1974 से आरम्भ हुए अपने वनडे अंतर्राष्ट्रीय सफ़र के इतिहास में भारत ने अभी तक कई अविस्मरणीय उपलब्धियां हासिल की हैं, जिसमें 1983 वर्ल्ड कप विजेता से लेकर 1985 वर्ल्ड सीरीज और 2003 विश्व कप की यादगार यात्रा के साथ 2011 में पुनः विश्व चैम्पियन बनना शामिल है l इस यात्रा के दौरान भारतीय क्रिकेट में 1990 के दशक को एक ऐसा दौर कहा जा सकता है, जिसमें भारतीय क्रिकेट अपने पुराने कलेवर को छोड़ नए रंग में ढलने की कोशिश कर रही थीl इस दौर में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे युवा क्रिकेटर उभर कर सामने आए जिन्हें नयी सदी (21वीं) के पहले दशक में भारतीय टीम का दिग्गज बनना था l
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तो आइये आज याद करते है नब्बे के दशक में भारतीय टीम द्वारा खेले गए उन यादगार वनडे मैचों को जिन्हें फैंस कभी नहीं भूल पायेंगे:
भारत vs दक्षिण अफ्रीका (जुबली टूर्नामेंट, हीरो कप: 24 नवम्बर 1993)
24 नवम्बर 1993 को कोलकाता के इडेन गार्डन मैदान में लगभग 1 लाख दर्शकों के सामने हीरो कप के सेमीफाइनल में भारतीय टीम ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था l हालांकि, टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम स्कोर बोर्ड पर कोई बड़ा स्कोर (195 रन) खड़ा नहीं कर पाई थी l 196 रनों के लक्ष्य को बचाने उतरे टीम के तेज गेंदबाज कपिल और श्रीनाथ ने शुरू से ही गेंदबाजी में अपनी पकड़ बनाए रखी थी , लेकिन मैच को भारतीय टीम के पाले में लाने का काम लेग स्पिनर अनिल कुंबले ने किया था जिन्होंने 10 ओवर में मात्र 29 रन देकर 2 विकेट चटकाए थे | रोमांच से भरे कभी न भूलने वाले इस यादगार मैच का आखिरी ओवर सचिन तेंदुलकर ने डाला था और अंत में भारतीय टीम इस कांटे के मुकाबले को 2 रनों से जीतने में कामयाब रही थी l
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भारत vs पाकिस्तान (वर्ल्ड कप 1996: 9 मार्च 1996)
1996 में खेले गए वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के क्वार्टर फाइनल मुकाबले को भी इस सूची में रखा जा सकता है l भारत के बैंगलोर में हुए इस मुकाबले में भारत ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया था l यह मैच स्लॉग ओवेरों में अजय जडेजा द्वारा 25 गेंदों में 45 रन बनाने के अलावा वेंकटेश प्रसाद की आक्रामक गेंदबाजी के लिए भारतीय दर्शकों के दिलों- दिमाग में बसा है l भारत के 287/8 के जवाब में पाकिस्तान ने 248/9 का स्कोर बनाया और भारतीय टीम ने इस मैच को 39 रनों से जीता था l नवजोत सिंह सिद्धू को 93 रन के लिए मैन ऑफ़ द मैच दिया गया था l
भारत vs ऑस्ट्रेलिया (टाइटन कप: 21 अक्टूबर 1996)
टाइटन कप में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बैंगलोर में खेले गए तीसरे मुकाबले को भी नब्बे के दशक में न भूले जाने वाले भारत के वनडे मैच की सूची में रखा जा सकता है l हाल में ही इस मैच को सचिन तेंदुलकर ने भी उनके द्वारा याद रखा जाने वाला एक रोमांचक मैच कहा है l ऑस्ट्रेलिया ने मैच में टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करते हुए 215 रन का स्कोर खड़ा किया था l लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की तरफ से सचिन (88 रन) के अलावा सभी बल्लेबाज विफल रहे थे l भारत का आठवां विकेट सचिन के रूप में 164 रन पर गिर चुका था | अब भारत की तरफ से, क्रीज पर दो गेंदबाज श्रीनाथ और कुंबले बल्लेबाज के रूप में मौजूद थे l धड़कनों को थाम लेने वाले इस मुकाबले में श्रीनाथ और कुंबले ने नौवें विकेट के लिए 52 रन जोड़कर अंततः भारत को जीत दिला दी थी l
भारत vs ऑस्ट्रेलिया (कोका-कोला कप: 24 अप्रैल 1998)
1998 में शारजाह में खेला गया कोका – कोला कप को सचिन तेंदुलकर द्वारा किये गए अविस्मरणीय प्रदर्शन के लिए हमेशा याद रखा जाएगा l 24 अप्रैल 1998 को कोका – कोला कप के फाइनल में भारत ने पास जीत कर पहले गेंदबाजी करने का फैसला लिया था | ऑस्ट्रेलिया पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में 272 रन का एक अच्छा खासा टोटल खड़ा किया था, लेकिन उन दिनों सचिन की बैटिंग एक अलग की मुकाम पर थी और उन्होंने अपने जन्मदिन के मौके पर 134 रनों की शानदार पारी खेली और टीम को जीत दिलाई l उनकी बैटिंग को देखते हुए ऐसा लग रहा था कि अगर कोई टीम 350 रन का भी लक्ष्य देती तो सचिन उसे पूरा कर देते l नब्बे के दशक का कभी न भूला जा सकने वाला यह पूरा टूर्नामेंट ही सचिन के प्रदर्शन के कारण प्रसिद्ध हो गया l
भारत vs पाकिस्तान (सिल्वर जुबली इंडिपेंडेंट कप: 18 जनवरी 1998)
1990 के दशक में भारत द्वारा खेले गए रोमांचक मैच की सूची में इस मैच का भी अपना अलग स्थान है l सन 1998 की शुरुआत के जनवरी महीने के कड़ाके की ठण्ड और धुंध के बीच भारत ने पहली बार 300 से अधिक रन के लक्ष्य को हासिल किया था l मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए पाकिस्तान की टीम ने 48 ओवर में 314 रन का स्कोर खड़ा किया था l जबाव में बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम ने सौरव गांगुली के 124 रन की मदद से इस लक्ष्य को हासिल कर लिया था l लेकिन यह मैच हृषिकेश कानितकर के द्वारा अंतिम ओवर (48 वां ओवर) के पांचवें गेंद पर लगाए गए चौके के लिए भी याद किया जाता रहेगा l