3. ऑस्ट्रेलिया की कमजोर बल्लेबाजी का फायदा उठाना:
ऑस्ट्रेलिया टीम ने भले ही दूसरे टेस्ट मैच में भारतीय टीम को शिकस्त दी हो और सीरीज 1-1 की बराबरी पर हो लेकिन सच ये भी है कि इस ऑस्ट्रेलियाई टीम की बल्लेबाजी उतनी गहरी नहीं है, जितनी किसी जमाने में हुआ करती थी। स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर के ऊपर बैन लगने के बाद कंगारू टीम की बल्लेबाजी काफी कमजोर हो गई।
हालांकि टीम में शॉन मार्श, उस्मान ख्वाजा और आरोन फिंच जैसे दिग्गज खिलाड़ी हैं लेकिन इस सीरीज में इन सभी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। ऑस्ट्रेलियाई टीम की बल्लेबाजी का आप इस बात से भी अंदाजा लगा सकते हैं कि इस सीरीज में अब तक उनका कोई भी बल्लेबाज शतक नहीं लगा पाया है। जबकि भारतीय टीम की तरफ से तीनों मैचों में शतक लगे हैं।
अगर कंगारू टीम को फॉलोऑन खेलने के लिए आमंत्रित किया जाता तो उनकी बल्लेबाजी में इतनी गहराई नहीं है कि वो भारतीय टीम के 292 रनों की बढ़त को खत्म करते और उसके बाद 200 या उससे ज्यादा रन बनाकर कोई चुनौतीपूर्ण लक्ष्य सामने रखते। संभव है कि कंगारू टीम इतनी बड़ी बढ़त को ही ना खत्म कर पाती और उसे पारी की हार का सामना करना पड़ता। इतनी बड़ी हार से उनके आत्मविश्वास पर काफी असर पड़ता और भारतीय टीम को सिडनी टेस्ट के लिए मनोवैज्ञानिक लाभ मिलती।