How Kerala in Final despite draw semifinal: केरल ने गुजरात के खिलाफ रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में ड्रॉ खेलने के बावजूद टूर्नामेंट के फाइनल में अपनी जगह पक्की की है। लगभग सात दशक के अपने इतिहास में यह पहला मौका होगा जब केरल की टीम रणजी ट्रॉफी का फाइनल खेलेगी। इससे पहले क्वार्टर फाइनल में भी उनका मुकाबला ड्रॉ पर ही समाप्त हुआ था, लेकिन उन्हें सेमीफाइनल का टिकट मिला था। अब इन सबके बीच एक सवाल आपके मन में आ सकता है कि मैच ड्रॉ होने के बाद भी केरल आगे कैसे बढ़ रहा है। तो आइए इसका जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
रणजी ट्रॉफी के जितने भी लीग स्टेज के मैच होते हैं वो सभी चार दिन के होते हैं। मैच जीतने को लेकर मिलने वाले अंक अलग हैं, लेकिन ड्रॉ रहने वाले मुकाबले के लिए नियम ऐसे हैं कि जिस टीम के पास पहली पारी में बढ़त होती है उसे ड्रॉ मैच से भी तीन अंक मिलते हैं। जब टूर्नामेंट नॉकआउट स्टेज में पहुंचता है तब भी यह नियम लागू होते हैं और तब पहली पारी में बढ़त हासिल की हुई टीम को ड्रॉ मैच में भी विजेता माना जाता है। नॉकआउट के मुकाबले पांच दिन के होते हैं तो ऐसे में अक्सर परिणाम निकल जाते हैं, लेकिन अगर किसी मैच में परिणाम नहीं निकल पाता है तो जिस टीम के पास पहली पारी में बढ़त होती है उसे ही विजेता मान लिया जाता है।
जम्मू कश्मीर ने क्वार्टर फाइनल में केरल के खिलाफ काफी अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन केरल ने पहली पारी में एक रन की बढ़त हासिल कर ली थी। भले ही यह मुकाबला ड्रॉ पर समाप्त हुआ, लेकिन वह एक रन की बढ़त केरल के लिए काफी साबित हुई और उन्हें सेमीफाइनल का टिकट मिल गया। गुजरात ने सेमीफाइनल के चार दिन तक केरल पर दबाव बनाए रखा और ऐसा लगा कि ये मुकाबला भले ही ड्रॉ होगा, लेकिन गुजरात आसानी से पहली पारी में बढ़त हासिल कर लेगा। आखिरी दिन का खेल शुरू होने पर गुजरात को 28 रन बनाने थे और उनके पास तीन विकेट शेष थे। अगर ये 28 रन बन जाते तो गुजरात के पास बढ़त होती, लेकिन केरल ने तीन विकेट निकालकर दो रन की अहम बढ़त ली और अब फाइनल का टिकट हासिल कर लिया।