ऑल राउंडर की कमी
भारत के पास अश्विन और रविन्द्र जडेजा जैसे दो ऑल राउंडर मौजूद है। अश्विन के चोटिल होने पर जडेजा को टीम में मौका दिया जा सकता था। उनके आने से टीम में गेंदबाजी के अलावा बल्लेबाजी में भी निखार आता। हनुमा विहारी को खिलाया गया लेकिन उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन देखने को नहीं मिला। जडेजा के होने से पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया को मिली बढ़त से भारत आगे जा सकता था।
मध्यक्रम का फ्लॉप प्रदर्शन
किसी दो बल्लेबाजों को मध्यक्रम में लम्बे समय तक टिकने की जरूरत थी। पहली पारी में विराट कोहली ने अजिंक्य रहाणे के साथ मिलकर एक साझेदारी निभाई थी लेकिन दूसरी पारी में ऐसा नहीं हुआ। मध्यक्रम से कोई भी बल्लेबाज क्रीज पर नहीं टिका। इसके अलावा निचले क्रम से कोई बल्लेबाज दहाई के अंक तक भी नहीं पहुंचता। अगर 30 से 40 रन निचले क्रम से मिलते तो भारत मुकाबले को जीत सकता था।