5 खिलाड़ी जो टीम में अपना स्थान गँवा सकते हैं अगर विराट कोहली कप्तान ना रहें

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प्रत्येक कप्तान के अपनी टीम में कुछ मनपसंद खिलाड़ी होते हैं जिन्हें वह हर हाल में टीम में बरकरार रखना चाहता है। टीम इंडिया के वर्तमान कप्तान विराट कोहली भी इसका अपवाद नहीं हैं। जब भी कोहली किसी मैच के लिए मैदान में उतरते हैं तो उनकी कोशिश रहती है कि वह अपने पसंदीदा खिलाड़ियों को टीम की अंतिम एकादश में ज़रुर शामिल करें।

जब भी भारतीय टीम कोई मैच जीतती है तो इसका श्रेय कप्तान को दिया जाता है और उनके सही खिलाड़ियों के चुनाव की तारीफ़ होती है लेकिन जब खिलाड़ियों के लचर प्रदर्शन की वजह से टीम हारती है तो कप्तान की ही सबसे ज़्यादा आलोचना होती है। हर टीम में कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो अपने कप्तान की वजह से ही टीम में बने रहते हैं और यदि कप्तान किसी वजह से अपने पद से इस्तीफ़ा दे देता है तो इन खिलाड़ियों का टीम में बने रहना मुश्किल हो जाता है।

तो आइये जानते हैं ऐसे पांच खिलाड़ियों के बारे में जो कप्तान कोहली के पसंदीदा खिलाड़ी हैं और यदि कोहली कप्तानी छोड़ दें तो वे टीम में अपनी जगह गँवा सकते हैं।

#5. ईशांत शर्मा

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दिल्ली के लंबे कद के तेज़ गेंदबाज़ ईशांत शर्मा पहले से ही भारत की वनडे और टी -20 टीम से बाहर चल रहे, ,वह टेस्ट टीम का नियमित हिस्सा हैं। हालाँकि, उन्हें टेस्ट टीम में भी तभी खेलने का मौका मिलता है जब भारत के तीन तेज़ गेंदबाज़ों में से कोई एक चोट या खराब फॉर्म की वजह से बाहर होता है। नतीजतन, वह टीम में सबसे अनुभवी तेज़ गेंदबाज होने के बावजूद भारतीय टेस्ट टीम का नियमित हिस्सा नहीं हैं।

टेस्ट में 65 की उनकी स्ट्राइक रेट 240 से ज़्यादा विकेट लेने वाले तेज़ गेंदबाज़ों में सबसे खराब है। ईशांत का ऑस्ट्रेलिया में 60, इंग्लैंड में 38 और दक्षिण अफ्रीका में 40 का गेंदबाज़ी औसत है, जहां पिचें तेज़ गेंदबाजों के बिलकुल अनुकूल हैं। वर्तमान में, जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मद शमी जैसे गेंदबाज़ों के लगातार अच्छे प्रदर्शन से उनका टीम में बने रहना मुश्किल हो गया है। लेकिन फिर भी उन्हें भारतीय टेस्ट टीम में मौके मिलते रहते हैं।

#4. शिखर धवन

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शिखर धवन का उपमद्वीप और पर इससे बाहर का प्रदर्शन एकदम अलग है। जब भी वह भारतीय पिचों पर खेलते हैं तो सभी प्रारूपों में उनके बल्ले से सैंकड़ों रन निकलते हैं लेकिन विदेशी सरज़मीं पर उनका बल्ला खामोश रहता है। जबसे विराट कोहली ने टीम की कप्तानी संभाली है, धवन भारत के नियमित सलामी बल्लेबाजों में से एक रहे है और बहुत ही कम मौकों पर उन्हें भारत की वनडे और टी-20 टीम से ड्रॉप किया गया है।

लेकिन टेस्ट प्रारूप में उनका फॉर्म टीम इंडिया के लिए चिंता का विषय है क्योंकि जब उन्हें इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर टीम में चुना जाता है, वह रन बनाने के लिए संघर्ष करते दिखते हैं। आंकड़ों पर एक नज़र डालें तो टेस्ट प्रारूप में धवन का इंग्लैंड में 20, ऑस्ट्रेलिया में 21 और दक्षिण अफ्रीका में 18 का बल्लेबाज़ी औसत रहा है। अब तक, उन्होंने इन तीनों देशों में कुल 10 टेस्ट मैच खेले हैं और इनमें केवल एक बार ही वह 50 से ज़्यादा का स्कोर बना पाएं हैं।

