एशेज सीरीज के दूसरे टेस्ट के दौरान गर्दन पर गेंद लगने से स्टीव स्मिथ घायल हो गए थे। अब उन्हें तीसरे टेस्ट के लिए टीम से बाहर रखा गया है। उनके घायल होने के बाद एक बार फिर हेलमेट का मुद्दा गरमा गया है। इस पर एक गहन चर्चा शुरू हो गई है। स्मिथ की घटना के बाद बीसीसीआई ने गर्दन और कनपटी पर गेंद लगने से बचाने वाले हेलमेट के महत्व को लेकर अपने खिलाड़ियों को जानकारी दी है। फिर भी गर्दन की सुरक्षा वाले हेलमेट पहनने का निर्णय लेना खिलाड़ियों पर ही छोड़ दिया गया।
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गेंद लगने पर चक्कर आने के नियम प्रभावी होने के बाद बोर्ड ने कोचिंग स्टाफ और कप्तान को इस बारे में जानकारी दी। हमने उन्हें गर्दन की सुरक्षा करने वाले हेलमेट के बारे में बताया। शिखर धवन सहित कुछ खिलाड़ी इस तरह के हेलमेट का इस्तेमाल करते हैं, जबकि कुछ नहीं करते। इसके लिए जब तक आईसीसी कोई नियम नहीं ले आता है, तब तक खिलाड़ियों को बाध्य नहीं कर सकते हैं। कई बल्लेबाज गर्दन की सुरक्षा वाले हेलमेट पहनकर सहज नहीं महसूस करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि फिल ह्यूज की घटना के बाद बीसीसीआई ने खिलाड़ियों को अपने हेलमेट और सुरक्षात्मक बनवाने के लिए कहा था। फिर भी हेलमेट एक ऐसी चीज है, जिसके लिए खिलाड़ियों को सहज होना चाहिए। कुछ खिलाड़ियों को गर्दन की सुरक्षा वाले हेलमेट असुविधा महसूस करवा सकते हैं। जब तक आईसीसी इसे अनिवार्य नहीं करता, तब तक इसे पहनने के फैसले को खिलाड़ियों पर छोड़ देना चाहिए।
भारत के पूर्व विकेटकीपर दीप दास गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि टीम का हरेक खिलाड़ी एक अलग हेलमेट को कैसे पसंद करता है। सचिन तेंदुलकर फॉर्म हेलमेट पहनते थे और विराट कोहली भी ऐसा ही करते हैं। राहुल द्रविड़ सीएमडी पहनते थे, जबकि बहुत सारे खिलाड़ी मसूरी हेलमेट का इस्तेमाल करते थे। मैं जब सीएमडी हेलमेट पहनता हूं तो मेरे गले के पास कुछ असहजता महसूस होती लेकिन मसूरी के व्यापक आधार से मैं सहज महसूस करता था।
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