ऑस्ट्रेलिया में खेली जा रही भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 4 टेस्ट मैचों की सीरीज़ का तीसरा और अहम मुक़ाबला बुधवार से मेलबर्न में खेला जाएगा। बॉक्सिंग डे पर होने वाले इस टेस्ट मैच के लिए टीम इंडिया ने अंतिम-XI का एलान कर दिया है, जिसमें 3 बदलाव किए गए हैं। 1-1 से बराबरी पर चल रही इस टेस्ट सीरीज़ के अगले मुक़ाबले के लिए टीम इंडिया ने दोनों ही सलामी बल्लेबाज़ मुरली विजय और केएल राहुल को अंतिम एकादश से बाहर कर दिया है, जबकि तेज़ गेंदबाज़ उमेश यादव की जगह टीम में ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा को जगह दी गई है।
मुरली विजय की जगह प्लेइंग-XI में पहली बार दाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज़ मयंक अग्रवाल को शामिल किया है जबकि केएल राहुल की जगह रोहित शर्मा को वापस लाया गया है। हालांकि अब तक ये पूरी तरह साफ़ नहीं है कि डेब्यू कर रहे मयंक अग्रवाल के साथ उनका सलामी साझेदार कौन होगा, हनुमा विहारी या फिर रोहित शर्मा ?
ऑस्ट्रेलियाई परिस्थितियों और नई गेंद से खेलने के अनुभवों के मद्देनज़र रोहित शर्मा का पलड़ा भारी दिख रहा है। एक नज़र डालते हैं उन पांच कारणों पर जो हमारी नज़र में उन्हें मेलबर्न में टेस्ट सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर देख रही हैं।
#1 सीमित ओवर में रोहित शर्मा सलामी बल्लेबाज़ी के हैं सुल्तान
टेस्ट क्रिकेट में भले ही रोहित शर्मा को नई गेंद खेलने और पारी की शुरुआत करने का अनुभव न हो, लेकिन सीमित ओवर क्रिकेट में रन मशीन रोहित शर्मा मौजूदा दौर के सर्वश्रेष्ठ सलामी बल्लेबाज़ों में से एक हैं। रोहित शर्मा ने वनडे क्रिकेट में क़रीब 48 की औसत के साथ 21 शतक (बतौर सलामी बल्लेबाज़ 19) लगाए हैं तो टी20 में भी बतौर सलामी बल्लेबाज़ उनके नाम सर्वाधिक 4 शतक हैं, जो टी20 अंतर्राष्ट्रीय में विश्व कीर्तिमान भी है। लिहाज़ा मेलबर्न टेस्ट के दौरान रोहित शर्मा सफ़ेद गेंद की जगह लाल गेंद से पारी का आग़ाज़ करने आते हैं तो कोई हैरानी नहीं होगी।
#2 ऑस्ट्रेलिया की उछाल भरी पिच रोहित शर्मा के है माक़ूल
ऑस्ट्रेलियाई पिचें बल्लेबाज़ों के लिए बेहतरीन मानी जाती है, जहां गेंद समान उछाल और तेज़ी से बल्ले पर आती है। टीम इंडिया की रन मशीन रोहित शर्मा को भी तेज़ और उछाल लेती पिच पसंद है, रोहित शर्मा की ताक़त उनके कट और पुल शॉट्स हैं। ऐसे में मेलबर्न की इस पिच पर अगर रोहित शर्मा को बतौर सलामी बल्लेबाज़ मौक़ा मिलता है तो वह इसे पूरी तरह भुनाने में क़ामयाब हो सकते हैं जो टीम इंडिया के लिए भी फ़ायदेमंद साबित होगा।
रोहित शर्मा की कमज़ोरी स्विंग वाली पिचों पर ज़रूर नज़र आती है, जो हमने दक्षिण अफ़्रीका की पिचों पर भी देखा था। लेकिन ऑस्ट्रेलिया की पिचें वहां से अलग हैं, अगर रोहित शर्मा की नज़रें नई लाल गेंद पर एक बार जम गईं और उनके बल्ले से टाइमिंग होने लगी तो फिर सीमित ओवर की तरह टेस्ट में भी वह ख़तरनाक सलामी बल्लेबाज़ी कर सकते हैं।
#3 हनुमा विहारी को सलामी बल्लेबाज़ी का अनुभव न के बराबर
