भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ( बीसीसीआई ) ने इस सीजन से रणजी रणजी ट्रॉफी के नॉकआउट मैचों में "सीमित डीआरएस" के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। इस सीमित डीआरएस में हॉकआई और अल्ट्राएज को शामिल नहीं किया गया है। जबकि ये दोनों टेक्नोलॉजी इंटरनेशनल क्रिकेट में मुख्य रूप से काम में ली जाती हैं।
बीसीसीआई के महाप्रबंधक सबा करीम ने क्रिकइन्फो को दिए इंटरव्यू में कहा: " पिछले साल नॉकआउट मुकाबलों में कुछ नजदीकी मामलों में अंपायरों से गलतियां हुई थीं। इन घटनाओं से बचने के लिए इस बार हम उनकी हर संभव मदद कर रहे हैं। ऑन-फील्ड अंपायरों को सही निर्णय लेने में मदद करने के लिए हमारे पास जो भी तकनीक है उसका उपयोग करेंगे। इसी क्रम में रणजी ट्रॉफी के नॉकआउट मुकाबलों में हम सीमित डीआरएस को लागू कर रहे है।"
रणजी ट्रॉफी के नॉकआउट मुकाबलों में सीमित डीआरएस को लागू करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति (CoA) ने इसी साल जून में मंजूरी दे दी थी।
रणजी के पिछले संस्करण में कर्नाटक और सौराष्ट्र के बीच खेले गये सेमीफाइनल मुकाबले में दिग्गज बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा को दो बार किनारा लगने के बावजूद नॉट आउट करार दिया गया था। जिसका खामियाजा कर्नाटक को उठाना पड़ा। सबा करीम ने यह भी कहा कि वह मैच अधिकारियों के साथ एक बैठक करेंगे, जिसमें टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को लेकर चर्चा की जायेगी।
उन्होंने आगे कहा: " हम इसे सिर्फ एक प्रयोग के तौर पर इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं, हम यह देखना चाहते हैं कि यह टेक्नोलॉजी घरेलू क्रिकेट के लिए कितनी उपयोगी साबित होती है। बेहतर परिणाम के लिए हम कैमरे का उपयोग भी कर सकते हैं।"
रणजी ट्रॉफी 2019/20 सीजन इस साल दिसंबर में शुरू होने वाला है। 3 महीने लंबे चलने वाले इस टूर्नामेंट में 37 टीमें भाग लेंगी। पिछली बार की तरह इस बार भी सभी टीमों को 4 ग्रुप में रखा गया है। ग्रुप A, B और प्लेट ग्रुप में 9-9 टीमों को रखा गया है, वहीं ग्रुप C में 10 टीमों को शामिल किया गया है। ग्रुप A और ग्रुप B की टॉप 5 टीमें क्वार्टर फाइनल में जायेगी, जबकि ग्रुप C से 2 और प्लेट ग्रुप से एक ही टीम क्वार्टर फाइनल में अपना स्थान बना सकती है।
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