भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाने के लिए खिलाड़ियों को काफी बेहतरीन प्रदर्शन करना पड़ता है। निरंतर घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को नेशनल टीम में आने का मौका मिलता है। कुछ खिलाड़ी नेशनल टीम में भी लगातार शानदार प्रदर्शन करके अपनी जगह पक्की कर लेते हैं तो वहीं कुछ खिलाड़ी नेशनल टीम में ज़्यादा समय नहीं बिता पाते हैं।
कई खिलाड़ी ऐसे भी रहे हैं जिन्होंने लंबे समय तक भारत के लिए अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन एक बार टीम से बाहर हो जाने के बाद उन्हें दोबारा टीम में जगह नहीं मिल पाई। कुछ खिलाड़ी लंबे समय से घरेलू क्रिकेट खेल रहे हैं, लेकिन भारतीय टीम के लिए उन्हें गिने-चुने मौके ही मिलते हैं।
आमतौर पर खराब प्रदर्शन के बाद खिलाड़ी को टीम से बाहर होते देखा गया है, लेकिन कुछ भारतीय खिलाड़ी मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड जीतने के बावजूद भारतीय टीम में वापसी नहीं कर पाए हैं।
एक नजर उन 4 भारतीय खिलाड़ियों पर जिन्होंने अपने आखिरी इंटरनेशनल मैच में मैन ऑफ द मैच का अवार्ड जीता, लेकिन फिर दोबारा उस फॉर्मेट की प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं बना सके।
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#4 सुब्रमण्यम बद्रीनाथ
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बद्रीनाथ के पास एक बल्लेबाज के तौर पर हर वह कला थी जिससे वह भारत के लिए शानदार बल्लेबाज बन सकते थे, लेकिन उनका दुर्भाग्य रहा कि उन्हें भारत के लिए बेहद कम ही मौके मिले। बद्रीनाथ ने घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया और फिर आईपीएल में चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए उनके शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें भारतीय टीम में चुना गया।
4 जून, 2011 को बद्रीनाथ ने भारत के लिए अपना एकमात्र टी20 मुकाबला खेला जिसमें उन्होंने 43 रन बनाए और मैन ऑफ द मैच रहे। इसके बाद 13 जून, 2011 को बद्रीनाथ ने भारत के लिए अपना आखिरी वनडे मुकाबला खेला।
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#3 अमित मिश्रा
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लेग स्पिनर अमित मिश्रा ने 2008 में अपना टेस्ट डेब्यू किया था तो वहीं 2003 में ही उन्हें भारत के लिए वनडे डेब्यू करने का मौका मिला था। हालांकि, मिश्रा बहुत अनलकी रहे क्योंकि उन्हें भारत के लिए केवल 36 वनडे मुकाबले खेलने का ही मौका मिला है।
मिश्रा ने 2016 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपनी आखिरी वनडे सीरीज खेली थी जिसमें वह मैन ऑफ द सीरीज रहे थे। भारत के लिए अपने आखिरी वनडे में मिश्रा को मैन ऑफ द मैच का अवार्ड मिला था, लेकिन इसके बाद से उन्हें वनडे में वापसी करने का मौका नहीं मिला।
हालांकि, मिश्रा को टी20 में खेलने का मौका दिया गया था और 2017 में उन्होंने भारत के लिए अपना आखिरी टी20 मुकाबला खेला था। मिश्रा के नाम 36 वनडे मैचों में 64 विकेट दर्ज हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें इतने लंबे करियर में बेहद कम ही मौके दिए गए हैं।
#2 प्रज्ञान ओझा
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2009 में भारत के लिए अपना टेस्ट डेब्यू करने वाले बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने हमेशा अपनी अहमियत साबित की थी। भले ही वनडे और टी-20 में ओझा को बेहद कम मौके मिले और वह उनमेें ज़्यादा प्रभावशाली साबित भी नहीं हुए, लेकिन लंबे फॉर्मेट में ओझा हमेशा शानदार प्रदर्शन किया।
भारत के लिए 24 टेस्ट मैचों में ओझा ने 113 विकेट झटके थे। 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ मुंबई के वानखेड़े मैदान में खेले गए टेस्ट मैच में ओझा ने 10 विकेट हासिल किए थे। अपने करियर में ओझा ने पहली बार एक टेस्ट में 10 विकेट हासिल किए थे जिसके बाद उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया था।
भले ही लोगों को यह पता था कि यह सचिन तेंदुलकर का आखिरी इंटरनेशनल मैच है, लेकिन शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इतना शानदार प्रदर्शन करने के बावजूद यह ओझा का भी आखिरी मैच हो जाएगा।
#1 इरफान पठान
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भारत के स्विंग मास्टर के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले इरफान पठान ने अपने करियर में कई शानदार उपलब्धियां हासिल की थी। पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच के पहले ओवर की पहली तीन गेंदों पर ही उनके द्वारा हासिल की हैट्रिक को शायद ही कोई भारतीय क्रिकेट फैन भूल पाएगा।
हालांकि, पठान के करियर में भी काफी उतार-चढ़ाव आए और एक बार टीम से बाहर होने के बाद अपनी वापसी के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। 2004 में वनडे डेब्यू करने वाले पठान ने अगस्त 2012 में अपना आखिरी वनडे मुकाबला खेला था और श्रीलंका के खिलाफ 5 विकेट हासिल करके मैन ऑफ द मैच रहे थे।
हालांकि, इतने शानदार प्रदर्शन के बावजूद उन्हें वनडे टीम में दोबारा मौका नहीं मिला और अक्टूबर 2012 में उन्होंने भारत के लिए टी-20 मुकाबले के रूप में अपना आखिरी मैच खेला। पठान के नाम 301 इंटरनेशनल विकेट दर्ज हैं।