ECB Could Retire Patuadi Trophy: IPL के 18वें सीजन के रोमांच के बीच भारत और इंग्लैंड के क्रिकेट फैंस के लिए एक बुरी खबर सामने आई है, जिसके बारे में जानने के बाद उन्हें झटका लग सकता है। दरअसल, इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड इन दोनों देशों के बीच खेली जाने वाली पटौदी ट्रॉफी को बंद करने के फैसले पर विचार कर रहा है। क्रिकबज की रिपोर्ट की मानें, इसका असर जून-जुलाई में भारत और इंग्लैंड के बीच होने वाली आगामी सीरीज पर पड़ सकता है और इस सीरीज को किसी नए नाम से खेला जा सकता है।
पटौदी ट्रॉफी का बदलेगा नाम?
बोर्ड द्वारा इस ट्रॉफी को रिटायर करने का अभी कोई बड़ा कारण सामने नहीं आया है। लेकिन आने वाले समय में अगर दोनों देशों के मौजूद अन्य दिग्गजों के नाम से किसी नई ट्रॉफी का आयोजन होता है, तो इससे फैंस को हैरानी नहीं होगी। क्रिकबज की मानें, तो इंग्लैंड बोर्ड के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर पूछा सवाल पर किसी भी तरह का स्टेटमेंट देने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, 'यह ऐसा कुछ नहीं है जिस पर हम आपको कोई टिप्पणी दे सकें।'
वहीं, ऐसी भी खबर है कि ईसीबी ने इस बात की जानकारी एमके पटौदी के परिवार को भी दे दी है, जिन्होंने 1961-75 के बीच 46 टेस्ट मैचों में देश का प्रतिनिधित्व किया। परिवार के एक करीबी सूत्र ने क्रिकबज को बताया, 'जाहिर है कि कुछ समय बाद ट्रॉफियां रिटायर हो जाती हैं।' ट्रॉफी को रिटायर करना कोई नई बात नहीं है। खेल में ऐसा होना आम बात है। कुछ समय पहले इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच खेली जाने वाली विजडन ट्रॉफी को रिटायर कर दिया गया और उसका नाम बदलकर रिचर्ड्स-बॉथम ट्रॉफी कर दिया गया।
हालांकि, कई सीरीज ऐसी भी हैं, जो पिछले लम्बे समय से बरकरार हैं। इसमें एशेज के अलावा फ्रैंक वॉरेल ट्रॉफी (वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के बीच, 1960/61 से), बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1996/96 से), क्रो-थोर्प ट्रॉफी (न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के बीच 2024-25 से) और वार्न मुरलीधरन ट्रॉफी (ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच 2007/08 से) शामिल हैं।
2007 में इंग्लैंड में इंग्लैंड-भारत सीरीज का नाम पटौदी के नाम पर रखा गया था और तब से दोनों टीमें इस ट्रॉफी के लिए प्रतिस्पर्धा करती रही हैं, जब भी भारत इंग्लैंड का दौरा करता है। भारत में यह एंथनी डी मेलो ट्रॉफी के नाम से खेली जाती है, जिसका नाम भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष के नाम पर रखा गया है। इसकी स्थापना 1951 में की गई थी।