विश्वकप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से हारना भारतीय टीम के लिए मुसीबत का सबब बन गया। इसके बाद टीम के खिलाड़ी आलोचकों के निशाने पर आ गए। टीम में बड़े परिवर्तन की मांग उठने लगी। धोनी के संन्यास की आशंकाएं प्रबल हुईं और विराट कोहली को कप्तानी से हटाने की बातें होने लगीं। टीम इंडिया ने भले ही लीग मैचों में बेहतरीन प्रदर्शन किया हो लेकिन नॉकआउट मैच की हार ने खिलाड़ियों से लेकर हर किसी पर सवालिया निशान खड़े कर दिए।
अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का कामकाज देखने वाली प्रशासकों की समिति (सीओए) ने टीम के कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री से विदेशी दौरों के दौरान टीम के सदस्यों की पत्नियों और प्रेमिकाओं की यात्राओं को लेकर ब्यौरा देने को कहा है। भारतीय टीम के कप्तान और कोच के पास अब पत्नियों और पार्टनर को विदेशी दौरे पर साथ ले जाने की अनुमति देने और रद्द करने का अधिकार होगा।
सीओए के इस फैसले से ना केवल बीसीसीआई के अधिकारी बल्कि लोढ़ा पैनल भी हैरान है। बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा कि खिलाड़ियों के पत्नी और प्रेमिकाओं को दौरे पर ले जाना साफ तौर पर हितों के टकराव का मामला है। उनके ये फैसले बीसीसीआई के संविधान के साथ लोढ़ा पैनल समिति की रिपोर्ट का उल्लंघन करते हैं।
पूर्व जस्टिस आरएम लोढ़ा ने कहा कि अब इस मामले में बोर्ड के लोकपाल डीके जैन को ही कोई फैसला लेना चाहिए। लोकपाल को लोढ़ा पैनल के प्रस्तावित नए संविधान के खिलाफ उठने वाले कदमों को रोकना चाहिए। अब फैसला लेने के लिए लोकपाल है। हर कोई लोढ़ा पैनल के प्रस्तावों की अपने तरीके से व्याख्या कर रहा है। हमारे सुझाव संविधान के अनुरूप हैं, इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
लोढ़ा पैनल भी इस बात से भी हैरान है कि कैसे सीओए नए संविधान को लागू करवाने में विफल रहा है। उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमोदित रिपोर्ट को लागू होते देखना चाहते थे। लेकिन दो साल से अधिक समय हो गया है और हमने कुछ नहीं देखा है।
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