दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ टीम इंडिया ने जोहांसबर्ग में खेला गया तीसरा और आख़िरी टेस्ट जीतते हुए दौरे पर जीत का पहला स्वाद चखा। हालांकि सीरीज़ 2-1 से मेज़बान टीम ने अपने नाम की, लेकिन विराट कोहली ने व्हाइटवॉश बचाने के साथ साथ जोहांसबर्ग के अनबिटेन रिकॉर्ड को भी रखा बरक़रार। इस टेस्ट मैच के चौथे दिन चाय के ठीक बाद एक ऐसी घटना देखने को मिली जिसने कुछ देर के लिए सभी को हैरान कर दिया। विकेटकीपर पार्थिव पटेल को चोट आ गई थी और उनकी जगह दस्ताने पहन कर दिनेश कार्तिक विकेट के पीछे कीपिंग करने लगे। इस तस्वीर को देखकर हर तरफ़ ये सवाल उठने लगा कि आख़िर ऐसा कैसे ? दिनेश कार्तिक कीपिंग कैसे कर सकते हैं, वह तो 12वें खिलाड़ी हैं। 141 सालों से खेले जा रहे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में किसी भी टेस्ट मैच में ये पहला मौक़ा था जब मैदान पर नियमित विकेट कीपर को चोट लगने की वजह से किसी 12वें खिलाड़ी ने विकेट कीपिंग की हो। क्योंकि इससे पहले नियम ये था कि अगर कीपर को चोट लगे या किसी वजह से वह कीपिंग नहीं करता है तो एकादश में जो खिलाड़ी मौजूद हैं उन्हीं में से कोई विकेट कीपिंग दस्ताने पहन सकता था। नियमानुसार, 12वां खिलाड़ी किसी मैदान में किसी की जगह फ़ील्डिंग तो कर सकता था लेकिन वह बल्लेबाज़ी, गेंदबाज़ी और चूंकि विकेट कीपिंग एक विशेषज्ञ का काम है इसलिए उन्हें विकेट कीपिंग की भी इजाज़त नहीं थी। पर इस नियम में हाल ही बदलाव हुआ है और पहली बार अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ये बांग्लादेश में खेली जा रही ट्राईसीरीज़ के एक मुक़ाबले में देखने को मिला। जब ज़िम्बाब्वे के नियमित विकेटकीपर ब्रेंडन टेलर की जगह 12वें खिलाड़ी के तौर पर विशेषज्ञ विकेट कीपर रेयान मर्रे ने विकेटकीपर की भूमिका अदा की और 3 कैच भी लपके। जबकि टेस्ट क्रिकेट में ऐसा करने वाले भारत के दिनेश कार्तिक पहले 12वें खिलाड़ी बने। लेकिन अब सवाल ये है कि क्या इससे क्रिकेट भावना या विपक्षी टीम पर असर नहीं पड़ेगा ? क्या इस नियम का इस्तेमाल कुछ कप्तान मौक़े को देखकर अपने फ़ायदे के हिसाब से नहीं करेंगे ? मान लीजिए, कोई विकेटकीपर अच्छा नहीं कर पा रहा हो और एक दो कैच उससे छूट गए हों और मैच की नज़ाकत को देखते हुए कप्तान चोट का बहाना कर 12वें खिलाड़ी के तौर पर किसी विशेषज्ञ विकेटकीपर को बुला ले। ये तो खेल भावना के साथ खिलवाड़ जैसा होगा, कुछ कप्तान तो फिर इस नियम का ग़लत फ़ायदा उठाते हुए अपनी अंतिम-11 में किसी विकेट कीपर को चुने ही नहीं। उदाहरण के तौर पर कप्तान एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ के साथ मैच में उतरे और फिर कीपर की चोट का बहाना करते हुए बाहर बैठे विशेषज्ञ विकेटकीपर को 12वें खिलाड़ी के तौर पर अंदर बुला ले। ये कुछ कुछ वैसा ही हो गया जैसे कुछ सालों पहले प्रयोग के तौर पर आईसीसी ने ‘सुपरसब’ का नियम लाया था, जो बाद में इसलिए बंद कर दिया गया क्योंकि इसका फ़ायदा ज़्यादातर टॉस जीतने वाले टीम को मिलता था। आईसीसी को 12वें खिलाड़ी को विकेट कीपिंग करने की इजाज़त वाले इस नियम पर ध्यान देने की ज़रूरत है, क्योंकि वह दिन दूर नहीं जब इस नियम का कप्तान दुरुपयोग करते हुए नज़र आएं और इसका ख़ामियाज़ा विपक्षी टीम और साथ ही साथ क्रिकेट की खेल भावना पर पड़े।