अपने देश के लिए खेलकर टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेना सभी खिलाड़ियों के लिए एक गर्व की बात होती है। संन्यास लेने वाले खिलाड़ी को विदाई मैच के साथ विदा करना एक टीम के लिए श्रेष्ठ और बेहतरीन बात कही जा सकती है। विश्व क्रिकेट में कुछ ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जिन्हें टेस्ट क्रिकेट में शानदार योगदान होने के बाद अंतिम मैच खेले बिना ही संन्यास लेना पड़ा। उन्होंने मैदान के बाहर से ही इस प्रारूप को अलविदा कह दिया जबकि नाम और काम के अनुरूप वे विदाई मैच के हकदार जरूर थे। बेहतरीन प्रदर्शन के बाद अंतिम मैच के बगैर खेल को अलविदा कहना एक आदर्श विदाई नहीं कही जा सकती लेकिन कई बार कुछ खिलाड़ियों के साथ ऐसा होते हुए देखा गया है।
भारतीय क्रिकेट से भी ऐसे कई खिलाड़ी हैं जिन्होंने करियर का आखिरी टेस्ट मैच खेले बिना ही संन्यास की घोषणा कर दी जबकि वे अंतिम मैच खेलकर संन्यास लेते हुए करियर को यादगार बना सकते थे। विश्व क्रिकेट के उन पांच टेस्ट खिलाड़ियों की बात इस आर्टिकल में की गई है जो विदाई टेस्ट मैच खेलने के हकदार थे।
वीरेंदर सहवाग
दिल्ली से आने वाले वीरेंदर सहवाग का टेस्ट करियर जैसा रहा, उसके अंत इस तरह होगा यह उन्होंने कभी नहीं सोचा होगा। 12 साल देश के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलते हुए कई कीर्तिमान स्थापित करने वाले वीरेंदर सहवाग को अंतिम टेस्ट खेले बिना ही संन्यास लेना पड़ा। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 2 बार तिहरा शतक जड़ा और ऐसा करने वाले एकमात्र भारतीय हैं। करियर में 8586 रन बनाने वाले सहवाग का उच्चतम स्कोर 319 रन था तथा वे विदाई मैच खेलने के हकदार थे लेकिन उन्हें यह नहीं मिला तथा मैदान के बाहर से ही संन्यास की घोषणा करनी पड़ी।
गौतम गंभीर
वीरेंदर सहवाग के साथ गौतम गंभीर भारतीय टीम के लिए ओपनिंग करते थे। अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत 2004 में करने वाले गंभीर ने चुपचाप 2018 में खेल को अलविदा कह दिया। अपने पंद्रह साल के करियर में टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने अमूल्य योगदान दिया। उन्होंने 4154 रन इस प्रारूप में बनाए और कुछ शानदार यादें छोड़ी। नवम्बर 2016 में अंतिम टेस्ट खेलने के दो साल बाद उन्होंने 2018 में बिना विदाई मैच के संन्यास की घोषणा की।
एबी डीविलियर्स
दक्षिण अफ्रीका की टीम भाग्यशाली थी कि उन्हें डीविलियर्स जैसा विश्वस्तरीय खिलाड़ी मिला। वे ऐसे खिलाड़ी थे कि किसी भी गेंदबाज को निडर होकर खेलते हुए मुश्किल शॉट को भी आसान बना देते थे। 2004 में उन्होंने टेस्ट करियर का आगाज किया। गेंद पर उनका बल्ला हथौड़े की तरह आता था और दर्शकों यह अंदाज काफी पसंद आता था। दक्षिण अफ्रीका के लिए टेस्ट क्रिकेट में 8765 रन बनाने वाले डीविलियर्स को विदाई मैच खेलने का मौका नहीं मिला और उन्होंने संन्यास ले लिया। वे दक्षिण अफ़्रीकी टीम के कप्तान भी रहे लेकिन संन्यास से पहले उन्हें अंतिम मैच खेलने के लिए नहीं पूछा गया।
ड्वेन ब्रावो
वेस्टइंडीज के इस ऑलराउंडर के जलवे विकेट लेने के बाद अलग ही दिखते थे। उनका अलग अंदाज में नाचना दर्शकों को काफी पसंद आता था। हालांकि उन्होंने विंडीज के लिए ज्यादा टेस्ट मैच नहीं खेले लेकिन प्रतिभा के मामले में किसी से कम नहीं थे। 40 टेस्ट मैच खेलकर उन्होंने 2200 रन बनाए तथा गेंदबाजी में 86 विकेट अपने नाम किये। विवादों के बाद उन्हें ज्यादातर मौकों पर टीम से बाहर किया जाने लगा और अंत में 2018 में उन्होंने बिना विदाई मैच खेले सभी फॉर्मेट से संन्यास की घोषणा कर दी।
महेंद्र सिंह धोनी
भारत के छोटे से राज्य झारखण्ड से आने वाले महेंद्र सिंह धोनी टीम के लिए एक डायमंड की तरह थे। वे टेस्ट क्रिकेट में भारत की तरफ से सबसे सफल कप्तान रहे। 2005 में उन्होंने टेस्ट करियर का आगाज किया। भारत के लिए इस प्रारूप में कप्तानी करने के अलावा उन्होंने 90 मुकाबलों में 4876 रन बनाए। 2014 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज के बीच में उन्होंने संन्यास की घोषणा कर सभी को चौंका दिया। बॉक्सिंग डे टेस्ट के अंतिम दिन मैच ड्रॉ रहा और पोस्ट मैच प्रेजेंटेशन के बाद बीसीसीआई की प्रेस रिलीज से उनके संन्यास की घोषणा हुई। उन्हें विदाई टेस्ट से पहले अचानक संन्यास लेना पड़ा, इसके बाद सीरीज के अगले मैच के लिए विराट कोहली को कप्तान बनाया गया।