#2 1983 विश्वकप- एक जीत जिसने भारत को नॉक आउट के लिए प्रेरित किया
1983 में भारत पहली बार विश्व चैंपियन बना था। इस टूर्नामेंट में भारत ने लाजवाब प्रदर्शन करते हुए ग्रुप मैचों में विरोधी टीमों को करारी शिकस्त देते हुए अच्छी बढ़त बना ली थी और ग्रुप चरण के ही अंतिम मुकाबले में भारत का मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से होना था। इस मैच में कपिल देव ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और ऑस्ट्रेलिया के सामने 247 रनों का स्कोर खड़ा किया।
वहीं इसके जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम मात्र 129 रनों के स्कोर पर ही पवेलियन लौट गई। इस मैच में भारत की ओर से रोजर बिन्नी और मदन लाल ने बेहतरीन गेंदबाजी करते हुए चार-चार विकेट चटकाए और सेमीफाइनल में प्रवेश किया।
#1 2011 विश्वकप- जब भारत ने चैंपियन बनने के लिए रोकी ऑस्ट्रेलिया की राह
2011 में भारतीय क्रिकेट टीम दूसरी बार विश्व चैंपियन बनी थी। इस विश्वकप टूर्नामेंट में भारतीय टीम ने शुरुआत से ही अपना विजय अभियान शुरू किया हुआ था और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई वाली टीम ने लाजवाब प्रदर्शन किया। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 260 रनों का स्कोर खड़ा किया था।
वहीं इस लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को सचिन तेंदुलकर और गौतम गंभीर ने अपने अपने अर्धशतकों की बदौलत बेहतरीन शुरुआत दिलाई। जबकि अंत में युवराज सिंह और सुरेश रैना की 74 रनों की साझेदारी ने भारत की जीत की नींव रखी और इस तरह से ऑस्ट्रेलिया का एक बार फिर से चैंपियन बनने का सपना चकनाचूर हुआ और भारत जीत की राह पर आगे बढ़ गया।