वर्ल्ड कप 2019 में भारतीय टीम को न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में 18 रनों से हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद से लगातार धोनी को धीमी रन रेट (स्ट्राइक रेट) के चलते निशाना बनाया जा रहा है। टेस्ट क्रिकेट में पहले ही संन्यास ले चुके धोनी पर अब वनडे और टी-20 से भी संन्यास लेने का दबाव बढ़ता जा रहा है। रविवार को चयनकर्ता वेस्टइंडीज दौरे के लिए भारतीय टीम की घोषणा करेंगे, इस मीटिंग में धोनी के भविष्य के बारे में भी चर्चा हो सकती है।
धोनी ने अपनी कप्तानी में कई बड़े फैसले लेते हुए उस समय के दिग्गज खिलाड़ियों को टीम से बाहर किया था और युवा खिलाड़ियों को टीम में शामिल किया था।
2008: वर्ल्ड कप 2011 के लिए तैयारी का समय-
2008 में ऑस्ट्रेलिया में खेली गयी त्रिकोणीय सीरीज से पहले धोनी ने बड़ा निर्णय लेते हुए चयनकर्ताओं को गांगुली और सचिन जैसे दिग्गज बल्लेबाजों को बाहर करने को कहा था। उन्होंने तर्क दिया कि वो अच्छे फील्डर नहीं है।
भारतीय टीम ने इस टूर्नामेंट में जीत हासिल की और 2011 वर्ल्ड कप जीत की नींव रखी थी। गौतम गंभीर और सुरेश रैना जैसे युवा खिलाड़ियों के चलते वर्ल्ड कप 2011 में भारतीय टीम को जीत मिली।
2012: रोटेशन पॉलिसी गलत साबित हुई-
2012 में सीबी ट्राई सीरीज में, धोनी ने श्रीलंका के खिलाफ खेले गये अंतिम मैच तक सचिन, सहवाग और गंभीर में से 2 खिलाड़ियों को ही एकसाथ टीम में जगह दी, वो रोटेशन में इनको खिला रहे थे, क्योंकि वो "स्लो मूवर्स" थे। धोनी की रोटेशन पॉलिसी फ़ैल हो गयी जिसके चलते भारतीय टीम को त्रिकोणीय सीरीज से बाहर होना पड़ा और श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया के बीच फाइनल खेला गया।
वर्ल्ड कप 2019 के सेमीफाइनल में मिली हार के बाद आज धोनी भी उसी जगह खड़े हैं, जहाँ कभी गांगुली, द्रविड़, सहवाग और गंभीर जैसे खिलाड़ी थे। धोनी को बाहर निकालने को लेकर चल रही बहस में पूर्व क्रिकेटर सहवाग और गंभीर भी कूद पड़े।
वीरेंद्र सहवाग ने कहा "उन्होंने (धोनी) ने हमें कहा था कि वे युवाओं को अगले विश्व कप के लिए खेलने का मौका देना चाहते हैं। वह (धोनी) कप्तान थे, जो कहना चाहते थे कह सकते थे।"
उसके बाद गौतम गंभीर ने भी ट्विट किया और कहा " 2012 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाली ट्राई सीरीज में धोनी ने यह तय किया था कि हम तीनों (सचिन, सहवाग और गंभीर) एकसाथ नहीं खेल सकते, क्योंकि वो 2015 विश्व कप की की तरफ देख रहे थे। यह मेरे लिए सबसे बड़ा सदमा था, क्योंकि उस समय तक किसी को भी यह कहते हुए नहीं सुना था कि मैं 2015 का वर्ल्ड कप नहीं खेलने वाला हूँ।"
विराट कोहली को भी धोनी को बाहर करने का साहस दिखाना चाहिए:
धोनी के इस प्रकार के कड़े फैसलों की कई क्रिकेट फैन्स ने आलोचना भी की थी। लेकिन इन्हीं कठोर फैसलों के चलते टीम इंडिया 2011 का विश्व कप जीत पायी। इन्हीं फैसलों ने रोहित शर्मा और शिखर धवन जैसे शानदार युवा सलामी बल्लेबाज दिए है। वर्तमान में विराट कोहली कप्तान है, उन्हें भी अगले विश्व कप की सोचनी चाहिए। धोनी अपने करियर के अंतिम पड़ाव में है। वो बेहतर विदाई के हक़दार हैं, जिसके लिए उन्हें विदाई मैच खिला सकते हैं। लेकिन यह सही समय है जब कोहली को धोनी जैसे दिग्गज खिलाड़ी को बाहर कर उनकी जगह युवा बल्लेबाज को शामिल करने के बारे में सोचना चाहिए।
Hindi Cricket News, सभी मैच के क्रिकेट स्कोर, लाइव अपडेट, हाइलाइट्स और न्यूज स्पोर्टसकीड़ा पर पाएं।