श्रीलंका के साथ होने वाली वनडे सीरीज के लिए टीम की घोषणा होने के बाद फैन्स को थोड़ी निराशा हुई, क्योंकि युवराज सिंह को टीम में जगह नहीं दी गई। यह तो समय ही बताएगा कि क्या अब इसे इस दिग्गज खिलाड़ी के करियर का अस्त समझा जाए। हालांकि, चयन समिति के चेयरमैन एमएसके प्रसाद का कहना कुछ और है। प्रसाद ने एक हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘युवराज सिंह को आराम दिया गया है न कि उन्हें टीम से बाहर किया गया है। हमने कुछ खिलाड़ियों को छांटा है, जिन्हें अगले 4-5 महीने तक खेलने का मौका दिया जाएगा।’ उन्होंने आगे कहा, ‘तय समय के बाद देखा जाएगा कि 2019 विश्व कप के लिए टीम इंडिया कैसी होगी। युवराज सिंह और सुरेश रैना के लिए उम्मीद अभी भी बाकी है।’ साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि आगामी विश्व कप के लिए फिटनेस के मानक सख्त होंगे। 35 साल की उम्र में अब युवराज के लिए टीम में वापस जगह बनाना, एक टेढ़ी खीर है। सवाल यह भी उठता है कि उन्हें टीम से बाहर रखना किस हद तक जायज है? आइए जानते हैं ऐसी 5 वजहें, जिनके मुताबिक युवराज को बाहर रखना ही सही है: #5 खराब फॉर्म अगर कटक में 150 रन और चैंपियन्स ट्रॉफी में पाक के खिलाफ अर्धशतकीय पारी को नजरअंदाज करें तो टीम में वापसी के बाद से युवराज का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। युवराज से उम्मीद की जाती है कि वह बल्लेबाजी के मध्यक्रम को अपने अनुभव से और मजबूती देंगे। वह एकमात्र बल्लेबाज हैं, जो किसी भी गेंदबाज का स्पेल खराब करने का माद्दा रखते हैं। लेकिन यह प्रयोग सफल साबित नहीं हुआ। वापसी के बाद से युवराज ने 11 वनडे मैचों में 41.33 के औसत के साथ 372 रन बनाए हैं। टी-20 में उन्होंने 18 मैचों में 209 रन बनाए हैं। अगर ऊपर बताई गई पारियों को हटा दें तो युवराज 9 मैचों में एक भी अर्धशतक नहीं लगा सके। वेस्टइंडीज के खिलाफ अपनी आखिरी 3 पारियों युवराज का स्कोर 4, 14, 39 का रहा है। लंबे वक्त से जरूरत पड़ने पर युवराज बड़े हिट्स लगाने में भी नाकाम रहे हैं। एक वक्त पर अपनी चुस्त फील्डिंग के लिए मिसाल माने जाने वाले युवराज अब फील्ड पर ढीले दिखने लगे हैं, जिसका नुकसान टीम को उठाना पड़ सकता है। #2 आड़े आ रही उम्र हम अक्सर सुनते हैं कि उम्र सिर्फ एक आंकड़ा है। लेकिन क्रिकेट में शायद यह बात लागू नहीं होती क्योंकि हमने धोनी और युवराज जैसे धारदार खिलाड़ियों के तेवर ठंडे पड़ते देखे हैं। समय के साथ परिवर्तन लाजमी है। उम्र के चलते कुछ ऐसे ही परिवर्तन युवराज की बॉडी लैंग्वेज में भी देखने को मिले हैं। 2019 विश्व कप में भारत ऐसी टीम के साथ उतरने वाला है, जिसमें अधिकतर खिलाड़ी 30 साल की उम्र पार कर चुके हैं। कप्तान विराट कोहली, रोहित शर्मा और अश्विन सभी 30 के पार होंगे। इस समय तक युवराज 37 और धोनी 38 साल के होंगे। चयनकर्ताओं की निगाह इस बात पर होगी। शायद इसी क्रम में युवराज को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। साथ ही, धोनी के लिए यह स्पष्ट संकेत है कि अब बारी युवाओं की है। #3 बतौर ऑल-राउंडर अब वह धार नहीं यह भी गौरतलब है कि युवराज अब टीम इंडिया के लिए उतने प्रभावी ऑल-राउंडर नहीं रह गए हैं। जब युवराज अपने करियर के चरम पर थे, तब फैन्स फील्ड पर युवराज के तेवर देख के रोमांचित हो जाते थे। 2011 विश्व कप की जीत में युवराज की भूमिका बेहद अहम थी क्योंकि उन्होंने बल्ले, गेंद और क्षेत्ररक्षण तीनों ही से अपना कमाल दिखाया था। अहम मैचों में बल्लेबाजी के मध्यक्रम को संभाला था। हालांकि, वापसी के बाद से युवराज का वैसा ऑल-राउंडर प्रदर्शन देखने को नहीं मिला है। #4 समय की मांग थी युवराज की वापसी 2016 टी-20 विश्व कप से पहले युवराज की टीम में वापसी उस वक्त की मांग थी। चयनकर्ता अनुभव का पूरा बोझ धोनी के कंधो पर नहीं डालना चाहते थे। इसलिए मध्यक्रम बल्लेबाजी को सुदृढ़ बनाने के लिए युवराज को वापस बुलाया गया। इसके बाद वनडे टीम में उनकी वापसी हुई। मनीष पांडे के चोटिल होने की वजह से उन्हें चैंपियन्स ट्रॉफी में भी खिलाया गया। हालांकि, चैंपियन्स ट्रॉफी और वेस्टइंडीज के साथ सीरीज ने टीम में युवराज की जगह पर फिर से सवाल खड़े कर दिए। #5 मनीष पांडे की वापसी युवराज फॉर्म से भी बाहर हैं और गेंदबाजी भी नहीं कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मध्यक्रम के लिए वह सबसे उम्दा विकल्प हैं? हालांकि, इसका जवाब सकारात्मक तो नहीं है क्योंकि कई प्रतिभावान युवा खिलाड़ी अभी कतार में हैं, जिन्हें बस मौके का इंतजार है। इन खिलाड़ियों में सबसे ज्यादा उम्मीद जगाते हैं मनीष पांडे। एससीजी में पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच जिताने वाली शतकीय पारी खेलने वाले मनीष पांडे ने दक्षिण अफ्रीका में भारत 'ए' के लिए बढ़िया प्रदर्शन करके अपना पक्ष और भी मजबूत कर लिया है। मनीष को अभी और मौके मिलने की जरूरत है। चैंपियन्स ट्रॉफी में उन्हें मौका मिलना तय था, लेकिन चोटिल होने की वजह से उनकी जगह युवराज सिंह को चुना गया। अब पांडे फिट हैं और फॉर्म में भी हैं। लेखकः दीप्तेश सेन, अनुवादकः देवान्श अवस्थी