फिलहाल भारतीय क्रिकेट टीम को मजबूत तेज गेंदबाजी की वजह से जाना जा रहा है, लेकिन एक समय था जब भारत के पास गिने-चुने तेज गेंदबाज होते थे। जहीर खान ने लंबे समय तक भारतीय टीम की तेज गेंदबाजी को लीड किया है, लेकिन उनके जितने मैच खेलने का सौभाग्य भारतीय टीम में बेहद कम ही तेज गेंदबाजों को मिल पाया है।
कई ऐसे तेज गेंदबाज भारतीय टीम में आए जिनके पास स्किल की कोई कमी नहीं थी और उन्होंने लगातार अच्छा प्रदर्शन भी किया, लेकिन एक बार टीम से बाहर होने के बाद वे दोबारा टीम में नहीं आ सके। कई गेंदबाजों का करियर यकायक खत्म हो गया और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगने पाई।
एक नजर उन 3 भारतीय तेज गेंदबाजों पर जिनका करियर अचानक से खत्म हो गया।
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#3 प्रवीण कुमार
प्रवीण कुमार जब टीम में आए थे तो उनकी स्विंग कराने की कला ने सभी को प्रभावित किया था। प्रवीण गेंद को किसी भी पिच या किसी भी परिस्थिति में स्विंग कराने की क्षमता रखते थे। 2008 में ऑस्ट्रेलिया में हुए कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज़ में 4 मैचों में 10 विकेट लेने के बाद प्रवीण टीम के रेगुलर मेंबर हो गए थे।
भारतीय टीम में खेलने के अलावा आईपीएल में भी हैट्रिक लेकर प्रवीण ने खुद को और भी खास गेंदबाज साबित किया। भारत के लिए खेले 68 वनडे मुकाबलों में 77 विकेट लेने वाले प्रवीण को 2012 एशिया कप में खराब प्रदर्शन के कारण टीम से बाहर कर दिया गया।
टीम से बाहर होने के बाद प्रवीण फिर कभी वापस नहीं आ सके और अक्टूबर 2018 में उन्होंने क्रिकेट के सभी फ़ॉर्मेट से संन्यास की घोषणा कर दी।
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#2 आर पी सिंह
आर पी सिंह ने उत्तर प्रदेश के लिए रणजी खेलते हुए चयनकर्ताओं को प्रभावित किया था और 2005 में उन्होंने भारत के लिए वनडे डेब्यू किया था। अपने तीसरे वनडे मुकाबले में ही सिंह को मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड मिला था। उनकी स्विंग कराने की कला और आक्रामक स्वभाव ने उन्हें काफी जल्दी हिट करा दिया था।
2011 में इंग्लैंड के खिलाफ अपना आखिरी वनडे खेलने वाले सिंह को खराब फॉर्म के कारण दोबारा टीम में नहीं चुना गया। 2011 में ही अपना आखिरी टेस्ट खेलने वाले सिंह ने द ओवल में 34 ओवर फेंके थे जिसमें उन्हें विकेट नहीं मिला था। इसके बाद सिंह की काफी आलोचना की गई थी।
2011 में टीम से बाहर होने के बाद 2007 टी-20 वर्ल्ड कप विजेता सिंह को दोबारा टीम में नहीं चुना गया और 2016 में कुछ मैच खेलने के बाद से उन्हें आईपीएल में नहीं खरीदा गया।
#1 मुनाफ पटेल
मुनाफ पटेल को शुरुआती समय में काफी तेज गेंदबाजी करने के लिए जाना जाता था। पटेल लगातार 140 किमी प्रति घंटा से ज़्यादा की रफ्तार से गेंदबाजी करते थे। हालांकि, गंभीर चोट लगने के कारण पटेल की स्पीड में काफी गिरावट देखने को मिली।
स्पीड कम हो जाने के बावजूद मुनाफ का खेलना आसान नहीं था क्योंकि उन्होंने लाइन और लेंथ को अपना मेन हथियार बना लिया था। मुनाफ ने 2011 वर्ल्ड कप में भारत को विजेता बनाने में अहम भूमिका निभाई थी और भारत के लिए उन्होंने 70 वनडे मैचों में 86 विकेट हासिल किए थे।
2011 वर्ल्ड कप जीतने के बाद भारत के बेहद निराशाजनक इंग्लैंड दौरे के बाद मुनाफ को अचानक टीम से बाहर कर दिया गया और फिर दोबारा वह भारतीय टीम में शामिल नहीं हो सके। 13 टेस्ट मैचों में मुनाफ ने 35 विकेट हासिल किए थे तो वहीं उन्हें केवल 3 टी-20 मुकाबले खेलने का मौका मिला था।