Cricketer Anshuman Gaikwad passes away: भारत के पूर्व कप्तान और कोच रहे अंशुमान गायकवाड़ अपनी मेहनत और दृढ़निश्चिता के लिए जाने जाते थे। अपने काम को लगन और सच्चे भाव से करना अंशुमान गायकवाड़ की खूबी थी। गायकवाड़ जब क्रिकेट के मैदान पर खेलने उतरे थे तब उनका प्रदर्शन भले ही बहुत अच्छा नहीं था लेकिन वह अपने एक शॉट से ही मैदान पर छा जाते थे। उनमें एक ख़ास तरह का जुनून था, जो दुनिया के अच्छे- अच्छे गेंदबाज़ों के सामने अड़ जाता था और वह अपना विकेट असानी से नहीं गंवाते थे।
कैंसर से हार गए गायकवाड़
क्रिकेट करियर से संन्यास लेने के बाद गायकवाड़ को ब्लड कैंसर ने अपनी चपेट में लिया। और आज उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। एक महीने पहले तक लंदन के किंग्स अस्पताल में वे कैंसर की जंग लड़ते रहे, लेकिन आखिरकार वे ये जंग हार गए। अंशुमान गायकवाड़ अपने इसी ग्रिट और ग्रेस की वजह से सुनील गावस्कर और गुंडप्पा विश्वनाथ के जमाने में भी बतौर बल्लेबाज टीम इंडिया तक पहुंचे थे।
क्रिकेट टीम की दीवार माने जाते थे गायकवाड़
आज की युवा पीढ़ी को भले इसका अंदाजा नहीं हो और लोग राहुल द्रविड़ को मिस्टर वॉल के तौर पर जानते हैं, लेकिन पुराने क्रिकेट प्रेमियों को याद होगा कि अंशुमान गायकवाड़ की पहचान भी ऐसी थी कि अपने दौर में वे भारतीय क्रिकेट टीम की दीवार माने जाते थे।
एक दशक तक चला था करियर
अंशुमान गायकवाड़ का इंटरनेशनल क्रिकेट करियर करीब एक दशक तक चला। 1974 में भारतीय क्रिकेट टीम में डेब्यू करने वाले अंशुमान गायकवाड़ दाएं हाथ के मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज थे, लेकिन पांचवां टेस्ट आते-आते सुनील गावस्कर के जोड़ीदार के तौर पर भारतीय क्रिकेट के ओपनिंग बल्लेबाज बन गए। 1984 तक चले क्रिकेटिंग करियर में अंशुमान गायकवाड़ ने 40 टेस्ट मैच खेले और इसमें 30 से ज्यादा की औसत से 1985 रन बनाए।
दो साल रहे टीम इंडिया के कोच
अंशुमान गायकवाड़ करीब दो साल तक भारतीय क्रिकेट टीम के कोच भी रहे। इतना ही नहीं भारतीय टीम ने उनके कोच रहते ही 1998 में शारजाह में त्रिकोणीय सीरीज में ऑस्ट्रेलिया को हराया था। अंशुमान उस टीम इंडिया के भी कोच थे, जो 2000 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में उपविजेता रही थी।