क्रिकेट के मैदान पर एक बार अगर खिलाड़ी का नाम बन जाए तो उस लोकप्रिय होने में समय नहीं लगता। क्रिकटरों की लोकप्रियता का सबसे बड़ा फायदा यह है कि वह अपनी लोकप्रियता को राजनीति जैसे जगहों पर भुनाने में कामयाब हो जाते हैं। लंबे अरसे से लगाई जा रही अटकलें आज सही साबित हुई और टीम इंडिया के लिए 58 टेस्ट और 147 वनडे खेलने वाले 37 साल के गंभीर ने शुक्रवार 22 मार्च को रविशंकर प्रसाद और अरुण जेटली की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ले ली, वे ईस्ट दिल्ली से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। गौतम गंभीर ने जिस दिन क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की थी उसके बाद प्रधानमंत्री ने उनके भविष्य की उज्जवल कामना करते हुए उन्हें शुभकामनाएं भी दी थी। इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
गौतम गंभीर सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते हैं और राजनीतिक पार्टियों को लेकर निशाना साधते हुए उन्होंने कई बार ट्वीट्स भी किए हैं। हाल ही में उन्होंने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए दिल्ली को लेकर एक ट्वीट भी किया था। सामाजिक मुद्दों पर भी गौतम गंभीर अपनी राय बेबाकी से रखते आए हैं। कयास तो यह भी लगाए जा रहे हैं कि भाजपा नेता मिनाक्षी लेखी की जगह दिल्ली से बीजेपी गौतम गंभीर को टिकट देकर मैदान में उतार सकती है। 10 मार्च को चुनाव की तारीखों की घोषणा भी कर दी गई ऐसे में पार्टियों ने अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। गंभीर का चुनाव लड़ना बीजेपी के लिए सेफ सीट मानी जा रही है। देखना यह होगा कि वह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं या नहीं? गौतम गंभीर पहले ऐसे खिलाड़ी नहीं हैं जिन्होंने सियासी पिच पर डेब्यू किया है।उनसे पहले और भी खिलाड़ी रहे हैं जिन्हें अपने क्रिकेट करियर के बाद राजनीति की पिच पर कदम रखा।
#1. मोहम्मद अजरूद्दीन
मोहम्मद अजरुद्दीन को मिला कांग्रेस का साथ: भारत के बेहतरीन बल्लेबाजों में शुमार मोहम्मद अजहरुद्दीन ने भारत के लिए 47 टेस्ट मैच खेले और 2000 में फिक्सिंग के विवाद के चलते उन्हें टीम से बाहर जाना पड़ा और उनपर प्रतिबंध लगा दिए गए। 2009 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा और मुरादाबाद से वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर सांसद बने।हालांकि बाद में उन्हें फिक्सिंग के आरोपों से बरी कर दिया गया।
2012 में, आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने आजीवन प्रतिबंध को अवैध घोषित किया। उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने सिटी सिविल कोर्ट के आदेश को अलग रखा, जिसने अजहरुद्दीन को चुनौती देने के बाद प्रतिबंध को बरकरार रखा था। उनके इस आरोप पर फिल्म भी बनाई गई जिसमें मुख्य भूमिका में इमरान हाशमी नजर आए थे। इस बार कयास लगाए जा रहे हैं कि वह कांग्रेस की टिकट पर हैदराबाद से अपनी किस्मत आजमा सकते हैं।
#2.इमरान खान
पाकिस्तान के तेज गेंदबाज इमरान खान ने 1992 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद तहरीक-ए- इंसाफ नामक एक पार्टी बनाई। किसे पता था कि क्रिकेट की पिच पर गेंदबाजी करता ये खिलाड़ी एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनेगा। 1996 में बनी उनकी राजनीतिक पार्टी ज्यादा सफल नहीं रही। 22 साल के लंबे संघर्ष के बाद इमरान ने नई इबारत लिखी और 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने।पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान ने पाकिस्तान के लिए 88 टेस्ट मैच और 175 वनडे मुकाबले में मैदान पर अपना करतब दिखाने के बाद राजनीति के मैदान में उतरे।
इमरान खान ने तीन शादियां की और अपनी शादी के चलते भी वह विवादों में रहे।वह 2002 से 2007 तक और फिर 2013 से 2018 तक पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य रह चुके हैं। बता दें कि इमरान का जन्म 1952 में पंजाब के लाहौर में एक उच्च-मध्यम वर्ग के पश्तून परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षा लाहौर के ऐचिसन कॉलेज में हुई, फिर वोर्सेस्टर, इंग्लैंड में रॉयल ग्रामर स्कूल वॉर्सेस्टर और बाद में केबल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड से पढ़े।
