Sushil Doshi angry on Hindi commentators: क्रिकेट हो या कोई और खेल, कमेन्ट्री के बिना अधूरा है। बिना कमेन्ट्री के कितना भी रोचक मैच हो उसका मजा नहीं रह जाता है और जब इस मैच में कमेन्ट्री का तड़का लगता है तो इसका स्वाद दोगुना हो जाता है। आज के दौर में भारत में टीवी पर तेजी के साथ हिंदी कमेन्ट्री का विकास हो रहा है। लेकिन अपने दौर के मशहूर कमेंटेटर रहे सुशील दोशी आज के कमेंटेटर से नाराज हैं।
हिंदी कमेंटेटर्स पर बुरी तरह भड़के सुशील दोशी
भारतीय रेडियो इतिहास में हिंदी भाषा में कमेन्ट्री की शुरुआत करने वाले पूर्व महान कमेंटेटर सुशील दोशी आज के कमेंटेटर्स के गिरते स्तर पर दुखी हैं और वो इन कमेंट्री कर रहे दिग्गजों की भाषा शैली पर बुरी तरह से भड़क गए हैं। उन्होंने ये तक आरोप लगा दिया कि आज के कमेंटेटर सिर्फ पैसा कमाने के इरादे से ये काम कर रहे हैं।
हिंदी कमेंटेटर्स पर लगाया सिर्फ पैसा कमाने का आरोप
सुशील दोशी ने इंदौर में पीटीआई के साथ बात करते हुए कहा कि,
‘‘पूर्व क्रिकेटर हिन्दी कमेंट्री में आएं, अच्छी बात है। लेकिन आज ऐसे पूर्व क्रिकेटर भी हिन्दी कमेंट्री कर रहे हैं जिन्हें हिन्दी से कोई प्रेम नहीं है। वे हिन्दी के बहाने केवल पैसा कमाने के लिए यह काम कर रहे हैं। मैं चाहता हूं कि ये लोग हिन्दी कमेंट्री के साथ न्याय करें।’’
इसके बाद उन्होंने आगे कहा कि,
“जब किसी देश की कोई भाषा खराब होती है, तो राष्ट्रीय चरित्र और संस्कारों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। जब कोई पूर्व क्रिकेटर कमेंट्री के दौरान बोलता है कि ‘‘किरकिट (क्रिकेट) खेली जा रही है’’, तो नयी पीढ़ी के लोग भी हिन्दी का यह गलत प्रयोग सीखेंगे क्योंकि वे इस शख्स को अपने नायक के तौर पर देखते हैं।
इस दिग्गज कमेंटेटर ने कमेंट्री की एक घटना बताते हुए कहा कि,
“एक क्रिकेट मैच के दौरान जब एक खिलाड़ी फील्डिंग के दौरान घायल हो गया और कुछ लंगड़ा कर चलने लगा, तो मैंने हिन्दी में कमेंट्री कर रहे एक पूर्व क्रिकेटर को कहते सुना कि उसका चाल-चलन खराब हो गया है।’’
सुशील दोशी ने तो बीसीसीआई को भी नहीं छोड़ा और निशाना साधते हुए कहा कि,
"बीसीसीसीई से भी यह कहता हूं कि आपने क्रिकेट मैचों के प्रसारण के अधिकार बेचे हैं, लेकिन आपने देश की भाषा को खराब करने के अधिकार नहीं बेचे हैं।’’
दोशी ने अपने कमेंट्री सफर की शुरूआत को लेकर कहा कि,
‘‘जब मैंने 1968 में रेडियो पर हिन्दी कमेंट्री की शुरुआत की, तब आम तौर पर अंग्रेजी में ही कमेंट्री होती थी। क्रिकेट को आम बोलचाल की हिन्दी में समझाना मुश्किल काम था। मैंने हिन्दी कमेंट्री के आमफहम मुहावरे गढ़े।’’
आपको बता दें कि भारतीय हिंदी कमेन्ट्री इतिहास में सुशील दोशी का बड़ा नाम रहा है। दोशी के अनुसार उन्होंने अपने जीवनकाल में 400 से ज्यादा वनडे और करीब 85 टेस्ट मैचों में कमेन्ट्री करने का सफर तय किया है।