इंग्लैंड में खेले गए रॉयल लंदन वनडे कप में भारतीय टेस्ट स्पेशलिस्ट बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा (Cheteshwar Pujara) का अलग ही अंदाज देखने को मिला और उन्होंने अपनी आक्रामक बल्लेबाजी से सभी को हैरान करने का काम किया। ससेक्स के कप्तान के तौर पर टूर्नामेंट में पुजारा ने कई बेहद ही आक्रामक अंदाज में शतक लगाए और टूर्नामेंट में दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज भी बने। दाएं हाथ के बल्लेबाज ने नौ मैचों में 89 से भी अधिक की औसत और 111.62 के स्ट्राइक रेट से 624 रन बनाये। इस दौरान उन्होंने तीन शतक और दो अर्धशतक भी जड़े।
द क्रिकेट पॉडकास्ट से बात करते हुए, बल्लेबाज ने खुलासा किया कि अपनी फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स में इंडियन प्रीमियर लीग के दौरान पूरे सीजन बेंच पर रहने के बावजूद कुछ नई चीजें सीखने को मिलीं। पुजारा ने कहा,
यह निश्चित रूप से मेरे खेल का एक अलग पक्ष है। इसमें तो कोई शक ही नहीं है। पिचें अच्छी थीं, थोड़ी सपाट थीं लेकिन उन सतहों पर भी, आपको उच्च स्ट्राइक-रेट पर स्कोर करने का इरादा होना चाहिए। यह एक ऐसी चीज है जिस पर मैंने हमेशा काम किया है। मैं एक साल पहले सीएसके का हिस्सा था और जब मैंने कोई मैच नहीं खेला और लोगों को तैयारी करते देखा, तो मैंने खुद से कहा कि अगर मैं छोटे प्रारूप में खेलना चाहता हूं, तो बड़े शॉट खेलने ही होंगे।
पुजारा ने छोटे प्रारूप में सफल होने के लिए बताया किन चीजों पर किया काम
पुजारा को एक सॉलिड बल्लेबाज के तौर पर जाना जाता है जो ज्यादा आक्रामकता नहीं दिखाते हैं। हालाँकि बल्लेबाज ने बताया कि उन्होंने किन चीजों पर काम किया है और उम्मीद करते हैं कि छोटे प्रारूप में कामयाब होंगे। उन्होंने कहा,
मैंने रॉयल लंदन वनडे कप से पहले इस पर काम किया था। मैं ग्रांट के साथ गया और उनसे बात की कि कुछ शॉट ऐसे हैं जिन पर मैं काम करना चाहता हूं। जब हम ट्रेनिंग कर रहे थे, तो उन्होंने मुझसे कहा कि मैं उन पर बहुत अच्छा अमल कर रहा हूं और इससे मुझे आत्मविश्वास मिला। मैंने सोचा कि अगर मैं कुछ लॉफ्टेड शॉट्स पर काम करता रहूं जो मेरी मदद कर सकते हैं और अगर मैं उन पर अमल कर सकता हूं, तो मैं छोटे प्रारूपों में भी सफल हो सकता हूं।