Harnoor singh life story: कहावत है कि डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनता है और वकील का बेटा वकील। ये कहावत पंजाब के जालंधर में सच साबित हुई है। जालंधर का यह परिवार पूरी तरह से क्रिकेट को समर्पित है। बता दें कि इस परिवार में दादा, ताऊ से लेकर पोते, भतीजे तक सब क्रिकेटर हैं और इनमें से लगभग सभी रणजी ट्रॉफी खेले हुए हैं।
घर में माहौल भी पूरा क्रिकेट वाला ही है। घर में होश संभालते ही बच्चे के हाथ में बल्ला थमा दिया जाता है। बता दें कि हम भारत के लिए अंडर-19 स्तर पर खेल चुके क्रिकेटर हरनूर सिंह और उनके परिवार की बात कर रहे हैं। हरनूर के खून में ही क्रिकेट हैं। उनके दादा और पापा रणजी खेल चुके हैं।
लेवल टू के कोच हैं हरनूर सिंह के चाचा
हरनूर के परिवार में हर कोई क्रिकेटर है। जहां हरनूर के चाचा हरमिंदर सिंह पन्नू बीसीसीआई में लेवल-टू के कोच हैं, वहीं हरनूर के दूसरे चाचा जयवीर सिंह भी रणजी खिलाड़ी रहे हैं। इसी के साथ दादा सरदार राजिंदर सिंह पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के संयुक्त सचिव रहने के साथ-साथ पंजाब के उम्दा क्रिकेट कोच तो रहे ही हैं, साथ ही वह क्रिकेट सलेक्शन कमेटी के सदस्य भी रहे हैं। हरनूर को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक है।
हरनूर ने दादा के कहने पर शुरू की थी बल्लेबाजी
आपको बता दें कि हरनूर ने 8 साल की उम्र में ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। हरनूर बचपन से ही क्रिकेट खेलते थे। हरनूर के दादा कोच राजिंदर सिंह उसे घर पर ही क्रिकेट के ड्रिल्स और बेसिक चीजें सिखाते थे। शुरुआत में वह गेंदबाजी किया करते थे लेकिन हरनूर के दादा को उनकी बल्लेबाजी ज्यादा पंसद थी, जिसकी वजह से वह दादा के कहने पर बल्लेबाजी करने लगे थे।
हरनूर की पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने चंडीगढ़ के डीएवी स्कूल से बारहवीं की परीक्षा पास की। जालंधर के एपीजे स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की। उन्होंने एसडी कालेज चंडीगढ़ से स्नातक की पढ़ाई की है। क्रिकेट की वजह से उन्होंने पढ़ाई को कभी पीछे नहीं किया।