ऑस्ट्रेलिया के पूर्व स्पिन गेंदबाज स्टीव ओ कीफ (Steve O'Keefe) का मानना है कि भारत दौरे से पहले ऑस्ट्रेलिया (IND vs AUS 2023) के अलग-अलग फॉर्मेट में अलग-अलग कोच होने चाहिए। ऐसा करने से किसी एक पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ेगा। इस वक्त एंड्रू मैकडोनाल्ड (Andrew McDonald) सभी फॉर्मेट में ऑस्ट्रेलिया के कोच हैं। पिछले साल पाकिस्तान सीरीज से पहले एंड्रयू मैकडोनाल्ड ने जस्टिन लैंगर (Justin Langer) की जगह ली थी, जो कि उनसे पहले ऑस्ट्रेलिया के कोच थे।
ऑस्ट्रेलियन टीम के लिए 9 टेस्ट और 7 अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैच खेलने वाले स्टीव ओ कीफ का मानना कि दो कोच का मॉडल अगर इंग्लैंड के लिए अच्छा काम कर सकता है तो वो ऑस्ट्रेलिया के काम क्यों नहीं करेगा।
इंग्लैंड ने जब से वाइट बॉल और रेड बॉल फॉर्मेट के लिए अलग-अलग कोचिंग सेटअप बनाया है, तब से उनकी टीम शानदार प्रदर्शन कर रही है। ब्रेंडन मैकलम की इंग्लिश टेस्ट टीम ने पिछले 10 में 9 मैच जीते हैं। वहीं, मैथ्यू मॉट की कोचिंग में खेलने वाली इंग्लैंड की वाइट बॉल टीम ने भी पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में हुआ टी-20 वर्ल्ड कप जीता था।
ऑस्ट्रेलिया को रखने चाहिए अलग-अलग कोच
अब ऑस्ट्रेलियाई टीम बॉर्डर-गावस्कार ट्रॉफी, एशेज और इंडिया में होने वाले वनडे वर्ल्ड कप की तैयारी कर रही है। ऐसे में स्टीव ओ कीफ का मानना है कि अगर टीम अलग-अलग कोचों के साथ तैयारी करेगी तो सभी फॉर्मेट में अच्छा परफॉर्म करेगी।
शनिवार को सेन रेडियो से बातचीत करते हुए ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया को भी इंग्लैंड का मॉडल फॉलो करना चाहिए। कोच के ऊपर ज्यादा ट्रैवल करने से काफी प्रेशर होता है, कभी-कभी तो वह एक साल में 300 दिनों तक अपने घर से दूर रहते हैं।
ऑस्ट्रेलिया की टीम को अब इंडिया और इंग्लैंड का सामना करना है, जहां उनके सामने एक कड़ी चुनौती होगी। ऐसे में अगर ऑस्ट्रेलिया की टीम भी अलग-अलग कोच के साथ खेलेगी तो शायद बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकती है।
स्टीफ ओ कीफ का मानना है कि अगले 5-10 साल में खिलाड़ियों के लिए भी तीनों फॉर्मेट में खेलना काफी मुश्किल हो जाएगा। यह ना तो शारीरिक रूप से संभव होगा और ना ही मानसिक तौर पर।