आकाश चोपड़ा (Aakash Chopra) ने टेस्ट कप्तान के रूप में विराट कोहली (Virat Kohli) के कार्यकाल को परिभाषित करने के लिए पांच खास चीजों का जिक्र किया है। कोहली ने सात साल तक भारतीय टेस्ट टीम की कमान संभाली थी। जिसके बाद उन्होंने कल टेस्ट कप्तानी छोड़ने की घोषणा की। विराट कोहली पहले ही टी20 इंटरनेशनल की कप्तानी छोड़ चुके थे, जबकि वनडे की कप्तानी से उन्हें हटा दिया गया था।
अपने यूट्यूब चैनल पर आकाश चोपड़ा ने पहली विशेषता के बारे में बताया कि विराट कोहली सभी परिस्थितियों में पांच गेंदबाजों के साथ खेला करते थे। उन्होंने कहा,
सबसे पहले, उन्होंने कहा कि वह पांच गेंदबाजों के साथ खेलेंगे, भले ही कम रन बनाए और सारी जिम्मेदारी उन पर है। वह गेंदबाजों के अनुकूल पिचों पर खेले। उन्होंने कभी भी सपाट पिचों पर खेलने के लिए नहीं कहा, वह अधिक गेंदबाजों के अनुकूल पिचों पर खेले। उन्होंने इस टीम को इसी तरह खेलना सिखाया है।
भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज ने कहा कि कोहली का फिटनेस पर जोर एक और चीज थी जिसने उन्हें अलग बनाया।
उनकी दूसरा विशेषता वो फिटनेस लेवल को सबसे ऊपर मानते थे। यह सभी के लिए समान है, अगर कोई बाहर रहता है, तो उन्हें परवाह नहीं है क्योंकि अगर हमें दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीम बनने की जरूरत है, तो हमें फिट रहना होगा। कोहली की कप्तानी में फिटनेस फैशन बन गया है।
आकाश चोपड़ा ने टेस्ट क्रिकेट को प्राथमिकता देने के लिए विराट कोहली की भी सराहना की।
तीसरी विशेषता यह है कि उन्होंने हमेशा टेस्ट क्रिकेट को प्राथमिकता दी, अगर उन्हें ब्रेक लेना पड़ा तो वो अन्य प्रारूपों को छोड़ देंगे लेकिन हमेशा टेस्ट क्रिकेट खेलते रहेंगे। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट को आकर्षक और भावुक बना दिया।
विराट कोहली इस टीम में आक्रामकता लाए - आकाश चोपड़ा
आकाश चोपड़ा ने क्रिकेट के मैदान पर और बाहर विराट कोहली के रवैये की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा,
चौथी विशेषता उनकी आक्रामकता है। इस चक्कर में कई बार वो अपना आप खो बैठते है, लेकिन आप नीचे जाने के बजाय आगे बढ़ गए। उन्होंने इस पर 100 प्रतिशत काम किया है, चाहे वह प्रेस कॉन्फ्रेंस में हो या खिलाड़ियों के चेहरे पर। उन्होंने इस टीम में आक्रामकता पैदा की।
44 वर्षीय चोपड़ा ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कोहली बतौर कप्तान ड्रॉ के लिए कभी तैयार नहीं थे, वो जीतने की चाह में हार का जोखिम उठाने को तैयार रहते थे।
आखिरी विशेषता उनकी ये थी कि वो टीम में जीतने की आदत डलवाना चाहते थे। कप्तान के रूप में वो टीम जीत पर ज्यादा जोर दिया करते थे। वह हारने से नहीं डरते थे लेकिन जीत के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहते थे, ड्रॉ के बारे में वो सोचते नहीं थे।
आकाश चोपड़ा ने अपनी बात को साबित करने के लिए न्यूजीलैंड के खिलाफ ड्रॉ हुए कानपुर टेस्ट का उदाहरण दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अजिंक्य रहाणे ने पारी की घोषणा बहुत देर से की और विराट कोहली की कप्तानी वाली भारतीय टीम कीवी बल्लेबाजों को थोड़ा जल्दी बल्लेबाजी करवा देती।