#3. नवजोत सिंह सिद्धू
सियासत में नवजोत सिंह सिद्धू का नाम पहचान का मोहताज नहीं है। 19 साल के क्रिकेट करियर के बाद सिद्धू ने क्रिकेट की पिच पर साल 1983 में डेब्यू किया और सिद्धू 2004 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और अमृतसर से आम चुनाव लड़ा, उन्होंने चुनाव जीता और 2014 तक की सीट पर अगले चुनाव में भी जीत हासिल की। उन्हें 2016 में पंजाब से राज्यसभा के लिए नामित किया गया था। 2017 में, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और अमृतसर पूर्व से पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए।मौजूदा समय में वह स्थानीय सरकार, पर्यटन, सांस्कृतिक मामलों और पंजाब राज्य के संग्रहालय के मंत्री के रूप में कार्यरत हैं।
#4. मोहम्मद कैफ
टीम इंडिया के स्टार खिलाड़ी रहे मोहम्मद कैफ कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े। 2014 में मोदी लहर के चलते उत्तर प्रदेश की फूलपुर सीट पर कैफ को हार का सामना करना पड़ा। वह उत्तर प्रदेश के मौजूदा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के सामने चुनाव लड़े और हार गए। उन्होंने भारत के लिए 13 टेस्ट मैच और 125 वनडे मैच खेले हैं।कैफ को भारतीय क्रिकेट टीम में सर्वश्रेष्ठ फील्डरों में में से एक माना जाता है। उन्होंने 13 जुलाई 2018 को क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया।
कैफ ने 2000 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बैंगलोर में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया, और बैंगलोर में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के लिए चुने गए। उनकी सबसे प्रसिद्ध पारी 2002 के नेटवेस्ट सीरीज फाइनल में 87 * (75 गेंदों पर) के साथ 326 रन का पीछा करते हुए मानी गई। उन्हें इस पारी के लिए पहली बार मैन ऑफ द मैच पुरस्कार मिला।
#5. कीर्ति आजाद
मैदान पर भले ही कीर्ति आजाद ने सहज क्रिकेट खेली हो लेकिन बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा के बेटे कीर्ति आजाद ने राजनीति में कई उतार चढ़ाव देख लिए हैं। भाजपा के खिलाफ बागी बनते नजर आए कीर्ति अक्सर विवाद को लेकर सुर्खियों में रहे। 2014 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर दरभंगा की सीट से चुनाव जीता। डीडीसीए विवाद के चलते वह पार्टी से निष्कासित कर दिए गए थे और हाल ही में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया।
बता दें कि कीर्ति आजाद ने दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से पढ़ाई की है। पढ़ाई के दौरान वह स्कूल क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे और उनकी क्रिकेट निखरती चली गई। आजाद दिल्ली के लिए खेलते हुए आलराउंडर खिलाड़ी रहे। अपने घरेलू करियर के दौरान उन्होंंने 95 रणजी ट्रॉफी मैचों में 4867 रन (47.72) बनाए और 162 विकेट (28.91) लिए। उनका उच्चतम स्कोर 1985-86 में हिमाचल प्रदेश के खिलाफ 215 रन का रहा।
#6. चेतन चौहान
भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी सुनील गावस्कर के साथ ओपनर खिलाड़ी के तौर पर जाने गए। मौजूदा समय में चेतन चौहान भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं। क्रिकेट के मैदान के बाद सियासी पिच पर ऐसी पहचान बनाई की वह मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश सरकार में खेल मंत्री हैं। चेतन दो बार अमरोहा से चुनाव जीतकर सांसद सीट सुरक्षित करने में सफल रहे। वह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी के चैयरमैन भी रह चुके हैं।
चेतन चौहान ने भारत के लिए 40 टेस्ट मैच खेले हैं। उन्होंने महाराष्ट्र और दिल्ली के लिए रणजी ट्रॉफी में भी जोर आजमाइश की। 1970 के दौरान उन्होंने अपने अधिकतम मैच खेले। उत्तर प्रदेश में जन्मे चेतन चौहान 1960 में महाराष्ट्र के पुणे में रहने लगे क्योंकि उनके पिता आर्मी अफसर थे और उनके तबादले के बाद वह वहां चले गए। उन्होंने पुणे में वाडिया कॉलेज में अपनी स्नातक की डिग्री ली। वहां उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व खिलाड़ी कमल भंडारकर से कोचिंग ली।