भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीताने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले दिग्गज बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा का आज जन्मदिन है। आज वो 31 वर्ष के हो गए हैं। 25 जनवरी 1988 को गुजरात के राजकोट में जन्में चेतेश्वर पुजारा को टीम इंडिया का दीवार कहा जाता है। टीम को संकट से निकालकर जीत की ओर अग्रसर करने में उन्हें महारत हासिल है। अभी हाल ही में संपन्न हुए ऑस्ट्रेलिया दौरे में उन्होंने तीन शतक लगाए थे और टीम इंडिया की जीत की नींव रखी थी। जिस एकाग्रता और धैर्य के साथ वो बल्लेबाजी करते हैं वो अकल्पनीय है लेकिन ये गुण उन्हें ऐसे ही नहीं मिले हैं इसके लिए उन्होंने काफी त्याग किया है।
बचपन में जब बच्चे खेलने तथा शरारत करने में ज्यादा ध्यान देते थे उस दौरान पुजारा को सिर्फ पढ़ने और क्रिकेट खेलने की ही इजाजत होती थी। दरअसल उनके पिताजी बहुत ही सख्त थे जिस कारण बचपन में पुजारा के ऊपर काफी सारी पाबंदियां थीं। चाहे होली हो या फिर दिवाली उनके पिताजी उन्हें कोई भी त्योहार मनाने नहीं देते थे। उनके पिताजी उन्हें इसलिए होली खेलने नहीं देते थे क्योंकि उन्हें लगता था की कही रंगों से उनकी आँखें ख़राब ना हो जाए। दिवाली में उनके पिताजी उन्हें पटाखे भी जलाने नहीं देते थे। उन्हें लगता था की पटाखों से पुजारा की हाथ जल जाएगी या फिर उन्हें चोट लग जाएगी।
इन सबके अलावा उन्हें गरबा खेलने की भी इजाजत नहीं मिलती थी। वो सिर्फ गरबा देख सकते थे लेकिन खेल नहीं सकते थे। उनके ऊपर और भी कई सारी पाबंदियां थी जैसे वो टेनिस बॉल से क्रिकेट नहीं खेल सकते थे। उनके पिताजी के अनुसार लेदर बॉल और टेनिस बॉल की बाउंस में काफी फर्क होता है जिसकी वजह से पुजारा का खेल बिगड़ सकता था। इसी वजह से उनके पिताजी उन्हें टेनिस बॉल से खेलने से मना करते थे। ये पुजारा के त्याग और समर्पण का ही नतीजा है की आज वो एक सफल क्रिकेटर हैं। जिस तरह का त्याग और बलिदान उन्होंने अपने बचपन में किया वो सभी के बस की बात नहीं है। चेतेश्वर पुजारा के साथ ही साथ उनके पिताजी की भी काफी तारीफ़ करनी होगी होगी क्योंकि उन्होंने अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए काफी मेहनत किया। आज टेस्ट क्रिकेट में पुजारा टीम इंडिया के सबसे बड़े बल्लेबाजों में से एक हैं। वो टीम इंडिया के संकटमोचक हैं। उनके बगैर टेस्ट टीम की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
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