मैच में खराब लाइट को चेक करने के लिए अम्पायर कौन सा उपकरण काम में लेते हैं?

क्रिकेट में लाइट यानी रौशनी की अहम भूमिका होती है। खराब लाइट के कारण मैच रोकना पड़ता है और इसके लिए अम्पायरों को फैसला लेना होता है। भारत (India) और न्यूजीलैंड (New Zealand) के बीच वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल मैच में भी खराब लाइट के कारण बाधा आई है। दो बार खेल को इस वजह से रोकना पड़ा। अम्पायरों को लाइट के लिए एक विशेष उपकरण दिया जाता है। इसकी मदद से पता लगाया जाता है कि लाइट खेलने के लायक है या नहीं।

लाइट जांचने के लिए काम में लिए जाने वाले उपकरण को Light-O-Meter कहा जाता है। लाइट-ओ-मीटर बहुत महत्व का उपकरण है, खासकर जब टेस्ट मैचों की बात आती है। डिवाइस प्रकाश की मात्रा (लुमेन में) को मापता है। आईसीसी के आदेश के अनुसार अंपायरों को सौंपे जाने से पहले सभी लाइट-ओ-मीटर को समान रूप से कैलिब्रेट करने की आवश्यकता होती है। अंपायर आमतौर पर मैदान के बीच में (आमतौर पर पिच) और आउटफील्ड में प्रकाश की जांच करते हैं।

कभी-कभी जब पूरी तरह से अनुकूल प्रकाश व्यवस्था का अभाव होता है, तो अंपायर आपसी चर्चा के बाद केवल स्पिनरों को गेंदबाजी जारी रखने और तेज गेंदबाजों को रोकने की अनुमति दे सकते हैं। यह निर्णय लाइट की गुणवत्ता को देखते हुए लिया जाता है।

हालांकि टेस्ट मैचों के दौरान कई टीमों के लिए खराब रौशनी की वजह से परेशानी हुई है। ऐसे मामले सामने आए हैं जब गेंदबाजी वाली टीम को गेम जीतने के लिए आखिरी दिन सिर्फ एक विकेट की जरूरत होती है लेकिन खराब लाइट के कारण दिन खत्म हो जाता है और मैच ड्रॉ पर चला जाता है।

कई बार देखा जाता है कि बारिश के बाद मैच तो शुरू हो जाता है लेकिन खराब लाइट बनी रहती है। बादलों की वजह से उतना प्रकाश मैदान पर नहीं होता। इस वजह से टेस्ट मैच के दिन का खेल पहले ही समाप्त कर दिया जाता है। इस दौरान Light-O-Meter की भूमिका अहम रहती है।

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