मयंक अग्रवाल के साथ पारी की शुरुआत करने की ज़िम्मेदारी रोहित शर्मा के अलावा जिस दूसरे बल्लेबाज़ पर दिए जाने की चर्चा चल रही है वह हैं 25 वर्षीय हनुमा विहारी। ऐसे क़यास लग रहे हैं कि मयंंक अग्रवाल के साथ विहारी की जोड़ी से पारी का आग़ाज़ कराया जा सकता है। हालांकि ये न तो हनुमा विहारी के लिए सही होगा और न ही टीम इंडिया के लिए, क्योंकि विहारी को सलामी बल्लेबाज़ी का अनुभव है नहीं और ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ दो नए बल्लेबाज़ों की जोड़ी को पारी की शुरुआत करने के लिए भेजना एक जोखिम भी हो सकता है।
मयंक अग्रवाल का जहां डेब्यू होगा तो हनुमा विहारी ने इससे पहले केवल दो टेस्ट मैच खेले हैं और उनमें वह मध्यक्रम में ही बल्लेबाज़ी करने आए हैं। विहारी प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी मध्यक्रम में ही बल्लेबाज़ी करने आते हैं जहां उनकी औसत 58 के आस पास है। ऐसे में उन्हें नई लाल गेंद का सामना करने की बड़ी ज़िम्मेदारी देना अच्छा नहीं कहा जा सकता। लिहाज़ा मयंक अग्रवाल के साथ सीमित ओवर के विशेषज्ञ सलामी बल्लेबाज़ रोहित शर्मा का आना टीम के लिए ज़्यादा फ़ायदेमंद साबित हो सकता है।
#4 रोहित शर्मा के टेस्ट करियर को है बदलाव की ज़रूरत
सीमित ओवर में टीम इंडिया के उप-कप्तान रोहित शर्मा आज तक टेस्ट मैचों में ख़ुद को साबित नहीं कर पाए हैं। रोहित शर्मा के नाम जहां 193 वनडे मैच हैं तो टेस्ट में उन्होंने सिर्फ़ 26 बार भारत का प्रतिनिधित्व किया है और इसके लिए भी उन्हें कई बार अंदर-बाहर होना पड़ा है। संयोग ये है कि रोहित शर्मा का वनडे करियर भी पहले इसी तरह था, जहां वह ख़ुद को स्थापित कर पाने में असफल थे। लेकिन जब उन्हें सलामी बल्लेबाज़ी का मौक़ा मिला तो फिर वहां से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज सीमित ओवर क्रिकेट में रोहित दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सलामी बल्लेबाज़ों में से एक हैं जिनके नाम 3 दोहरे शतक हैं जो एक विश्व कीर्तिमान है।
यही वजह है कि टेस्ट मैचों में भी रोहित शर्मा को एक बार सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर आज़माना चाहिए, क्या पता वनडे की तरह टेस्ट करियर में भी रोहित के आंकड़े बदल जाएं और वह इस फ़ॉर्मेट के भी सुल्तान बन जाएं।
#5 रोहित पहले भी टेस्ट में सलामी बल्लेबाज़ी करने की जता चुके हैं इच्छा
किसी भी क्रिकेटर के लिए सफ़ेद पोशाक और लाल गेंद से खेले जाने वाले फ़ॉर्मेट में ख़ुद को स्थापित करना एक ख़्वाब को पूरा करने जैसा होता है, क्योंकि टेस्ट क्रिकेट को ही क्रिकेट का सर्वोच्च रूप माना जाता है, रोहित शर्मा भी ख़ुद को एक स्थापित टेस्ट क्रिकेटर के तौर पर देखना चाहते हैं। यही वजह है कि उन्होंने कई बार कहा भी है कि ''अगर टेस्ट में भी मुझे सलामी बल्लेबाज़ी का मौक़ा मिले तो मैं इसके लिए तैयार हूं।''
शायद क़िस्मत और वक़्त ने भी रोहित के इसी सपने को सच करने का एक शानदार मौक़ा दिया है, क्योंकि मेलबर्न में टीम इंडिया ने जो अंतिम-XI का एलान किया है उसमें मयंक अग्रवाल के अलावा कोई भी विशेषज्ञ टेस्ट सलामी बल्लेबाज़ नहीं है। ऐसे में सीमित ओवर के सबसे सफल सलामी बल्लेबाज़ रोहित शर्मा को अगर ये ज़िम्मेदारी दी गई तो उनका सपना सच भी हो सकता है।
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