5 दिग्गज भारतीय खिलाड़ी जिन्हें अच्छा फेयरवेल नहीं मिला

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क्रिकेट का खेल हो या कोई और खेल, मैदान पर खिलाड़ी अपने अच्छे पदार्पण के साथ-साथ सुखद और यादगार फेयरवेल यानी विदाई चाहता है। क्रिकेट के मैदान पर कई ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जिन्हें उनकी टीमों ने शानदार फेयरवेल दिया गया। सचिन तेंदुलकर की विदाई याद करें तो उनका फेयरवेल कितना बेहतरीन और यादगार रहा था यह शायद ही कोई भूला हो।

विदेशी खिलाड़ियों की बात करें तो एलिस्टेयर कुक को भी इंग्लैंड की टीम ने गजब का फेयरवेल दिया। लेकिन कई ऐसे भी कई खिलाड़ी रहे हैं जिन्हें उनकी योग्यता के अनुसार विदाई नहीं दी गई, वह उस सम्मान से मौदान से बाहर नहीं जा पाए जिसके के हकदार वो रहे। ऐसे कई खिलाड़ी विदेशी टीमों में हैं तो वहीं,भारतीय क्रिकेट टीम के भी कई ऐसे गेंदबाज और बल्लेबाज रहे हैं जिन्हें उनकी योग्यता के हिसाब से वैसे सम्मान नहीं दिया जिसके वह हकदार थे। हम बता रहे हैं पांच ऐसे भारतीय खिलाड़ियों के बारे में जिन्हें यादगार विदाई नहीं मिली:

#1)राहुल द्रविड़:

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क्रिकेट के खेल में सबसे सम्मानित खिलाड़ियों में से एक राहुल द्रविड़ अपने समय के बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक रहे हैं। राहुल द्रविड़ अपनी सादगी और शांत स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। राहुल द्रविड़ ने अपना अखिरी टेस्ट मैच एडिलेड में जनवरी 2012 में खेला था। हालांकि उसके कुछ दिन बाद ही मार्च 2012 में उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी थी।

राहुल द्रविड़ के लिए यह दौरा साधारण ही रहा जिस दौरान उन्होंने अपने टेस्ट करियर को अलविदा कह दिया। राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ी का इस तरह से संन्यास लेना वाकई दिल तोड़ने जैसी घटना थी। राहुल द्रविड़ का संन्यास भले ही धूमधाम या आकर्षक नहीं रहा हो लेकिन फिर भी राहुल द्रविड़ के व्यक्तित्व में कोई कमी नहीं आई और वह भारत के युवा खिलाड़ियों को तराशने में जुटे हैं।

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#2 वीवीएस लक्ष्मण

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भारत को कई मैच जीताने वाले और कलात्मक बल्लेबाज के तौर पर मशहूर वीवीएस लक्ष्मण पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ बल्लेबाजी करने के लिए जाने जाते थे। पिछले बल्लेबाजों के साथ बल्लेबाजी करते हुए वह कई बार भारत को फिनिशिंग लाइन के पार तक ले गए। लक्ष्मण की ऐसी प्रतिभा थी कि उनके जाने के बाद भी भारतीय टीम 6वें नंबर पर उनके स्थान पर एक खिलाड़ी की तलाश कर रही है।

लक्ष्मण का आखिरी टेस्ट मैच द्रविड़ जैसा ही था, जनवरी 2012 में एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ। उन्होंने कुछ महीने बाद संन्यास की घोषणा की। यह भारतीय टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का एक दुखद हिस्सा रहा। भारत के दो महानतम और सबसे योग्य बल्लेबाजों को कभी विदाई मैच खेलने का मौका नहीं मिला।

#3 वीरेंदर सहवाग

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वीरेंर सहवाग के का करियर जितना उफान पर रहा उनका संन्यास उतना ही ढलान भरा रहा। सहवाग ने अपनी बल्लेबाजी के दम पर कई गेंदबाजों की बत्ती गुल कर दी थी। खिलाड़ियों को काफी रुका रहा। सहवाग ने अपने दिन कई महान तेज गेंदबाजों को क्लीन बोल्ड करने के लिए लिया। उन्होंने 82 की स्ट्राइक रेट से 8586 टेस्ट रन बनाए, जिसे कई बल्लेबाज एकदिवसीय क्रिकेट में भी हासिल नहीं कर पाए। मुश्किल मानते हैं।

दिल्ली के इस बल्लेबाज ने अपने तेज शतक से भारत के लिए कई मैच जीते और कई रिकॉर्ड बनाए। सहवाग ने अपना आखिरी टेस्ट मार्च 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हैदराबाद में खेला था, जबकि उन्होंने अपने जन्मदिन 20 अक्टूबर, 2015 को क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा की थी।

4) जहीर खान:

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जहीर खान भारत के सबसे कुशलतम गेंदबाजों में से एक रहे हैं। उनके पास गेंदबाजी में काफी विभिन्नता थी। बेहतरीन यॉर्कर, चतुराई भरी लेग कटर, एक घातक इनस्विंगर से उन्होंने कितने बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाई।जहीर खान ने अपने करियर के उफान के दौरान अच्छी गेंदबाजी की।

उन्होंने दुनिया के कुछ सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में शुमार ग्रीम स्मिथ जैसे बल्लेबाजों को बखूबी परेशान किया। इस प्रदर्शन के बाद वाकई इस खिलाड़ी को एक बेहतरीन फेयरवेल की जरूरत थी। लेकिन जहीर खान के साथ ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने वेलिंगटन में फरवरी 2014 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट खेला, जबकि उन्होंने 15 अक्टूबर 2015 को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की।

#5 महेंद्र सिंह धोनी:

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भारतीय टीम महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में पहली बार दुनिया की नंबर एक टेस्ट टीम बनी। धोनी ने भारत को विश्व कप जिताया, चैपियंस ट्रॉफी में भी भारत ने बाजी मारी। ऐसी कई बातें हैं जो महेंद्र सिंह धोनी के हिस्से में जाती है। दिसंबर 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टेस्ट सीरीज के बीच में अचानक टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला ले लिया।

उस समय भी किसी को इसके बारे में नहीं पता था। भारतीय टीम को नई बुलंदियों पर पहुंचाने वाले धोनी अच्छी विदाई के हकदार थे लेकिन वह उनको मिला नहीं।

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Edited by मयंक मेहता