#3 कम खिलाड़ियों का तीनों फॉर्मेट में चयन
विंडीज दौरे के चयन में जो सबसे बड़ी कमी देखने को मिली वह यह थी कि टेस्ट, एकदिवसीय और ट्वेंटी-20 की टीमों में समान खिलाड़ियों का चयन ना होना। कम ही खिलाड़ी ऐसे थे जिनका चयन तीनों टीमों में हुआ। इस बात पर सवाल सौरव गांगुली ने भी उठाए उनका कहना था कि, "महान टीमों के पास निरंतर खेलने वाले खिलाड़ी होते हैं. यह सभी को खुश करने वाली बात नहीं है बल्कि देश के लिए सर्वश्रेष्ठ चुनने वाली बात है, कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो सभी प्रारूप में खेल सकते हैं। "
यह बात अलग है कि विनोद कांबली जैसे खिलाड़ी सौरव गांगुली के इस बयान से असहमत हैं, हो सकता है कि टीम के इस चयन के पीछे चयनकर्ताओं की कोई मंशा हो सकती है और वह किसी लंबी रणनीति पर काम कर रहे हो। शायद हमें उनका काम उन्हीं पर छोड़ देना चाहिए, उनकी मंशा पर सवाल नहीं उठाया जाने चाहिये। लेकिन क्रिकेट जानकारों को भी अपनी बात रखने का हक है और चयनकर्ताओं को उनके सुझावों पर ध्यान देना चाहिए।