किसी भी खिलाड़ी के लिए चोटिल होना उसके करियर पर ग्रहण लगा सकता है। वैसे तो चोटें हर खेल का हिस्सा हैं लेकिन कई बार किसी गंभीर चोट की वजह से खिलाड़ी का करियर भी खत्म हो सकता है। ऐसे में किसी दिग्गज खिलाड़ी के टीम से बाहर होने पर उस टीम के प्रदर्शन पर भी बुरा असर पड़ता है।
हालाँकि,अब अच्छी फिटनेस तकनीकों और कड़े डाइट प्लान के साथ खिलाड़ी लंबे समय तक फिट रहते हैं लेकिन पिछले कुछ सालों में टीम इंडिया के कई दिग्गज खिलाड़ी ऐसे रहे जिन्हें अस्वस्थ होने के कारण क्रिकेट को हमेशा के लिए अलविदा कहना पड़ा। इससे टीम इंडिया के प्रदर्शन पर भी असर पड़ा। आज हम आपको बताने जा रहे हैं तीन ऐसे चुनिंदा भारतीय क्रिकेटरों के बारे में जिनमें अभी काफी क्रिकेट बची थी लेकिन चोटिल होने की वजह से वह टीम में पूरा योगदान नहीं दे पाए:
आशीष नेहरा
36 वर्ष की उम्र में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ भारतीय टी-20 टीम में वापसी करने वाले नेहरा के दृढ़ निश्चय की दाद देनी होगी। बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ ने अपने 18 साल लंबे अंतराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में भारत के लिए शानदार गेंदबाज़ी की है। 1999 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट मैच से अपने करियर की शुरुआत करने वाले नेहरा ने भारत को विश्व कप 2003 के फाइनल में पहुंचाने में बेहद अहम भूमिका निभाई थी। इस विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने 6 विकेट लेकर तहलका मचा दिया था।
ज़हीर खान के साथ मिलकर उन्होंने भारत के गेंदबाज़ी आक्रमण की कमान संभाली। हालाँकि, दिल्ली के तेज गेंदबाज को अपने पूरे करियर में चोटों से दो-चार होना पड़ा। अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ दौर में वह घुटने और कंधे की चोट से जूझते रहे जिसके बाद उन्हें लंबे समय तक क्रिकेट से दूर रहना पड़ा। विश्व कप 2011 में सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ चोटिल होने के बाद उन्होंने पांच साल बाद राष्ट्रीय टीम में वापसी की।लेकिन अपनी वापसी के तुरंत बाद नेहरा ने 2016 में खेले गए एशिया कप में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी।
ज़हीर खान
ज़हीर खान को कपिल देव के बाद भारत का सबसे सर्वश्रेष्ठ तेज़ गेंदबाज़ माना जाता है लेकिन अपने लगभग डेढ़ दशक लंबे करियर में वह भी चोटों से बच नहीं पाए।
ज़हीर ने अकेले दम पर भारत को कई मैच जिताये हैं। 2000 में केन्या के खिलाफ वनडे श्रृंखला से अपने अंतराष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने वाले बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ ने अपने करियर की शुरुआत में विश्व कप 2003 में भारत को फाइनल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
2003 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला के पहली ही मैच में ज़हीर चोटिल हो गए जिसके बाद उन्हें पूरी श्रृंखला से बाहर होना पड़ा। इसके ठीक चार साल बाद दोबारा भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे में मेलबर्न में खेले गए पहले टेस्ट में वह चोटिल हुए और इसके बाद पूरे दौरे में उन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला। ज़हीर ने विश्व कप 2011 में 9 मैचों में 21 विकेट लेकर भारत को 28 साल बाद विश्व विजेता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लगातार चोटिल होने और गिरती फिटनेस के कारण ज़हीर ने 2014 में अंतराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया था।
युवराज सिंह
युवराज सिंह को विश्व कप 2011 के बाद कैंसर की वजह से 18 महीनों के लिए क्रिकेट से दूर होना पड़ा। यह भारतीय क्रिकेट के लिए सबसे बड़ा नुकसान था। विश्व कप के दौरान युवराज को खून की उल्टियां हुईं थी लेकिन फिर भी वह टीम के साथ खड़े रहे और भारत को विश्व विजेता बनाने में सूत्रधार की भूमिका निभाई।
अपने इसी जुनून और समर्पण की वजह से युवी ने विश्व कप में मैन ऑफ द सीरीज़ का पुरस्कार जीता था। उस समय वह अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ दौर से गुज़र रहे थे लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें कैंसर की वजह से क्रिकेट से दूर होना पड़ा।
मुमकिन था कि अगर वह स्वस्थ रहते तो निश्चित रूप से 11,000 से अधिक वनडे रन बनाने के साथ-साथ 200 विकेट भी ले लेते। अपने ऑलराउंडर प्रदर्शन के दम पर वह दुनिया के महान खिलाड़ियों की फेहरिस्त में शामिल हो सकते थे लेकिन ऐसा हो ना सका। फिलहाल उन्होंने अपने वनडे करियर में 8701 रन बनाए और 111 विकेट हासिल किये हैं। युवी इस समय एक साल से टीम इंडिया से बाहर चल रहे हैं और उनके लिए अब टीम में वापसी करना बहुत मुश्किल लगता है।