एडिलेड टेस्ट में जीत के बाद भारतीय टीम का जोश और उत्साह काफी शानदार था लेकिन पर्थ टेस्ट के पांचवें दिन 146 रनों की बुरी हार से उन्हें निराशा जरुर हुई होगी। 287 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम इंडिया की दूसरी पारी महज 140 रनों पर ही सिमट गई। कंगारू कप्तान टिम पेन के लिए भी दिन ऐतिहासिक रहा क्योंकि उनकी कप्तानी में टीम को पहली टेस्ट जीत मिली है। नाथन लायन का जादू इस बार भी देखने को मिला। उन्होंने मैच में कुल 8 विकेट चटकाते हुए मैन ऑफ़ द मैच का खिताब हासिल किया। टीम इंडिया के लिए कुछ भी सही घटित नहीं हुआ। पहली पारी के बाद भारतीय टीम का खेल अचानक परिवर्तित नजर आया। मोहम्मद शमी ने जरुर अच्छी गेंदबाजी की लेकिन यह नाकाफी साबित हुई।
भारतीय टीम के लिए कुछ चीजें बेहद खराब रही और यही कारण रहा कि उन्हें पहले टेस्ट में जीत के बाद एक बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। ऑस्ट्रेलिया ने अपना दमखम लगाकर टीम इंडिया को मैच में आने का मौका नहीं देते हुए सीरीज में बराबर आने का हर मौका भुनाया और यह एक बेहतरीन वापसी की। टीम इंडिया की हार के लिए कुछ कारण देखे जा सकते हैं, उनकी चर्चा हम यहाँ करेंगे
टॉस हारना
टेस्ट क्रिकेट में टॉस की भुमिका अहम होती है। नमी वाली पिचों पर गेंदबाजों को मदद मिलती है लेकिन पर्थ में ऐसा नहीं था। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान ने टॉस जीतने के बाद बल्लेबाजी का फैसला लिया और भारत के लिए यह अच्छी खबर नहीं रही। इसके बाद कंगारू टीम ने स्कोर 300 के पार पहुँचाया और टीम इंडिया के लिए चुनौती पेश की। टॉस भारत के पक्ष में रहता, तो नतीजे में बदलाव भी देखने को मिल सकता था। अहम कारणों में से एक टॉस हारना रहा और यहीं से मैच हारने की शुरुआत हुई।
ओपनर बल्लेबाजों का फ्लॉप प्रदर्शन
लगातार दूसरे टेस्ट में भी केएल राहुल और मुरली विजय फ्लॉप रहे। इनके विकेट जल्दी गिरने की वजह से भारत के मध्यक्रम पर दबाव बढ़ा। हालांकि विराट कोहली ने एक शानदार शतकीय पारी खेली लेकिन शुरुआत के 40 से 50 रन ओपनर बल्लेबाजों से मिलने पर मुकाबले की तस्वीर अलग होती। भारत को पहली पारी में बढ़त भी मिल सकती थी। हार के कारणों में यह एक मुख्य कारण कहा जा सकता था।
स्पिनर का बाहर होना
पहले टेस्ट में रविचंद्रन अश्विन का प्रदर्शन अच्छा रहा था। अचानक उनके चोटिल होने की खबर आई और दूसरे टेस्ट से बाहर बैठाया गया। उनके नहीं होने से ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में पांचवें विकेट के लिए बनी साझेदारी ने ख़ासा असर डाला। कोई स्पिनर वहां होता तो उस साझेदारी को पनपने से पहले रोक सकता था। वहां से ही कंगारुओं का स्कोर आगे तक गया और भारत की मुश्किलें बढ़ी।
ऑल राउंडर की कमी
भारत के पास अश्विन और रविन्द्र जडेजा जैसे दो ऑल राउंडर मौजूद है। अश्विन के चोटिल होने पर जडेजा को टीम में मौका दिया जा सकता था। उनके आने से टीम में गेंदबाजी के अलावा बल्लेबाजी में भी निखार आता। हनुमा विहारी को खिलाया गया लेकिन उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन देखने को नहीं मिला। जडेजा के होने से पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया को मिली बढ़त से भारत आगे जा सकता था।
मध्यक्रम का फ्लॉप प्रदर्शन
किसी दो बल्लेबाजों को मध्यक्रम में लम्बे समय तक टिकने की जरूरत थी। पहली पारी में विराट कोहली ने अजिंक्य रहाणे के साथ मिलकर एक साझेदारी निभाई थी लेकिन दूसरी पारी में ऐसा नहीं हुआ। मध्यक्रम से कोई भी बल्लेबाज क्रीज पर नहीं टिका। इसके अलावा निचले क्रम से कोई बल्लेबाज दहाई के अंक तक भी नहीं पहुंचता। अगर 30 से 40 रन निचले क्रम से मिलते तो भारत मुकाबले को जीत सकता था।