चोटिल खिलाड़ी और युवा टीम के साथ भारतीय दल ने ऑस्ट्रेलिया (Australia) में विजयी परचम लहराते हुए हर किसी को चौंकने पर मजबूर कर दिया। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि भारतीय टीम इस तरह से एक मजबूत गेंदबाजी आक्रमण वाली टीम को पराजित करते हुए सीरीज में पटखनी देगी। भारतीय टीम में जिस भी खिलाड़ी को खेलने का मौका मिला, उसने पूरा फायदा उठाते हुए अपना बेस्ट देने का प्रयास किया। यह एक सामूहिक प्रयास था जिसके कारण भारतीय टीम (Indian Team) को एडिलेड टेस्ट में हार के बाद आगे के सभी मैचों में बेहतर बताया गया।
घरेलू जमीन पर खेलने वाली ऑस्ट्रेलिया की टीम के लिए कई तरह के बयान सीरीज शुरू होने से पहले आए थे। इनमें एक बयान यह भी था कि भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया से सभी चारों टेस्ट में हार का सामना करना पड़ेगा। ब्रिस्बेन टेस्ट में भी ऑस्ट्रेलिया ने बेहतर शुरुआत के बाद अंत में मैच गंवा दिया, इसके कुछ कारण भी हैं जिनके बारे एम् यहाँ चर्चा की गई है।
पहली पारी में शार्दुल-सुंदर की साझेदारी
पहली पारी में जब भारतीय टीम ने अपने 6 विकेट महज 186 रन पर गंवा दिए थे, उस समय शार्दुल ठाकुर और वॉशिंगटन सुंदर ने टिककर खेलते हुए शतकीय साझेदारी करते हुए कंगारू टीम को एक बड़ी बढत लेने से रोक दिया। दोनों ने अहम अर्धशतक जड़े और भारतीय टीम की जीत में इनके ये रन महत्वपूर्ण साबित हुए और ऑस्ट्रेलिया को भारी पड़े।
दूसरी पारी में भारत की गेंदबाजी
ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी के दौरान भारतीय युवाओं ने बेहतरीन गेंदबाजी की। सिराज ने 5 और शार्दुल ठाकुर ने 4 विकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया को बड़े स्कोर से पहले रोककर भारत के लिए लक्ष्य कम करने में अहम योगदान दिया। इसका खामियाजा ऑस्ट्रेलिया को भुगतना पड़ा। 400 रन का लक्ष्य होता तो शायद मैच का परिणाम कुछ और भी हो सकता था।
पुजारा और पन्त की बल्लेबाजी
चेतेश्वर पुजारा ने दूसरी पारी में 56 रन बनाए लेकिन उसके लिए उन्होंने 211 गेंदों का सामना किया। अगर पुजारा इतने समय तक खड़े रहकर एक छोर नहीं सँभालते तो भारतीय टीम ऑल आउट भी हो सकती थी। इसके बाद ऋषभ पन्त को खुलकर रन बनाने का मौका मिला और उन्होंने अंत तक बल्लेबाजी करते हुए जीत दिलाई। पुजारा के साथ शुभमन गिल ने भी साझेदारी की। पुजारा ने जितनी गेंद वहां खेली, उसका नुकसान ऑस्ट्रेलिया की टीम को हुआ।