौका नहीं मिला। चेन्नई में 2002 में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ भारत की कप्तानी की थी। भारत ने मैच में चार विकेट से जीत दर्ज की थी। अनिल कुंबले का वह एकमात्र मैच था जिसमें वे कप्तान रहे। इसके बाद अनिल कुंबले को वनडे प्रारूप में टीम की कप्तानी करने का मौका नहीं मिला। टेस्ट में वे पूर्ण कप्तान बने थे।
गौतम गंभीर
हालांकि गौतम गंभीर भारतीय टीम के पूर्ण कप्तान नहीं रहे लेकिन उन्हें कुछ मौकों पर वनडे टीम की कप्तानी करने का मौका मिला है। गंभीर ने धोनी की अनुपस्थिति में 2010 में न्यूजीलैंड के खिलाफ पांच मैचों की सीरीज में कप्तानी की। सभी मैच भारत ने जीते थे। इसके बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ एक अन्य मैच में भी उन्हें मौका मिला और यह मैच भी भारत जीता। गंभीर ने 6 मैचों में कप्तानी की और सभी भारत ने जीते।
अजिंक्य रहाणे
अजिंक्य रहाणे का वनडे कप्तानी में रिकॉर्ड अच्छा रहा है। उन्होंने 2015 के जिम्बाब्वे दौरे पर तीन मैचों की सीरीज के लिए रहाणे को कप्तान बनाया गया था। भारतीय टीम ने इन सभी मैचों में जीत दर्ज की थी। रहाणे को उसके बाद वनडे टीम की कमान सँभालने का मौका नहीं मिला। इसके बाद वे वनडे टीम में जगह स्थायी रखने में भी नाकाम रहे।