भारतीय क्रिकेट टीम में कभी भी प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कमी नहीं रही है। अतीत में, भारत ने कपिल देव जैसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर को पैदा किया है जिसने 80 के दशक में वेस्टइंडीज़ की अजेय मानी जाने वाली टीम को हराकर भारत को पहली बार विश्व कप जिताने का कारनामा किया। वहीं सुनील गावस्कर के रूप में भारत को ऐसा महान बल्लेबाज़ मिला जिसने भारतीय क्रिकेट को नई उँचाईयां प्रदान कीं। आज जब भारत की गिनती दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों में होती है तो इसका श्रेय बहुत हद तक इन दो महान खिलाड़ियों को जाता है।
इसके बाद 90 के दशक के अंत में भारत ने 'फैब 4' के नाम से प्रसिद्ध चौकड़ी का निर्माण किया, जिसमें सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण शामिल थे।
वहीं इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में वीरेंदर सहवाग, एमएस धोनी, ज़हीर खान, युवराज सिंह, हरभजन जैसे खिलाड़ियों ने भारत को सर्वश्रेष्ठ टीम बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
वर्तमान समय में विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी जैसे खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट को नई उँचाईयां प्रदान करने का काम कर रहे हैं। इन खिलाड़ियों की बदौलत हाल ही में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को पहली बार उसकी सरज़मीं पर टेस्ट सीरीज में मात दी है।
लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है, टीम में नए खिलाड़ियों को शामिल करना बेहद ज़रूरी होता है। तो आइये एक नज़र डालते हैं पांच ऐसे चुनिंदा युवा खिलाड़ियों पर जो भविष्य में भारत के स्टार खिलाड़ी बनकर उभर सकते हैं:
#5. कमलेश नागरकोटी
कमलेश नागरकोटी भारत की अंडर -19 विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा थे जहां वह शुबमन गिल और पृथ्वी शॉ जैसे खिलाड़ियों के साथ टूर्नामेंट के स्टार खिलाड़ी बनकर उभरे। विश्व कप में, उन्होंने 6 मैचों में नौ विकेट लिए और 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाज़ की थी।
उनकी गति और सटीकता ने क्रिकेट बिरादरी के प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित किया था। इसके बाद वह आईपीएल सीज़न 2018 में खेलने के लिए तैयार थे, लेकिन दुर्भाग्यवश इस टूर्नामेंट से पहले चोटिल होने के कारण वह अपनी टीम कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए एक भी मैच नहीं खेल पाए।
हालाँकि, कमलेश नागरकोटी को घरेलू सर्किट में इतना अनुभव नहीं है और उन्होंने अभी तक केवल 8 लिस्ट 'ए' मैचों में ही शिरकत की है लेकिन उनके गेंदबाज़ी कौशल को देख कर हम यह कह सकते हैं कि वह लंबी रेस के घोड़े साबित होंगे और आने वाले समय में निश्चित रूप से भारतीय गेंदबाज़ी आक्रमण की कमान संभालेंगे।
#4. श्रेयस अय्यर
24 वर्षीय श्रेयस को भारत के भविष्य के कप्तान के रूप में देखा जा रहा है। पिछले आईपीएल सीज़न में वह दिल्ली टीम का नेतृत्व कर चुके हैं और इस सीज़न में भी हम उन्हें कप्तान की ज़िम्मेदीरी निभाते देखेंगे।
श्रेयस अय्यर उन युवा खिलाड़ियों में से एक हैं जो क्रिकेट के सभी प्रारूपों में और हर तरह की परिस्थितियों में शानदार प्रदर्शन करने की क्षमता रखते हैं।
हालाँकि, राष्ट्रीय सीनियर टीम में उन्हें अभी तक सीमित अवसर ही मिले हैं लेकिन इनमें भी उन्होंने बुरा प्रदर्शन नहीं किया है। अभी तक उन्होंने 6 अंतर्राष्ट्रीय वनडे मैचों में 42 की औसत से 210 रन बनाए हैं। लेकिन उन्हें अपनी पूरी क्षमता दिखाने के लिए अभी और मौकों की ज़रूरत है। प्रथम श्रेणी क्रिकेट की बात करें तो उन्होंने 53 मैचों में लगभग 51 की बढ़िया औसत से 4000 से अधिक रन बनाये हैं।
