क्रिकेट इतिहास की चार घटनाएं जब खिलाड़ियों ने खुदगर्ज़ी का परिचय दिया

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क्रिकेट एक टीम खेल हो सकता है लेकिन यह भी सच है खिलाड़ियों को टीम में बने रहने के लिए अपने व्यक्तिगत प्रदर्शन पर भी ध्यान देना होता है।खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम में अपनी जगह बनाए रखने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।लेकिन कई बार ऐसा भी हुया है जब वे अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए टीम की साख दांव पर लगा देते हैं।

क्रिकेट इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जब क्रिकेटरों ने खेल-भावना के उलट चलकर भद्रपुरुषों के इस खेल की साख को बट्टा लगाया है। तो आइए जानते हैं क्रिकेट इतिहास की चार घटनाएं जब क्रिकेटरों ने खुदगर्ज़ी का परिचय दिया:

#4. जब डेविड वॉर्नर ने 2012 सीबी सीरीज़ के फाइनल में 140 गेंदों में बनाया शतक

Australia v Sri Lanka - Tri-Series Final Game 1

डेविड वॉर्नर उन विस्फोटक बल्लेबाजों में से एक हैं जिनसे पूरी दुनिया के बल्लेबाज ख़ौफ खाते हैं। वह पहली गेंद से ही शॉट खेलने के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने एक बार 140 गेंदों में शतक बनाया था और वह भी श्रीलंका के खिलाफ सीबी सीरीज़ के फाइनल में। उनका यह शतक ऑस्ट्रेलियाई टीम की हार का कारण बना।

2012 में, श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया इस सीरीज का फाइनल खेल रहे थे। पहले बल्लेबाजी कर रही कंगारू टीम की तरफ से माइकल क्लार्क ने 91 गेंदों पर शानदार 117 रन बनाए। वॉर्नर, जिन्होंने पिछले मैच में 163 रन बनाए थे, से इस मैच में भी अपना प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन ऐसा हो ना सका।

वॉर्नर ने अपनी धीमी पारी में केवल पांच बार गेंद को सीमा-रेखा के पार पहुंचाया। वह पारी के 46 वें ओवर में आउट हुए और ऑस्ट्रेलिया ने निर्धारित 50 ओवरों में 271 रन बनाए।

जबाव में श्रीलंका ने तिलकरत्ने दिलशान के शतक और कुमार संगकारा और महेला जयवर्धने के दोहरे अर्धशतकों की बदौलत 5 ओवर पहले ही यह मैच जीत लिया। इस हार का सबसे बड़ा कारण वॉर्नर की धीमी पारी को माना गया।

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#3. जब ट्रेवर चैपल ने अंडरआर्म गेंदबाजी की

Trevor Chappell bowls underarm

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच खेले गए एक मैच में, कीवी टीम को जीत के लिए अंतिम गेंद में 7 रनों की ज़रूरत थी। तो ऐसे में ऑस्ट्रेलिया की जीत पक्की थी या फिर आखिरी गेंद पर छक्का लगाकर मैच को टाई किया जा सकता था।

हालांकि आखिरी गेंद पर छक्का लगने की संभावना लगभग ना के बराबर थी फिर भी ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ग्रेग चैपल कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे। तो उस समय गेंदबाज़ी कर रहे ट्रेवर चैपल जो कि ग्रेग के भाई थे, को उन्होंने अंडरआर्म गेंद करने के लिए कहा क्योंकि ऐसी स्थिति में छक्का लगाना मुमकिन नहीं था।

उस समय अंडरआर्म बॉलिंग के बारे में कोई नियम नहीं था इसलिए अंपायरों ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई। ऑस्ट्रेलिया ने यह मैच तो जीत लिया लेकिन कप्तान चैपल की यह हरकत क्रिकेट इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में याद की जाएगी।

#2. सूरज रणदीव ने नो-बॉल फेंकी जब वीरेंद्र सहवाग 99 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे

Suraj Randiv

2010 में, श्रीलंका के गेंदबाजों ने पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग को शतक बनाने से रोकने के लिए हर संभव कोशिश की। भारत उस साल श्रीलंका और न्यूजीलैंड के साथ एक त्रिकोणीय सीरीज़ खेल रहा था।

इस सीरीज़ के एक मैच में भारत ने श्रीलंका को 170 रनों पर ढेर कर दिया। हालांकि इसके बाद बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत भी अच्छी नहीं रही और उसके तीन विकेट सिर्फ 32 रनों पर गिर गए।

लेकिन दबाव के बावजूद सलामी बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग ने अपना नैसर्गिक खेल जारी रखा। उन्होंने श्रीलंकाई गेंदबाजों की खूब धुनाई करते हुए उन्हें मैदान के चारों ओर शॉट्स लगाए। जब भारत को जीत के लिए सिर्फ 1 रन चाहिए था उस समय सहवाग 99 रन बनाकर खेल रहे थे।

सहवाग ने सूरज रणदीव की गेंद पर छक्का जड़ दिया लेकिन श्रीलंकाई गेंदबाज़ ने जानबूझ कर नो-बॉल फेंकी थी इसलिए यह रन पहले गिना गया। तो इस तरह से सहवाग शतक बनाने से महरूम रह गए। रणदीव को उनकी इस हरकत के कारण एक मैच का प्रतिबंध झेलना पड़ा था।

#1. जब लसिथ मलिंगा ने सचिन तेंदुलकर को शतक बनाने से रोका

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सचिन तेंदुलकर ने भले ही 100 अंतरराष्ट्रीय शतक लगाए हों लेकिन यह भी सच है कि वह कई बार नर्वस नाइंटीज का शिकार होते रहे हैं। 2009 में, वह अपना 46वां एकदिवसीय शतक लगाने के बेहद करीब थे जब यह घटना हुई।

श्रीलंका के खिलाफ खेले गए इस मैच में भारतीय टीम ने 240 रनों का पीछा करते हुए 41 ओवरों में तीन विकेट के नुकसान पर 226 रन बना लिए थे। तेंदुलकर, जो उस समय 90 के स्कोर पर थे, उन्होंने 42 वें ओवर की दूसरी गेंद पर सिंगल लिया।

उनके साथी खिलाड़ी दिनेश कार्तिक शेष चार गेंदों में सिंगल लेकर सचिन को शतक बनाने का मौका दे सकते थे लेकिन उस ओवर में कार्तिक ने छक्का जड़ा जिसका मतलब था कि भारत को मैच जीतने के लिए अब सिर्फ 7 रनों की जरूरत थी। अगले ओवर में सचिन ने एक चौका लगाया और एक रन लिया। वह 99 पर थे और यह सुनिश्चित था कि कार्तिक ओवर में बाकी बची हुई गेंदें खेलेंगे।

लेकिन मलिंगा ने उस ओवर में दो वाइड गेंदें फेंक कर सचिन को स्ट्राइक लेने का मौका नहीं दिया। फिर भी मैच जीतने के बाद सचिन ने खेल-भावना दिखाते हुए सभी श्रीलंकाई खिलाड़ियों से गर्मजोशी से हाथ मिलाया।

लेखक: सूर्येश एम अनुवादक: आशीष कुमार

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Edited by Naveen Sharma
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