Gautam Gambhir vs Rahul Dravid coaching: बांग्लादेश के खिलाफ कानपुर टेस्ट में भारतीय टीम ने जिस तरह का इंटेंट दिखाकर जीत हासिल की थी, उससे हर कोई हैरान था। टीम इंडिया के बैजबॉल की काफी चर्चा भी हुई। भारतीय टीम में हुए इस बदलाव का श्रेय ज्यादातर फैंस ने कोच गौतम गंभीर को दिया। वहीं, माइकल वॉन ने इसे गैमबॉल बताया था।
भारतीय टीम के ज्यादातर खिलाड़ियों का मानना है कि गौतम गंभीर का कोचिंग करने का तरीका राहुल द्रविड़ से अलग है और खुद कप्तान रोहित शर्मा भी इस बात को कबूल चुके हैं। इस आर्टिकल में हम उन 5 बड़े अंतरों का जिक्र करेंगे, जो कोच गौतम गंभीर को राहुल द्रविड़ की कोचिंग में नजर आते हैं।
5. अनुभव
राहुल द्रविड़ के मुकाबले गौतम गंभीर का कोचिंग का अनुभव काफी ज्यादा कम है। गंभीर ने टीम इंडिया से पहले किसी भी टीम के लिए कोच की भूमिका नहीं निभाई थी। वह आईपीएल में जरूर मेंटर की भूमिका में नजर आए थे। दूसरी तरफ, द्रविड़ अंडर-19 टीम से लेकर आईपीएल में भी अपनी कोचिंग का लोहा मनवा चुके थे।
4. सोच
राहुल द्रविड़ और गौतम गंभीर की सोच में भी काफी अंतर है। गंभीर खिलाड़ियों को आक्रामक रवैये के साथ खेलने के लिए प्रेरित करते हैं। ताकि विरोधी टीम हमेशा दबाव में रहे। हालांकि, कई बार ये दांव टीम के लिए उल्टा भी पड़ जाता है। दूसरी तरफ, द्रविड़ कड़ी मेहनत और फोकस के जरिए मैच जीतने में विश्वास रखते हैं।
3. खिलाड़ियों का ख्याल रखते हैं
गौतम गंभीर एक ऐसे कोच हैं, जो अपनी टीम के खिलाड़ियों का पूरा ख्याल रखते हैं और उनके प्रति किसी भी तरह सख्ती का प्रयोग नहीं करते। इस बात का खुलासा रविचंद्रन अश्विन ने किया था। उन्होंने बताया था कि गंभीर के आने के बाद से दबाव महसूस नहीं होता, वो काफी शांत और सहज हैं। दूसरी तरफ, द्रविड़ काफी अनुशासन के हिसाब से करवाना पसंद करते थे।
2. अपने चहिते खिलाड़ियों को करते हैं सपोर्ट
गौतम गंभीर अपने चहिते खिलाड़ियों को सपोर्ट करने के लिए भी जाने जाते हैं। जब से वो टीम इंडिया के कोच बने हैं, केकेआर टीम के कुछ खिलाड़ियों को निरंतर मौके मिले हैं। । श्रेयस अय्यर, हर्षित राणा और वरुण चक्रवर्ती इसके बड़े उदाहरण है। गंभीर इससे पहले केकेआर टीम के मेंटर रह चुके हैं।
1. प्रयोग करने से डरते नहीं
गौतम गंभीर जब से टीम इंडिया के कोच बने हैं, तब से हर फॉर्मेट में अलग-अलग खिलाड़ियों को मौका मिल रहा है। गंभीर की सोच है कि टीम किसी एक खिलाड़ी के ऊपर निर्भर ना रहे और इस वजह से वो प्रयोग करने से कतराते नहीं हैं। टीम मैनेजमेंट भी अपने कोच के फैसलों का सम्मान करती नजर आई है।