भारतीय टीम (India Cricket team) के पूर्व ओपनर गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने मशहूर कोच तारक सिन्हा (Tarak Sinha) के निधन पर शोक व्यक्त किया। तारक सिन्हा ने ऋषभ पंत (Rishabh Pant), शिखर धवन (Shikhar Dhawan) और आशीष नेहरा (Ashish Nehra) जैसे धाकड़ खिलाड़ी तैयार करके भारत को दिए।
टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए लिखे अपने कॉलम में गंभीर ने बताया, 'शनिवार को क्रिकेट कोच द्रोणाचार्य अवॉर्डी तारक सिन्हा का निधन हुआ। वो 71 साल के थे और कैंसर से लड़ रहे थे। उनके दिल्ली में क्रिकेट क्लब सोनेट क्लब में उस्ताद जी ने कई दिल्ली और भारतीय क्रिकेटरों का विकास देखा। इसमें से सबसे नए ऋषभ पंत हैं। इससे पहले सोनेट क्लब की एलुमिनाई लिस्ट में आशीष नेहरा, आकाश चोपड़ा, स्वर्गीय रमन लांबा, अंजुम चोपड़ा, अतुल वासन, संजीम शर्मा आदि हैं। कुछ गौरवान्वित मुंबई वासियों को ये बात शायद पसंद नहीं आए, लेकिन सोनेट दिल्ली का शिवाजी पार्क या दादर यूनियन है।'
भारतीय टीम ने अपने आखिरी लीग मैच में नामीबिया के खिलाफ काली पट्टी बांधी और सिन्हा को सम्मान दिया। गंभीर ने आगे लिखा, 'दिल्ली क्रिकेटर होने के नाते मैंने सोनेट क्लब के खिलाफ कई मुकाबले खेले। उस्ताद जी के रहने के कारण उनकी हमेशा अच्छी टीम रही और उनमें वो चैंपियन वाला स्वैग रहा। यह देखकर अच्छा लगा कि भारतीय खिलाड़ी काली पट्टी बांधकर मैदान में उतरे। सिन्हा जी को सम्मान देने का वो भारतीय टीम का अपना तरीका था। मैं उनके ट्रेनियों से समझ सकता हूं कि वो सिर्फ कोच ही नहीं, बल्कि पिता समान भी थे। उन्हें इसके बदले में नेहरा और आकाश जैसे खिलाड़ियों से काफी प्यार और समर्थन भी मिला। मुझे पता है कि नेहरा ने अपने कोच के लिए क्या किया है, लेकिन वो इसे निजी रखना चाहते हैं। मैं उनकी निजता का सम्मान करता हूं। हो सकता है कि नेहरा इस तरह का व्यक्तित्व लोगों के सामने खुद लेकर आएं ताकि युवाओं को प्रेरित करें।'
तारक सिन्हा का सम्मान किया जाएगा: गौतम गंभीर
सिन्हा लंग कैंसर से कुछ समय से लड़ रहे थे और हाल ही में उनकी कई ऑर्गन फेल हो गईं थीं। वह कुंवारे थे और अपनी बहन व कई स्टूडेंट्स के साथ रह रहे थे।
गंभीर ने लिखा, 'जिस तरह आधुनिक युग का क्रिकेट आकार ले रहा है, उसमें किसी को याद करना और उसका सम्मान करना महत्वपूर्ण हैं। पैसों के आने से ऐसी संभावना है कि कोई खिलाड़ी राह भटक जाए। यहां पर क्रिकेट के रिश्ते और लोगों के साथ उनके संबंध मायने रखते हैं। इसमें क्रिकेटर का परिवार, उनके कोच और दोस्त शामिल हैं। मैं समझ सकता हूं कि उस्ताद जी कई क्रिकेटरों के पारिवारिक सदस्यों की तरह शामिल थे। मेरा मानना है कि उनके विचारों का सम्मान किया जाएगा और उनकी कद्र की जाएगी। क्रिकेट को मजबूत रहने के लिए अपने नैतिक ताने-बाने की जरूरत है।'