टी-20 क्रिकेट आज के समय में सबसे एंटरटेनिंग फॉर्मेट है और उसका क्रेडिट जाता है हार्ड हिटिंग बल्लेबाज़ी को। बड़े शॉट तो वनडे क्रिकेट में भी देखने को मिलते है और यह उसकी सफलता का कारण भी हैं, लेकिन कई मायनों में यह दोनों फॉर्मेट एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं।
किसी भी खिलाड़ी के लिए इन दोनों फॉर्मेट को एक ही मानसिकता से खेलना एक बड़ी चुनौती होती है और उस खिलाड़ी की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वो अपने आप को किसी भी हालत में कैसे ढालता है।
ऐसे बहुत से क्रिकेटर्स रहे हैं, जिन्होंने दोनों फॉर्मेट्स में अपना दबदबा बनाए रखा। हालांकी कुछ ऐसे भी खिलाड़ी रहे, जो 50 ओवर के खेल में तो अच्छा करते हैं, लेकिन टी-20 फॉर्मेट में वो नाकाम हो जाते हैं।
आइए नज़र डालते हैं, ऐसे ही 5 खिलाड़ियों पर:
#) रिकी पोंटिंग
रिकी पोंटिंग इस खेल के सबसे सफल कप्तानों में से एक हैं। ऑस्ट्रेलियाई टीम ने उनकी कप्तानी के दौरान ही कई बड़े मुकाम हासिल किए, जिसमें टीम टेस्ट और वनडे में रैंकिंग में नंबर एक पोजिशन पर भी रहे। इसके अलावा टीम ने उनकी कप्तानी में दो बार विश्व कप भी जीता।
कप्तानी के अलावा पोंटिंग क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों में से एक शानदार बल्लेबाज़ भी थे। वो गेंद को आसानी से मैदान के बाहर मार सकते थे और जो पारी उन्होंने 2003 के विश्व के फ़ाइनल में भारत के खिलाफ खेली, उसे कौन भूल सकता है। जोहन्सबर्ग से अच्छा उदरहरण उनकी हार्ड हिटिंग बल्लेबाज़ी के लिए और क्या हो सकता हैं।
उन्होंने वनडे में 80.39 की स्ट्राइक रेट और 42.03 की औसत से 13,000 से ऊपर रन बनाए। हालांकि वो टी-20 फॉर्मेट में सफल नहीं हो पाए और 48 टी20 मैच खेलने के बाद भी वो सिर्फ 909 रन बनाए वो भी 110.98 की स्ट्राइक रेट से।
# सौरव गांगुली
1999 के विश्व कप में 158 गेंदों में 183 रनों की शानदार पारी कौन भूल सकता है। "प्रिंस ऑफ कोलकाता" सौरव गांगुली भारतीय टीम के सफल कप्तानों में से एक थे। उनकी कप्तानी में टीम ने कई यादगार मैचों में हिस्सा लिया और कई यादगार जीत भी दर्ज की।
उनकी और सचिन की जोड़ी ने वनडे में कई बार शानदार ओपनिंग साझेदारी की और कई रिकॉर्ड अपने नाम किए। गांगुली के नाम वनडे में 11000 से ऊपर रन हैं। 311 वनडे मैच में उन्होंने 190 छक्के लगाए और इस बीच इनकी स्ट्राइक रेट 73.70 की रही, जोकि वनडे क्रिकेट में अच्छी मानी जाती हैं।
हालांकि वो टी-20 क्रिकेट में वो सफल नहीं हो पाए। 77 मैच खेलने के बाद भी वो सिर्फ 1,726 रन ही बना पाए और उनकी स्ट्राइक रेट भी 107 ही रहा। उनकी औसत भी 25.01 की रही। वो इस बीच कोलकाता नाइटराइडर्स और पुणे वॉरियर्स इंडिया के साथ आईपीएल में रहे, लेकिन वो कुछ खास नहीं कर पाए।
# क्रिस केर्न्स
क्राइस्टचर्च में साल 1999 में भारत के खिलाफ 80 गेंदों में 115 रनों की पारी कौन भूल सकता है। क्रिस केर्न्स न्यूज़ीलैंड के लिए काफी उपयोगी खिलाड़ी थे और वो एक बिग हिटर भी थे। वो एक ऑलराउंडर थे और टीम को अच्छा बैलेंस देते थे।
उन्होंने न्यूज़ीलैंड के लिए 215 वनडे खेले, जिसमें उन्होंने 84.26 की स्ट्राइक रेट से 4,950 रन बनाए। उनके नाम 201 विकेट भी दर्ज थे। उन्होंने वनडे में 153 छक्के लगाए थे।
इतने अच्छे आंकड़े होने की बाद उनसे टी-20 में काफी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जाती हैं। हालांकि वो उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सके और वो सिर्फ 14 मैच ही खेल पाए और 176 रन बनाए और 118.12 की खराब स्ट्राइक रेट से।
# नाथन एस्टल
नाथन एस्टल का वनडे में रिकॉर्ड शानदार रहा। उन्होंने 223 मैच में 7,090 रन बनाए। उन्होंने इस बीच 16 शतक और उनकी स्ट्राइक रेट 72.64 की रही। वो न्यूजीलैंड की तरफ से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट में भी शामिल हैं।
हालांकि टी-20 में उनका रिकॉर्ड बहुत ही खराब रहा। उन्होंने न्यूज़ीलैंड के लिए और इंडियन क्रिकेट लीग में मुंबई चैम्प के लिए टी-20 खेले हैं। उन्होंने 22 टी-20 मैच में 545 रन बनाए, वो भी 115.46 की स्ट्राइक रेट से।
# लांस क्लूजनर
लांस क्लूजनर साल 1990 में दक्षिण अफ्रीका एक शानदार ऑलराउंडर में से एक थे। 1999 के विश्व कप में उनके प्रदर्शन को शायद ही कोई भूल सकता हैं। क्लूजनर ने दक्षिण अफ्रीका के लिए 171 वनडे खेले और 89.91 की स्ट्राइक से से 3,576 रन बनाए और उनकी औसत भी 41,10 की थी।
उनकी ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी की वजह से दक्षिण अफ्रीका ने कई बड़े मैच जीते। हालांकि वो टी-20 क्रिकेट में फ्लॉप रहे। उन्होंने 53 टी-20 मैच खेले और वो सिर्फ चार बार ही 50 के ऊपर रन बनाए और उनकी स्ट्राइक रेट 136.10 का रहा।