किसी भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर का ख़्वाब होता है कि वो वर्ल्ड कप चैंपियन बने। वर्ल्ड कप की शुरुआत साल 1975 में हुई थी। तब से लेकर अब तक 11 बार इस टूर्नामेंट को आयोजित किया गया है। आख़िरी वर्ल्ड कप साल 2015 में खेला गया था। इस टूर्नामेंट के शुरू होने से पहले ये आंकलन किया जाता है कि कौन सी टीम चैंपियन बनने की प्रबल दावेदार है। इसका पता इस बात से लगाया जाता है कि टीम का मौजूदा फ़ॉर्म क्या है और टीम कितनी संतुलित है। इस पहलू को ध्यान में रखा जाता है कि मैच कहां खेला जाएगा और वहां के हालात कैसे होंगे।
हांलाकि इस बात को पक्के यकीन से नहीं कहा जा सकता है कि अगला वर्ल्ड कप कौन सी टीम जीतेगी, फिर भी एक अंदाज़ा तो लगाया ही जा सकता है। हमेशा ऐसा नहीं होता कि दावेदार टीम ही वर्ल्ड कप जीते, कई बार वर्ल्ड कप में चौंकाने वाले नतीजे सामने आते हैं।1983 में किसी ने ये दावा नहीं किया था कि टीम इंडिया की झोली में वर्ल्ड कप ट्रॉफ़ी होगी। हांलाकि कई बार ऐसा भी हुआ है कि पसंदीदा टीम ने वर्ल्ड कप पर कब्ज़ा जमाया है, हम यहां ऐसे ही 5 मौकों के बारे में चर्चा करेंगे, जब दावेदार टीम ने वो कर दिखाया जिसकी पूरी उम्मीद थी।
#5 वेस्टइंडीज़, 1975
1970 और 1980 के दशक में वेस्टइंडीज़ को क्रिकेट की दुनिया का पावरहाउस कहा जाता था। उस दौर में कैरिबियाई टीम को हराना बेहद मुश्किल था। साल 1975 में जब पहला क्रिकेट वर्ल्ड कप खेला गया था तब किसी को भी इस बात पर शक नहीं था कि वेस्टइंडीज़ की टीम ही ख़िताब पर कब्ज़ा जमाएगी।
उम्मीदों पर खरी उतरते हुए कैरिबियाई टीम ने ग्रुप में टॉप रैंक हासिल किया। वेस्टइंडीज़ के साथ ग्रुप में ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और श्रीलंका थे। वर्ल्ड कप के सेमीफ़ाइनल में वेस्टइंडीज़ ने न्यूज़ीलैंड को हराया। फिर क्लाइव लॉयड की टीम ने फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया को 17 रन से मात दी और वर्ल्ड कप अपने नाम किया।
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#4 वेस्टइंडीज़, 1979
दूसरे क्रिकेट वर्ल्ड कप में भी वेस्टइंडीज़ सबसे पसंदीदा टीम थी। साल 1979 में भी कैरिबियाई टीम ने अपने ग्रुप में टॉप किया था और एक भी मैच नहीं गंवाया था। क्लाइव लॉयड के दल ने सेमीफ़ाइनल मुक़ाबले में पाकिस्तान को 43 रन से हराया। इसके बाद फ़ाइनल में वेस्टइंजीज़ का सामना इंग्लैंड से हुआ। पहले बल्लेबाज़ी करते हुए कैरिबियाई टीम ने 286 रन बनाए। इसके जबाव में इंग्लैंड की पूरी टीम 194 रन पर ही ऑल आउट हो गई। इस तरह वेस्टइंडीज़ ने लगातार दूसरी बार वर्ल्ड कप ट्रॉफ़ी पर कब्ज़ा जमाया।
#3 ऑस्ट्रेलिया, 2007
उस दौर में ऑस्ट्रेलियाई टीम आईसीसी वनडे रैंकिंग में टॉप पर थी और हर किसी को पूरी उम्मीद थी कि कंगारुओं के हाथों में लगातार तीसरी बार वर्ल्ड कप ट्रॉफ़ी होगी। ऑस्ट्रेलिया 2000 दशक की सबसे मज़बूत टीम थी जिसे हराना एवरेस्ट को फतह करने जैसा था। वर्ल्ड कप 2003 में भी ऑस्ट्रेलिया ने एक भी मैच नहीं गंवाया था और साल 2007 वर्ल्ड कप में भी ये अपराजेय टीम रही। सेमीफ़ाइनल में कंगारुओं ने दक्षिण अफ़्रीका को हराया। इसके बाद फ़ाइनल में श्रीलंका को जीत के लिए 282 रन का लक्ष्य दिया। जवाब में श्रीलंकाई टीम महज़ 215 रन ही बना पाई और इस तरह ऑस्ट्रेलिया ने चौथी बार वर्ल्ड कप जीत कर इतिहास रच दिया।
#2 भारत, 2011
साल 1996 के बाद पहली बार वर्ल्ड कप एशियाई सरज़मीं पर खेला जा रहा था। टीम इंडिया जीत की सबसे प्रबल दावेदार टीम थी। भारत ने शुरुआत अच्छी की और पहले मैच में बांग्लादेश को 87 रन से हराया। दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा और इंग्लैंड के ख़िलाफ़ मैच टाई रहा। हांलाकि भारत के बाक़ी 2 मुक़ाबले नीदरलैंड और आयरलैंड जैसी कमज़ोर टीमों से थे ऐसे में टीम इंडिया को ग्रुप स्टेज पार करने में ज़्यादा मुश्किल नहीं हुई।
धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम ने क्वॉर्टरफ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराया और सेमीफ़ाइनल में पाकिस्तान को मात दी। भारत को फ़ाइनल में श्रीलंका का सामना करना था। श्रीलंकाई टीम ने पहले खेलते हुए भारत को जीत के लिए 275 रन का लक्ष्य दिया। इसके जवाब में भारत की शुरुआत अच्छी नहीं रही, लेकिन गौतम गंभीर, विराट कोहली और कप्तान धोनी ने भारत को जीत की दहलीज़ पर पहुंचा दिया और टीम इंडिया ने दूसरी बार वर्ल्ड कप पर कब्ज़ा जमाया।
#1 ऑस्ट्रेलिया, 2015
इस वर्ल्ड कप की मेज़बानी संयुक्त रूप से ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के हाथों में थी। उस वक़्त कंगारू टीम आईसीसी वनडे रैंकिंग में टॉप स्थान पर थी। चूंकि वर्ल्ड कप में उन्हीं के घर में हो रहा था, ऐसे में ऑस्ट्रेलिया ट्रॉफ़ी की दावेदार टीम बन गई थी। सेमीफ़ाइनल में माइकल क्लार्क की टीम ने भारत को मात दी। इसके बाद फ़ाइनल में न्यूज़ीलैंड को हराया। इस तरह ऑस्ट्रेलिया ने रिकॉर्ड 5वीं बार वर्ल्ड कप अपने नाम किया। आज वो वर्ल्ड कप की सबसे कामयाब टीम है।