ऐसे आँकड़ों की रौशनी में चयनकर्ताओं के लिए इस युवा बल्लेबाज़ को अनदेखा कर पाना नामुमकिन बात है। आने वाले समय में अय्यर भारत के स्टार बल्लेबाज़ बनकर उभर सकते हैं। ो
#3. शुबमन गिल
शुबमन गिल भी पिछले साल अंडर -19 विश्व कप जीतने वाली टीम के सदस्य थे। मोहाली में जन्में इस नौजवान खिलाड़ी नेे पूरे टूर्नामेंट में बल्ले से शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत को विश्व कप जिताने में सूत्रधार की भूमिका निभाई थी। इस टूर्नामेंट में सबसे ज़्यादा रन बनाकर उन्होंने 'मैन ऑफ द टूर्नामेंट' का पुरस्कार भी जीता।
आईपीएल 2018 में, शुबमन ने दिनेश कार्तिक की अगुवाई वाली कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए कुछ महत्वपूर्ण पारियां खेलीं हैं, जहां उन्होंने टीम को शानदार शुरुआत दिलाकर मैच जिताने में अहम किरदार निभाया है।
उनके अब तक के करियर का सबसे खुशनुमा पल वो था जब उन्हें हाल ही में भारत के न्यूज़ीलैंड दौरे के लिए केएल राहुल की जगह राष्ट्रीय टीम में चुना गया। न्यूज़ीलैंड दौरे पर उन्हें अपनी बल्लेबाज़ी को निखारने में मदद मिलेगी।
घरेलू सर्किट में अपने छोटे से करियर में, शुबमन ने महज 9 प्रथम श्रेणी मैचों में 77 की शानदार औसत से 1000 से अधिक रन बनाए हैं। निश्चित रूप से अपने कौशल और बल्लेबाज़ी क्षमता से वह भविष्य के स्टार खिलाड़ी होंगे।
#2. पृथ्वी शॉ
अपनी बेजोड़ बल्लेबाज़ी तकनीक और कौशल की वजह से पृथ्वी शॉ की तुलना अकसर सचिन तेंदुलकर के साथ की जाती है। वेस्टइंडीज़ के खिलाफ अपने डेब्यू टेस्ट में शतक लगाकर उन्होंने इतिहास रच दिया था।
उन्हें भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम में शामिल किया गया था लेकिन दुर्भाग्यवश टखने की चोट की वजह उन्हें टेस्ट सीरीज़ से बाहर होना पड़ा। पृथ्वी ने अभी तक अपने करियर में खेले 2 टेस्ट मैचों में 118.50 की शानदार औसत के साथ 237 रन बनाए हैं जो उनकी प्रतिभा को दर्शाता है।
पृथ्वी का प्रथम श्रेणी क्रिकेट में रिकॉर्ड असाधारण है और उन्होंने 18 मैचों में 60 से अधिक की औसत के साथ रन बनाए हैं जिनमें 8 शतक शामिल हैं।
पिछले साल उन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को अंडर-19 विश्व कप का ख़िताब जिताया था। भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों को उनसे भविष्य में सचिन की विरासत को आगे बढ़ाने की उम्मीद है।
#1. ऋषभ पंत
युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज़ इस समय भारतीय टीम टेस्ट टीम का नियमित हिस्सा हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हाल ही में सपन्न हुई टेस्ट सीरीज़ में उनका प्रदर्शन लाजबाव रहा है। ऋषभ ने अभी तक अपने करियर में खेले 9 टेस्ट मैचों में 49 की औसत से 696 रन बनाए हैं जिनमें दो शतक भी शामिल हैं। हालाँकि सीमित ओवर प्रारूपों में उनका प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा है।
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने ज़बरदस्त प्रदर्शन की वजह से रिकी पोंटिंग ने उन्हें "एक और एडम गिलक्रिस्ट" की संज्ञा देकर सम्मानित किया है।
चूँकि, एमएस धोनी के विश्व कप 2019 के बाद क्रिकेट से संन्यास लेने की संभावना है इसलिए पंत क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में विकेटकीपर-बल्लेबाज़ की भूमिका निभाने वाले दावेदारों में सबसे आगे हैं।
उन्होंने अपने शुरुआती करियर में ही इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक लगाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। हम उम्मीद कर सकते हैं कि वह आने वाले समय में भी इसी तरह से शानदार प्रदर्शन करते रहेंगे और भविष्य में भारत के स्टार खिलाड़ी बनकर उभरेंगे।