टेस्ट में धवन का बल्लेबाज़ी औसत 41 के करीब है लेकिन यदि हम उनके बांग्लादेश, अफगानिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ बनाए स्कोर को हटा लें तो उनका बल्लेबाज़ी औसत लगभग 30 हो जाता है। इसके अलावा, धवन को स्लिप्स में कैच पकड़ने में भी मुश्किल होती है। लेकिन, फिलहाल वह कम से कम सीमित ओवर प्रारूपों में टीम का नियमित हिस्सा हैं।

#3. केएल राहुल

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आरसीबी में विराट कोहली के पूर्व साथी खिलाड़ी और टीम इंडिया के शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ लोकेश राहुल निसंदेह एक बहुत बढ़िया बल्लेबाज़ हैं। लेकिन अभी तक वह अपनी प्रतिभा और कौशल के अनुरूप प्रदर्शन करने में नाकाम रहे हैं। 2014 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी पहली टेस्ट सीरीज़ में ही राहुल ने अपना पहला शतक लगाकर शानदार शुरुआत की थी। हालाँकि, उसके बाद वह अपने खेल में निरंतरता बरकरार रखने में कामयाब नहीं हो सके।

2016-17 में उन्होंने घरेलू मैदान पर बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था। दाएं हाथ के बल्लेबाज ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगातार छह अर्धशतक बनाए हैं और इंग्लैंड के खिलाफ 199 रनों की शानदार पारी खेली लेकिन टीम के अपने अधिकांश साथियों की तरह वह भी कठिन परिस्थितियों में रन बनाने के लिए संघर्ष करते रहते हैं।

आंकड़ों की बात करें तो बैंगलोर के इस बल्लेबाज़ ने ऑस्ट्रेलिया में 32, इंग्लैंड में 8.75, दक्षिण अफ्रीका में 7.50 और श्रीलंका में 33 की बल्लेबाज़ी औसत से रन बनाए हैं। इसके बावजूद उन्हें टीम इंडिया में जगह मिलती रही है।

#2. हार्दिक पांड्या

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विराट कोहली के नेतृत्व में हार्दिक पांड्या तीनों प्रारूपों में टीम इंडिया के नियमित सदस्य हैं। हालाँकि, पांड्या ने शुरुआत में बल्ले और गेंद दोनों के साथ बेहतरीन प्रदर्शन किया था और उनकी तुलना महान आलराउंडर कपिल देव के साथ की जाने लगी थी।

पांड्या टीम में एक तेज़ गेंदबाज़ ऑलराउंडर के रूप में खेल रहे हैं और देश में ऑलराउंडर्स की कमी के कारण उनको थोड़े ही समय में बहुत ख्याति प्राप्त हुई है। टेस्ट और वनडे प्रारूप से उन्होंने करियर की शानदार शुरुआत की थी जब उन्होंने अपने पहले ही वनडे मैच में 'मैन ऑफ द मैच' का पुरस्कार जीता और अपने तीसरे टेस्ट में अपना पहला शतक बनाया।

लेकिन उसके बाद से पांड्या बल्ले से निरंतर अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहे हैं और गेंद से भी अप्रभावी दिखे हैं। लेकिन फिर भी वह तीनों प्रारूपों में ही टीम इंडिया का नियमित हिस्सा बने हुए हैं।

#1. एम एस धोनी

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क्रिकेट के शायद सबसे महान विकेटकीपर बल्लेबाज़, एमएस धोनी भारत के लिए एक दशक से अधिक समय तक सबसे महान फिनिशरों में से एक रहे हैं। लेकिन अब माही अपनी लय खोते जा रहे हैं और वह पहले जैसे खेलने में असमर्थ हैं। मैच के अहम मौकों पर जब टीम को उनकी ज़रूरत होती है, अकसर वह गलत शॉट खेलकर आउट हो जाते हैं।

उनकी फिटनेस को लेकर कोई सवाल खड़े नहीं कर सकते और विकेट के पीछे उनकी मुस्तैदी देखते ही बनती है। लेकिन जहाँ तक बल्लेबाज़ी की बात है तो वह पिछले कुछ सालों से रन बनाने के लिए जूझ रहे हैं।

हालाँकि, इस साल हुए आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के लिए उन्होंने बल्ले से भी अच्छा प्रदर्शन किया था। लेकिन हाल ही में भारत के इंग्लैंड दौरे में उनके लचर प्रदर्शन ने धोनी को विश्व कप टीम का हिस्सा बनाने पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसके अलावा, 2017 से उनके बल्लेबाज़ी औसत में भी गिरावट आई है।लेकिन फिलहाल धोनी वनडे टीम के नियमित खिलाड़ी बने हुए हैं।

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